Sabhyataon Ke Sangharsh Mein Bharat Kahan by Devendra Swarup

अमरीकी विचारक सेमुअल हंटिंग्टन के अनुसार वर्तमान घटनाचक्र ‘इसलाम और पश्चिम’ के बीच ‘सभ्यताओं के संघर्ष’ का सूत्रपात है। हालाँकि हंटिंग्टन से बहुत पहले, पिछली शताब्दी की शुरुआत में ही भारतीय मनीषी बिपिनचंद्र पाल ने यह देख लिया था कि विश्व में तीन वैश्विक गुट उभरेंगे। पहला होगा विश्व इसलामवाद का। दूसरा चीन के नेतृत्व में मंगोल नस्ल के देशों का। और तीसरा यूरोपीय ईसाई देशों का। पश्चिम तो अमरीका के नेतृत्व में एकजुट होकर एक शिविर में खड़ा नजर आ रहा है। मुसलिम विश्व अभी तक एक नेतृत्व में खड़ा नहीं हो पाया है। इन दोनों मोरचों के बीच एक तीसरा वर्ग है, जो संघर्ष की संभावनाओं को टालने के लिए प्रयासरत है। पर वोटबैंक राजनीति का बंदी बन चुका भारतीय नेतृत्व बिखराव का शिकार है। वह इसलामी आतंकवाद के विरुद्ध विश्वव्यापी बहस में एक मुखर आवाज बनकर सामने नहीं आना चाहता। जबकि विश्व की नियति उसे इसलामी आतंकवाद के विरुद्ध ध्रुवीकरण की ओर धकेल रही है।

Language

Hindi

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