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SILIRKA VAIKUM SITHAR VARALARU
சித்தர்களை வகைப்படுத்துவது மிகவும் கடினம். சொல்லப்போனால், அவர்களை இனங்காணுவதே கூட கடினம். ஆனால், நமது சமூகத்துக்கும் உலகத்துக்கும் அவர்கள் செய்துள்ள பங்களிப்பு அளிப்பரியன. கடவுளை வெளியே தேட வேண்டாம், நம்முடைய உடம்புதான் கடவுளின் சன்னிதானம், அதனைப் போற்றிப் பேணிப் பாதுகாப்பதுவே நம்முடைய தலையாய கடமை என்று நமக்கு உணர்த்தியவர்கள் சித்தர்கள்.
பல காலங்களில் வாழ்ந்த பல சித்தர்களின் அற்புதமான வரலாறுகள் இந்த நூலில் தொகுத்தளிக்கப்பட்டு இருக்கிறது. முனைவர் இல. கோமதி, கல்லூரி ஒன்றில் முதல்வராக இருப்பவர்.
Sim Card by Usha Verma
एक हफ्ते बाद रात आठ बजे होंगे कि टेलीफोन की घंटी बजी, ‘‘क्या मैं मिसेज नारायन से बात कर सकती हूँ।’’ ‘‘जी हाँ, मैं मिसेज नारायन बोल रही हूँ। आप कौन हैं?’’ ‘‘मैं पुलिस स्टेशन से बोल रही हूँ। आप वसुधा खन्ना को जानती हैं। वह कह रही है कि वह आपके पास रह सकती है।’’ ‘‘जी हाँ, क्या बात है?’’ ‘‘वह अपने घर में नहीं रह सकती, उसे या तो पुलिस के किए इंतजाम में रहना होगा या वह आप के पास रह सकती है।’’ मैंने कहा, ‘‘मेरे पास रह सकती है, आप ले आइए।’’ वसुधा के आने के बाद पुलिस वुमन ने बताया कि वसुधा ने आज करीब तीन बजे सौरभ के एक-एक कपड़े, कमीज, पैंट, टाई, कैमरा, लैपटॉप, फोटो अलबम, तमाम सीडी, वीडियो, घड़ी, मोबाइल फोन सब कुछ गार्डन में फेंक दिए और सब में आग लगा दी।
—इसी संग्रह से
मानवीय संवेदना और सरोकारों के ताने-बाने में बुनी ये मर्मस्पर्शी कहानियाँ पाठकों को झकझोरेंगी और उन्हें ये अपने आसपास घटित हो रही घटनाओं-पात्रों का सहसा स्मरण करा देंगी।
Simmi Harshita Ki Lokpriya Kahaniyan by Simmi Harshita
‘तुम्हारी भाषा अद्भुत है। तुम्हारी शैली अद्भुत है।’
—मन्नू भंडारी
सिम्मी हर्षिता की हर कहानी अपने आप में संपूर्णता का एहसास लेकर आती है। सुधी पाठक केवल कहानी पढ़ता ही नहीं है, उसकी हर स्थिति के साथ अपना तादात्म्य स्थापित करता है। सिम्मी हर्षिता की कहानी पढ़ना ऐसा है, जैसे ठंडे शर्बत को एक-एक घूँट पीना और हर घूँट के साथ उसका स्वाद लेना।
—डॉ. महीप सिंह
‘बनजारन हवा’ कहानी में तुमने भाषा का बहुत ही प्रभावी रूप प्रयोग किया है।
—राजेंद्र यादव
सिम्मी हर्षिता की कहानियाँ कथ्य की दृष्टि से तो महत्त्वपूर्ण हैं ही किंतु वे कथन-भंगिमा की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण और आकर्षक हैं। वे इस कौशल से कहानी कहती हैं कि कहीं भी अति नहीं होती। इन कहानियों को उनकी कथन-भंगिमा और अच्छे गद्य के लिए भी पढ़ा जा सकता है। अच्छा गद्य लिखना आसान काम नहीं है। इसलिए तो ‘गद्यं कवीना निकषं’ कहा गया है। उनके गद्य में काव्यात्मकता है और यहाँ से वहाँ तक प्रसृत वाग्वैदग्ध्य है, जिसमें परिहास भी है और व्यंग्य भी। उनके गद्य में एक क्रीडा-भाव सर्वत्र विद्यमान है। यह क्रीडा-भाव कहानियों के पात्रों के प्रति भी है और भाषा के प्रति भी।
—डॉ. हरदयाल
Simon Dale by Anthony Hope
First published in the year 1898, the present historical novel ‘Simon Dale’ by Anthony Hope is a fictionalized version of a fascinating episode in English history: King Charles II’s long-time dalliance with Nell Gwyn, the most acclaimed comedic actress of the era, an affair that produced two sons. Hope treats the often sensationalized romance with sensitivity and nuance.