Hindi Literature
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222 Shikshaprada Bodh Kathayen by Shiv Kumar Goyal
222 शिक्षाप्रद बोध कथाएँ—शिवकुमार गोयल
नीतिशास्त्र में कहा गया है कि यदि किसी को अपना मानव जीवन सार्थक करना हो तो उसे सत्पुरुषों का सत्संग, धर्मशास्त्रों तथा सत्साहित्य का अध्ययन करना चाहिए। गीता में कहा गया है कि जो महापुरुषों के श्रीमुख से कल्याणकारी बातें सुनकर उनकी उपासना-अनुसरण करते हैं, उनका जीवन सहज ही में आदर्श बन जाता है।
222 शिक्षाप्रद बोध कथाएँ में रामायण, महाभारत, पुराणों, वेदों, उपनिषदों की कथाएँ और संत, महात्माओं व विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख महापुरुषों के प्रेरणाप्रद जीवन के आख्यानों और दृष्टातों को सरल भाषा में कथाओं के रूप में चुनकर प्रस्तुत किया गया है। ये बोध कथाएँ मनुष्य के लिए ‘दीप स्तंभ’ का काम करती हैं। हमारी निराशा-हताशा दूर कर हमें कर्मनिष्ठ बनने की प्रेरणा देती हैं।
आशा है, पाठक इनसे धर्ममय जीवन जीने, संस्कारित बनने तथा राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा प्राप्त कर सकेंगे।
25 Success Business Stories by Prakash Iyer
ए. वेलुमणि मुंबई में अपने पहले दिन एक रेलवे प्लेटफॉर्म पर सोए। ध्रुव शृंगी लंदन में अपनी नौकरी से निकाल दिए गए और इरफान रजाक बेंगलुरु के एक रेडीमेड गारमेंट स्टोर में सेल्समैन थे। उन सभी ने आगे चलकर अपना ही व्यवसाय स्थापित किया। उन्होंने ऐसा कैसे किया?
बेहद लोकप्रिय लेखक प्रकाश अय्यर आपको बीस भारतीय उद्यमियों के बेहद करीब ले जाते हैं, जब वे उद्यमी उन्हें बताते हैं कि वे कैसे प्रेरित हुए, आगे बढ़ने का हौसला उन्हें कैसे मिला और हम उनसे क्या सीख सकते हैं।
अभिषेक लोढ़ा ऐसा क्या करते हैं, जिससे उनके कर्मचारी कुछ ज्यादा करने की इच्छा रखते हैं? अनेक उद्यमों को एक साथ सँभालनेवाली मीना गणेश के पास काम और जीवन के बीच संतुलन बनाए रखने का कौन सा रहस्य है? और गौरव मार्या ने एक टेस्ट मैच से क्या सीखा, जो समय से पहले ही खत्म हो गया?
यह पुस्तक ऐसी कहानियों से भरी है, जो उद्यमशीलता की भावना का जश्न मनाती हैं। कहानियाँ सफलता की, संघर्ष की और टिके रहने की। शुरुआत करने, तरक्की करने, सफर का आनंद उठाने और ऐसी उम्मीद जगानेवाली कहानियाँ कि वे मंजिल तक पहुँच जाएँगे, बशर्ते ऐसी कोई मंजिल है। सफलता अपने पीछे रास्ते छोड़ जाती है। आप चाहे एक उद्यमी हैं या एक कर्मचारी, गृहिणी हैं या एक छात्र, आपके पास उन पुरुषों व स्त्रियों से सीखने का अवसर है, जिन्होंने अपने अंदर के उद्यमी को उन्मुक्त कर किया। उन्होंने कर दिखाया और अब ‘आप भी कर सकते हैं।’
25 Super Brands by Kamlesh Maheshwari , Prakash Biyani
बिजनेस स्कूल के छात्रों को पढ़ाया जाता है-
‘‘ब्रांड यानी उत्पाद विशेष का नाम एक ट्रेडमार्क।’’
वेबस्टर्स शब्दावली के अनुसार ब्रांड यानी…
”A mark Burned on the Skin with hot iron.”
हिंदी में इसका भावार्थ है…
‘‘व्यक्ति के शरीर पर उसकी पहचान दाग देना।’’
यही इस पुस्तक का सार है ।
ब्रांड किसी उत्पाद का केवल नाम नहीं होता । उसके उत्पादक का पैटेंटेड ट्रेडमार्क भी नहीं होता । ग्राहक जब ‘ फेविकोल ‘ खरीदता है तो उसके साथ इस विश्वास का मूल्य भी चुकाता है कि इसका जोड़ निकाले नहीं निकलेगा । एडीडास या बाटा के जूते हों, मैक्डॉनल्ड्स के फास्ट फूड हो या बाबा रामदेव की ओषधियाँ-ग्राहक इनके साथ एक भरोसा खरीदता है । ब्रांडेड उत्पाद केवल वस्तु का मूल्य प्राप्त नहीं करते, वे एक भरोसे’ एक विश्वास की कीमत भी वसूल करते हैं । वही ब्रांड मार्केट लीडर बनते हैं या लंबी पारी खेलते हैं, जो अपने पर ‘ दाग ‘ दी गई ‘ पहचान ‘ को एक बार नहीं, हर बार सही साबित करते हैं ।
365 Chutkule by Aabid Surti
किसी भूले को ढब्बूजी राह बताते हैं तो किसी हारे को जीने की शक्ति भी देते हैं। लेकिन उनमें सबसे बड़ा गुण यह है कि वह जात-पाँत, ऊँच-नीच के भेदभाव नहीं मानते। यही कारण है कि ढब्बूजी के चाहनेवाले कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और भारत से लेकर अमेरिका, रूस, चीन तक फैले हुए हैं। इन लाखों प्रशंसकों में एक आप भी हैं। ढब्बूजी का आपको सलाम —आबिद सुरती
365 Din Khush Kaise Rahe by M.K. Mazumdar
चेहरे पर हँसी और मुसकान को देखकर खुशी को परिभाषित नहीं किया जा सकता है। खुशी चेहरे पर नहीं, अंतर की गहराई में होती है, जो चेहरे पर झलके, यह जरूरी नहीं है। वैसे खुश रहने का कोई फॉर्मूला नहीं होता। लोग अपने आप में खुश रहते हैं। किसे किस बात में खुशी मिलेगी, यह कहा नहीं जा सकता। वे खुद भी सहीसही नहीं बता सकते हैं कि उन्हें किस बात में खुशी मिलेगी। हर कोई अपने आप में खुश रहता है या अपने आप में दुःखी रहता है। खुश रहने का लोगों का अपनाअपना सिद्धांत है, अपनाअपना तरीका है, अपनाअपना विचार है।
निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि खुश रहना अपने हाथ में है। किसी को बड़ी उपलब्धि पर खुशी मिलती है तो किसी को छोटी उपलब्धि पर बड़ी खुशी मिलती है। कोई छोटी बात पर बहुत खुश हो जाता है, कोई बड़ी बात पर भी खुश नहीं हो पाता है। यानी जो जिस बात में अधिक खुशी ढूँढ़ता है, वह उतना ही अधिक खुश होता है। जो कम खुशी ढूँढ़ता है, वह कम खुश रहता है।
प्रस्तुत पुस्तक में यही बताया गया है कि खुशियाँ दिखाई नहीं देतीं, महसूस की जाती हैं। खुशियाँ हमारे आसपास ही बिखरी पड़ी हैं। बस, उन्हें समेटने की जरूरत है, सुनहरे पलों में कैद करने की जरूरत है। हम अगर छोटेछोटे पहलुओं में खुशियाँ ढूँढ़ें तो हमारे पास दुःख नाम की चीज नहीं रह जाएगी।
365 Kahaniyan by Aabid Surti
महापुरुषों की जीवनी में अकसर पाया जाता है कि बचपन में उन्हें ढेर सारी कहानियाँ सुनने-पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ था। चाहे वे कहानियाँ नाना-नानी से सुनी हों या खरीदकर पढ़ी हों, एक बात निश्चित है—उन महापुरुषों को महान् बनाने में कहानियों का योगदान कम नहीं था। वैसी ही रोचक, ज्ञान बढ़नेवाली इस संकलन की कहानियाँ हैं। हर रोज आपको सिर्फ एक कहानी पढ़नी है। पढ़कर थोड़ा चिंतन-मनन करना है।
लगभग सभी कहानियों से सच, एकता, भाईचारे की महक आती है। क्या इनका मकसद विश्व में प्रेमधर्म का प्रचार करना है? क्या इसी कारण ये कहानियाँ देश-विदेश में यात्रियों की तरह घूमती रहती हैं?
दूसरा, भारत की कहानी भेस बदलकर जर्मन कहानी कैसे बन जाती है? जर्मन कहानी नए रूप-रंग के साथ चीन में कैसे घुस जाती है? चीनी कहानी का ‘अलादिन’ सारे संसार के बच्चों का प्रिय पात्र कैसे बन जाता है?
नए-नए सवाल उठें तो माता-पिता या मास्टरजी से जवाब भी तलब करने हैं।
यही रहस्य है महान् बनने का, यही मार्ग है जीवन को सफल बनाने का, देश को आगे बढ़ाने का।
यह पुस्तक बच्चे, युवा और वृद्ध सभी तरह के पाठकों के लिए है। इस पुस्तक की विशेषता यह है कि इसमें चुनी हुई ऐसी कहानियाँ दी गई हैं, जो हमें कुछ-न-कुछ अपने आप में कहानी सी कहते दिखते हैं। इन उपदेशात्मक कहानियों और चित्रों ने पुस्तक की उपयोगिता को और बढ़ा दिया है।
5 Sarsanghchalak by Arun Anand
विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी सामाजिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में आरंभ से ही व्यक्ति विशेष के बजाय उसके कार्य को महत्त्व देने की परंपरा रही है। इसीलिए संघ ने किसी व्यक्ति को नहीं, बल्कि भगवा ध्वज को अपना गुरु माना है। यही कारण है कि सरसंघचालकों द्वारा किए गए कार्यों और उनके जीवन के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं है। जानकारी कम होने के कारण लोगों के मन में कई प्रश्न उठते हैं और कही-सुनी बातों पर ही कई धारणाएँ भी बना ली गई हैं, जिनमें से अधिकतर भ्रांतियाँ हैं। मसलन एक धारणा यह है कि संघ में सरसंघचालक के पास सबसे ज्यादा शक्तियाँ होती हैं। लेकिन क्या वाकई यह सच है? अंततः संघ के आज के स्वरूप को गढ़ने में सरसंघचालकों की भूमिका और योगदान क्या है? क्या संघ में सरसंघचालक स्वयंसेवकों को चलाते हैं या स्वयंसेवक सरसंघचालक को चलाते हैं? इन प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए पाँच सरसंघचालकों की जीवनयात्रा को समझना होगा। इस यात्रा के माध्यम से ही आप संघ की दीर्घ यात्रा को भी और गहरे से जान पाएँगे।
50 Business Kohinoor by Mahesh Dutt Sharma
इस पुस्तक में बिजनेस की 50 महान् हस्तियों के कारोबारी जीवन-संघर्ष की प्रेरणाप्रद कहानियाँ दी गई हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत, लगन, हौसले, इच्छा, उमंग, संघर्ष, सोच और जागरूकता के बल पर स्वयं को शून्य से शिखर पर पहुँचाया। पुस्तक में उनका केवल यशोगान नहीं किया गया है, बल्कि बताया गया है कि वे हर चुनौतियों, मुश्किलों और परिस्थितियों का सामना करते हुए, बिना रुके, बिना थके आगे बढ़ते रहे।
ये जीवन-संघर्ष कठोर होते हुए भी रोचक, रोमांचक और प्रेरक हैं, जिन्हें पढ़कर निश्चित ही हर किसी के अंदर आत्मविश्वास जाग्रत् हो सकता है। यहाँ गागर में सागर को चरितार्थ करते हुए, उनके संक्षिप्त जीवन-परिचय में अधिक-से-अधिक जानकारी देने की कोशिश की गई है।
बिजनेस के चमकते सितारों के व्यक्तित्व से सरल शब्दों में परिचित करानेवाली पठनीय पुस्तक।
50 Mahan Swatantrata Senani by Rishi Raj
जिन लोगों ने देश को स्वाधीन कराने का स्वप्न देखा, इसकी कल्पना की और दृढ निश्चय कर अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया, उनका पुण्य स्मरण करना हमारा पुनीत कर्तव्य है। उनके बलिदान को आज की युवा पीढ़ी तक पहुँचाना हमारा परम धर्म है। जिस आजादी की हवा में हम साँस ले पा रहे हैं, अपने लिए, अपने घर-परिवार के लिए कुछ कर पा रहे हैं, इसमें कहीं-न-कहीं उन सभी के बलिदान की सुगंध है। इसलिए इन हुतात्माओं को कोटि-कोटि वंदन-अभिनंदन!
शहीदों से जुडे़ स्थानों पर जाना, उनको समय-समय पर याद करना व उनको श्रद्धांजलि देना, यह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा होना चाहिए। आनेवाली पीढि़यों को अपने गौरवमयी अतीत व हमारे शूरवीरों के महान् जीवन से परिचय करवाना हम सबका धर्म
बनता है।
राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व अर्पित करनेवाले हुतात्माओं की एक लंबी शृंखला है। उनमें से 50 अमर सपूतों के प्रेरणाप्रद जीवन से पाठकों को परिचित कराने का यह उपक्रम है, जो निश्चित रूप से हर भारतीय को पढ़ना ही चाहिए।
50 Military Leader by Rajpal Singh
इस पुस्तक में मात्र युद्ध विद्या का बखान नहीं किया गया है, बल्कि ऐसे सैन्य अधिनायकों के जीवन पर रोशनी डाली गई है, जिन्होंने विश्व इतिहास
को अत्यधिक प्रभावित किया, चाहे प्रशंसात्मक दृष्टि में, चाहे निंदात्मक दृष्टि में।
जरूरी नहीं कि इस पुस्तक में शामिल किए गए सभी लीडर सर्वश्रेष्ठ रहे हों या कुशल कूटनीतिज्ञ और महानतम शूरवीर ही रहे हों; मगर इतना तय है कि ये ऐसे लोग थे, जिन्होंने सही या गलत कारणों से युद्धक्षेत्र में कदम रखा और विश्वइतिहास को प्रभावित किया। इवान एक औसत सेनाध्यक्ष था; मगर उसका शासनकाल इतिहास के लिए एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ। एडोल्फ हिटलर क्रूर सेनानायक था; पर उसके कारण दुनिया में जबरदस्त बदलाव आया।
इस पुस्तक को पढ़ने के बाद आप भी इस बात से इनकार नहीं कर पाएँगे कि इसमें वर्णित लोगों का व्यक्तित्व ऐसा था, जिन्होंने धरती पर मानव जाति के इतिहास पर सर्वाधिक प्रभाव डाला।
50 Safaltam Vyaktiyon Ke Success Secrets by Mahesh Dutt Sharma
संकल्प • हारने से कैसा डरना • जिंदादिली • लक्ष्य की ओर यात्रा का आनंद • काम में लगे रहें • पूरे मन से काम करें • अपनी प्रतिभा को निखारें • असफलताओं से सीख • अपने मूल्यों को उन्नत करें • जितना हो सके, उतनी मेहनत करें • अपनी टीम को प्रेरित रखें • जो लक्ष्य तय करें, वही करें • खुद पर विश्वास रखें • नकारात्मक न हों • अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें • खूब सपने देखें • धैर्य एवं दृढ़ता • कृतज्ञता • करुणा • आत्मविश्वास • अनुशासन • एकाग्रता • गिरकर हर बार उठना • जिंदगी में प्रतिबद्धता • सही राह पर चलना • मितव्ययिता • कृतज्ञता गुणकारी • सत्य • कुछ भी असंभव नहीं है • दूसरों से सबक लेने से कभी न चूकें • डर और संदेह का सामना करें • सिर्फ पैसा बनाने के लिए कारोबार नहीं • सुनो, बेस्ट लो, बाकी छोड़ो • सकारात्मक दृष्टिकोण • इनसानियत • चीजों को देखने का तरीका बदलें • चरित्र व आचरण की महत्ता • दोष नहीं, उपाय खोजें।
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, एलन मस्क, जिग जिगलर, जेफ बेजोस, जैक मा, दलाई लामा, बॉब प्रॉक्टर, मार्क जुकरबर्ग, रतन टाटा, वेन डायर, सुंदर पिचाई, स्टीव जॉब्स, स्वामी विवेकानंद सहित विश्व की सफलतम पचास विभूतियों के प्रेरक व्यक्तित्व से चुने हुए उपर्युक्त बिंदु जीवन में सफलता पाने के गुरुमंत्र हैं। इन्हें व्यवहार में लाकर कोई भी अपने जीवन में सकारात्मक भाव जाग्रत् करके मानवीय जीवनमूल्यों के साथ सफलता के पथ पर आगे बढ़ सकेगा।
51 Rochak Baal Kahaniyan by Dr. Saraswati Bali
अगले दिन राजीव क्लास से बाहर ही अपनी मैडम से मिला।
‘‘गुड मॉर्निंग मैम!’’ कहकर वह वहीं खड़ा हो गया।
‘‘गुड मॉर्निंग। बोलो राजीव क्या बात है?’’ मैडम ने पूछा।
‘‘मैम, आपसे एक जरूरी बात पूछनी थी।’’
‘‘हाँ-हाँ, बोलो क्या बात है?’’ मैम ने कहा।
‘‘मैम, हमारे पड़ोस में एक लड़का रहता है। वह बोलने में हकलाता है और थोड़ा मंदबुद्धि भी है। क्या उसे स्कूल में दाखिला मिल सकता है?’’ राजीव ने थोड़ा डरते-घबराते हुए अपनी बात कही।
‘‘हाँ-हाँ, क्यों नहीं। अभी कल ही प्रिंसिपल साहब ने इस बारे में घोषणा की है। राजीव तुम क्लास में चलो। इस विषय में सारी बात विस्तार से पता करके मैं तुम्हें कल बताऊँगी।’’ मैडम ने आश्वासन दिया।
‘‘थैंक यू मैम।’’ कहकर राजीव उत्साहपूर्वक क्लास में चला गया।
इसी संग्रह से
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ये कहानियाँ विशेष तौर पर दस से पंद्रह वर्ष के बच्चों व किशोरों के लिए लिखी गई हैं, जिन्हें बढ़ने की उम्र में किसी दिशा को समझने की जरूरत होती है। आशा है इन कहानियों को पढ़कर बच्चे व किशोर अवश्य अपने लिए कोई सार्थक दिशा ढूँढ़ पाने में समर्थ होंगे।
51 Vigyan Prayog by Shyam Sunder Sharma
प्रयोग हमेशा बड़े ही नहीं होते और न ही हमेशा वे सुसज्जित प्रयोगशालाओं में, जिनमें सब प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं, किए जाते हैं। अनेक प्रयोग घरों में भी आसानी से, उपलब्ध सामानों से, किए जा सकते हैं। हम इस पुस्तक में कुछ ऐसे प्रयोग बता रहे हैं, जिन्हें तुम अपने घरों में भी, आसानी से उपलब्ध चीजों की सहायता से, कर सकते हो।
प्रयोगों के बाद उनमें निहित सिद्धांतों को समझाने का भी प्रयत्न किया गया है। आशा है, तुम रुचि लेकर ये प्रयोग करोगे और उनसे कुछ सीखोगे। हो सकता है कि तुममें से कुछ बच्चों को इन प्रयोगों से वैज्ञानिक बनने की प्रेरणा मिल जाय। यदि ऐसा हो जाए तो हम सबको बहुत खुशी होगी।
80 Din Mein Duniya Ki Sair by Jules Verne
अस्सी दिन में दुनिया की सैर—जूल्स वर्न
फिलियास फॉग ने अपनी विश्व यात्रा 80 दिनों में पूरी की थी। उन्होंने इसके लिए हर साधन का उपयोग किया—स्टीमर, रेलवे, सामान ढोनेवाली गाड़ी, व्यापारिक जहाज, बर्फ पर चलनेवाली गाड़ी और हाथी इत्यादि।
फॉग ने 80 दिनों में पूरा विश्व भ्रमण करने के ठीक 2 दिन बाद शादी कर ली, जो इस यात्रा की सबसे बड़ी उपलब्धि थी। विश्वविख्यात कथा-शिल्पी जूल्स वर्न ने इस रोमांचक यात्रा का बड़ा ही मनोरंजक वर्णन किया है। अनेक सभ्यता-संस्कृतियों, स्थान-प्रदेशों एवं नाना वृत्ति-प्रकृति के लोगों का वर्णन बड़ा ही आह्लादकारी है।
विज्ञान कथाओं के महान् लेखक जूल्स वर्न की मनोरंजन से भरपूर अद्भुत यात्रा-कथा।
Aabhar Tumhara by Meenu Tripathi
जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती तथा सामाजिक सरोकारों को परिलक्षित करती सात कहानियों को अपने में समाहित किए मीनू त्रिपाठी का चौथा कथा-संग्रह ‘आभार तुम्हारा’ पाठकों को साहित्य के नए धरातल से परिचित कराने में सक्षम है।
सातों कहानियाँ मानव जीवन से जुड़ी क्लिष्टताओं, भावनात्मक-मानसिक द्वंद्वों तथा कालबाह्य सामाजिक मान्यताओं को न केवल उजागर करती हैं, अपितु पाठकों की आशा और अनुमान के विपरीत सर्वथा नई परिणति के दर्शन कराती हैं।
समकालीन भाषा-शैली की प्रधानता की खदबदाहट के बीच पात्रों के अनुरूप देशज भाषा का तड़का पाठक की पठनीय भूख को आस्वादन से तृप्त करने में सक्षम है।
सात मुक्तामणियों-सा सुशोभित सात कहानियों का मनोरंजक तथा पठनीय कहानी-संग्रह।
Aadhar : Aapki Pahchaan by Mahesh Dutt Sharma
देश भर में इन दिनों आधार कार्ड की बहुत चर्चा है। यह कार्ड आज भोजन की तरह हमारी अनिवार्यता बन गया है। आधार में महत्त्वपूर्ण क्या है? जवाब में आप कहेंगे—कार्ड। जी नहीं, कार्ड नहीं, इसकी बारह अंकोंवाली संख्या, जो अपने आप में एक यूनिक और स्थायी संख्या है। यह संख्या यूनिक इसलिए है, क्योंकि यह केवल आप ही को आवंटित की गई है, जिसके द्वारा दुनिया भर में कहीं से भी आपकी पहचान सुनिश्चित की जा सकती है।
जैसा कि आपको पता ही है, आज बैंक एकाउंट, ड्राइविंग लाइसेंस, टिकट बुकिंग, गैस-सब्सिडी, पासपोर्ट सहित ज्यादातर सरकारी सुविधाओं के लिए आधार नंबर अनिवार्य कर दिया गया है। इसे आसानी से नाममात्र का शुल्क देकर बनवाया और अपडेट कराया जा सकता है।
आधार कार्ड की महत्ता और आवश्यकता को विस्तार से बताती पुस्तक, जो इसे बनवाने, अपडेट करवाने व व्यावहारिक उपयोग करने के तरीके सरल-सुबोध भाषा में आपको बताएगी।
Aadhi Dunia by Rashmi Gaur
आधी दुनिया
प्रस्तुत कहानी-संग्रह की कहानियों में जीवन के विभिन्न रंग दृष्टिगत होते हैं। ‘आधी दुनिया’ में रत्ना की समाज-सेवा की लगन, एक मजबूर औरत की अरथी उठने का दर्द उन समाज-सेवी संस्थानों पर व्यंग्य है, जो एक विशेष आभिजात्य वर्ग की महिलाओं के लिए केवल फैशन परेड और विदेशों में घूमने का साधन बनी हुई हैं। जहाँ ‘कान खिंचाई’ में बच्चे बहादुरी का मीठा फल चख पाएँगे वहीं ‘लगन’ में विपरीत परिस्थितियों में भी लक्ष्य-प्राप्ति का संकल्प। ‘घोंसला’ में टूटते समाज में एकाकीपन का दर्द है तो ‘औलाद’ में अपने वतन में बसने की हौंस। इस प्रकार, नव रंगों में रची ये कहानियाँ अपनी कारुणिकता, मार्मिकता व रोचकता से पाठकों को एक नई दृष्टि देती हैं।
Aadidev Aarya Devata by Sandhya Jain
अंग्रेजी राज में अध्ययन की ऐसी शैली का सूत्रपात हुआ, जिसमें भारत की आदिवासी या जनजातीय जनसंख्या को आदिम सामाजिक समूहों के रूप में दिखाया गया, जो हिंदू समाज की मुख्यधारा से भिन्न और परे थी। अध्ययनकर्ता इस संस्थापित रूढि़वादिता पर संदेह कर रहे हैं, क्योंकि आध्यात्मिक-सांस्कृतिक परिदृश्य की सरसरी दृष्टि भी अत्यंत प्राचीन काल से जनजातियों और गैर-जनजातियों के बीच गहरे संबंधों की ओर इशारा करती है। दोनों समूह, जिन्हें एक-दूसरे से एकदम भिन्न बताया गया है, के बीच सक्रिय प्रभाव इस धारणा को चुनौती देता है। इसके अनुसार जनजातियाँ सुदूर जंगलों या पर्वत शृंखलाओं में रहती हैं।
जनजातियों और ‘उच्च’ जातियों ने भारत की देशीय परंपराओं का समान रूप से सम्मान किया है और उसे सहेजा है, हालाँकि उसकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दाय के प्रति जनजातीय योगदान मुख्यतः अमान्य है।
इस अध्ययन में प्रसिद्ध राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शिक्षाविदों की खोजों को मिलाकर संयुक्त रूप से यह बताने का प्रयास किया है कि जनजातीय समाज हिंदू सभ्यता की कुंजी और आधार है।
Aadiwasi Aur Vikas Ka Bhadralok by Ashwini Kumar ‘Pankaj’
प्रभात खबर के अपने कॉलम ‘जंगल गाथा’ में हेरॉल्ड अपनी मृत्यु तक लिखता रहा। उसका आखिरी लेख उसकी मृत्यु के कुछ दिनों बाद छपा। ‘जंगल गाथा’ कॉलम में सामू ने झारखंड आंदोलन के बहाने संपूर्ण आदिवासी विश्व पर लिखा। ऐसा कोई भी आयाम उससे अछूता नहीं रहा, जिस पर उसने विचार-मंथन नहीं किया, कलम नहीं चलाई। चाहे वह फिलीपीन के आदिवासियों का संघर्ष हो या लातीन अमेरिकी आदिवासियों अथवा अमेरिकी रेड इंडियनों की लड़ाइयाँ—उसने देश के सुदूर दक्षिण पाल्लियार आदिम आदिवासियों की कथा लिखी, तो बस्तर और सोनभद्र की कहानियाँ भी लोगों तक पहुँचाईं। झारखंड उसके लेखन के मुख्य केंद्र में था ही। आदिवासी सवालों पर लिखते हुए सामू ने न सिर्फ भारतीय शासक वर्गों की मौजूदा नीतियों, कार्यक्रमों और विकासीय परियोजनाओं पर तीखे प्रहार किए और उनकी अमानवीय-अप्राकृतिक दोहन-मंशा को परत-दर-परत उधेड़ा, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से उस सांस्कृतिक-दार्शनिक द्वंद्व को भी रखा, जिसे आर्य-अनार्य संघर्ष के रूप में दुनिया जानती है। इस अर्थ में वह हिंदी का पहला आदिवासी सिद्धांतकार है, जिसने आदिवासियत के आलोक में, आदिवासी विश्वदृष्टि के नजरिए से पूँजीलोलुप समाज-सत्ता के दर्शन पर चोट की। उसने बताया कि यह व्यवस्था लुटेरी और हत्यारी है तथा यह आदिवासी क्या, किसी भी आम नागरिक को कोई बुनियादी सुविधा और मौलिक अधिकारों के उपभोग का स्वतंत्र अवसर नहीं देने जा रही, क्योंकि विकास की उनकी अवधारणा उसी नस्लीय, धार्मिक और सांस्कृतिक सोच की देन है, जिसमें आदिवासियों, स्त्रियों, दलितों और समाज के पिछड़े तबकों के लिए कभी कोई जगह नहीं रही है।
—इसी पुस्तक से
Aahaar Chikitsa by Swami Akshey Atmanand
योग – जगत् ‘ के परम श्रद्धास्पद अधिकारी गुरु के रूप में प्रख्यात नाम है- स्वामी अक्षय आत्मानंदजी । स्वामीजी ने योगासन, प्राणायाम, अध्यात्म विज्ञान, सम्मोहन विज्ञान और चिकित्सा विज्ञान आदि विषयों पर अत्यंत सरल -सुबोध भाषा एवं तार्किक शैली में अति रोचक अनेक ग्रंथों की रचना की है । स्वामीजी का साहित्य इतना सराहा गया है कि उनके ग्रंथों के कई – कई संस्करण हुए हैं ।
स्वामी अक्षय आत्मानंद योग एवं आहार संबंधी चिकित्सा को समर्पित एक ऐसे व्यक्तित्व हैं, जिनकी पुस्तकें पाठक गण बड़ी श्रद्धा से पढ़ते हैं । उनकी पुस्तकों ने जहाँ स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान को सर्वसाधारण के लिए सहज-सुलभ बनाया है, वहीं पाठकों को गहरी अंतर्दृष्टि भी प्रदान की है ।
स्वामीजी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान पत्र द्वारा भी करते हैं ।
संपर्क सूत्र :
स्वामी अक्षय आत्मानंद
38/15, जैन भवन, लखेरा,
कटनी – 483504 ( म.प्र.)
Aaj Bhi Khare Hain Talab by anupam Mishra
तालाब का लबालब भर जाना भी एक बड़ा उत्सव बन जाता । समाज के लिए इससे बड़ा और कौन सा प्रसंग होगा कि तालाब की अपरा चल निकलती है । भुज (कच्छ) के सबसे बड़े तालाब हमीरसर के घाट में बनी हाथी की एक मूर्ति अपरा चलने की सूचक है । जब जल इस मूर्ति को छू लेता तो पूरे शहर में खबर फैल जाती थी । शहर तालाब के घाटों पर आ जाता । कम पानी का इलाका इस घटना को एक त्योहार में बदल लेता । भुज के राजा घाट पर आते और पूरे शहर की उपस्थिति में तालाब की पूजा करते तथा पूरे भरे तालाब का आशीर्वाद लेकर लौटते । तालाब का पूरा भर जाना, सिर्फ एक घटना नहीं आनंद है, मंगल सूचक है, उत्सव है, महोत्सव है । वह प्रजा और राजा को घाट तक ले आता था ।
पानी की तस्करी? सारा इंतजाम हो जाए पर यदि पानी की तस्करी न रोकी जाए तो अच्छा खासा तालाब देखते-ही-देखते सूख जाता है । वर्षा में लबालब भरा, शरद में साफ-सुथरे नीले रंग में डूबा, शिशिर में शीतल हुआ, बसंत में झूमा और फिर ग्रीष्म में? तपता सूरज तालाब का सारा पानी खींच लेगा । शायद तालाब के प्रसंग में ही सूरज का एक विचित्र नाम ‘ अंबु तस्कर ‘ रखा गया है । तस्कर हो सूरज जैसा और आगर यानी खजाना बिना पहरे के खुला पड़ा हो तो चोरी होने में क्या देरी?
सभी को पहले से पता रहता था, फिर भी नगर भर में ढिंढोरा पिटता था । राजा की तरफ से वर्ष के अंतिम दिन, फाल्गुन कृष्ण चौदस को नगर के सबसे बड़े तालाब घड़सीसर पर ल्हास खेलने का बुलावा है । उस दिन राजा, उनका पूरा परिवार, दरबार, सेना और पूरी प्रजा कुदाल, फावड़े, तगाड़ियाँ लेकर घड़सीसर पर जमा होती । राजा तालाब की मिट्टी काटकर पहली तगाड़ी भरता और उसे खुद उठाकर पाल पर डालता । बस गाजे- बाजे के साथ ल्हास शुरू । पूरी प्रजा का खाना-पीना दरबार की तरफ से होता । राजा और प्रजा सबके हाथ मिट्टी में सन जाते । राजा इतने तन्मय हो जाते कि उस दिन उनके कंधे से किसी का भी कंधा टकरा सकता था । जो दरबार में भी सुलभ नहीं, आज वही तालाब के दरवाजे पर मिट्टी ढो रहा है । राजा की सुरक्षा की व्यवस्था करने वाले उनके अंगरक्षक भी मिट्टी काट रहे हैं, मिट्टी डाल रहे हैं ।
उपेक्षा की इस आँधी में कई तालाब फिर भी खड़े हैं । देश भर में कोई आठ से दस लाख तालाब आज भी भर रहे हैं और वरुण देवता का प्रसाद सुपात्रों के साथ-साथ कुपात्रों में भी बाँट रहे हैं । उनकी मजबूत बनक इसका एक कारण है, पर एकमात्र कारण नहीं । तब तो मजबूत पत्थर के बने पुराने किले खँडहरों में नहीं बदलते । कई तरफ से टूट चुके समाज में तालाबों की स्मृति अभी भी शेष है । स्मृति की यह मजबूती पत्थर की मजबूती से ज्यादा मजबूत है ।
– इस पुस्तक से
Aaj Ki Baat Karen by Helle Helle
हेल्ले हेल्ले का जन्म 1965 में डेनमार्क के चौथे सबसे बड़े द्वीप लोलैंड के नगर नाकस्कॉव में हुआ था। उनका पालन-पोषण द्वीप लोलैंड के ही फेरी शहर रॉड्बी (Rødby) में हुआ था, जहाँ से नौकाएँ पुटगार्डन (जर्मनी) जाती हैं। साहित्य के प्रभाव में हेल्ले हेल्ले बचपन से थीं और अधिकांश समय पुस्तकालय में बिताती थीं। यह आभास उन्हें बहुत जल्दी ही हो गया था कि वह खुद भी एक लेखिका बनेंगी। रॉड्बी में करने के लिए बहुत कुछ नहीं था, इसलिए वे वयस्क होने पर कोपनहेगन शिफ्ट हो गईं। 1985 में उन्होंने कोपनहेगन विश्वविद्यालय में साहित्य अध्ययन में दाखिला लिया और एक लेखिका के रूप में उभरने लगीं।
साहित्य में स्नातक करने के पश्चात् उन्होंने 1991 में राइटर्स स्कूल, कोपनहेगन से स्नातक किया। उनकी पहली पुस्तक वर्ष 1993 में प्रकाशित हुई और तब से ही उनका लोकप्रिय लेखन प्रशंसा और आलोचना दोनों का एक चर्चित विषय रहा है। उन्होंने अभी तक कई कहानियों के अलावा वयस्क साहित्य पर 10 उपन्यास और बाल साहित्य पर एक पुस्तक लिखी है।
हेल्ले हेल्ले अनेक साहित्यिक पुरस्कारों से सम्मानित हुई हैं डेनिश क्रिटिक्स पुरस्कार, डेनिश अकादमी का बीट्राइस पुरस्कार, पी.ओ. एनक्विस्ट अवार्ड और डेनिश कला परिषद् का प्रतिष्ठित लाइफटाइम अवार्ड। उनकी कहानियों और उपन्यासों का 22 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। उपन्यास Dette Burde Skrives I Nutid (…आज की बात करें) के लिए उनको प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कार गोल्डन लौरेल से नवाजा गया है।
Aaj Ki Taaza Khabar by Rajendra Mohan Bhatnagar
आज की ताजा खबर—राजेंद्रमोहन भटनागर
ये मेरी नहीं, हजारों हजार उन लोगों की कहानियाँ हैं, जिन्होंने इन कहानियों को जिया है, पर जो उन्हें लिख नहीं सके।
इन कहानियों में अबूझे जन अपने को भूले-भटके तलाशते मन और उदासी में तल्लीनता ढूँढ़ते क्षण स्वयं से संवाद कर उठे हैं।
वे रहें या न रहें, परंतु उनकी इन यादों में अकेली साँझ, मौन में सोई सुबह और पत्थर कूटती दोपहरी चुपचाप बतियाती, आपबीती सुनाती जब-तब जरूर दस्तक देती जान पड़ेगी।
विलुप्त होती जा रही इनसानियत, रास्ता भटकी धूप-छाँव, वैश्विक समाज की छिन्न-भिन्न होती आवरण गाथा एवं उद्वेलित होती नृशंसता पुनः आत्म-चेतना की झिलमिल रोशनी में अपने आपको पहचानने की दावत देती है।
Aakarshan Ka Niyam by William Walker Atkinson
अपने आपको काम में व्यस्त कीजिए और अपने जीवन को एक स्वरूप दीजिए। यह मत सोचिए कि कुछ करने से पहले आपको ब्रह्मांड की तमाम पहेलियों को सुलझाना जरूरी है। उन पहेलियों की चिंता मत कीजिए और अपने सामने पड़े काम पर ध्यान दीजिए। अपने अंदर छिपे उस महान् जीवन-सिद्धांत को उसमें लगा दीजिए, जो प्रकट होने के लिए लालायित है। इस भ्रम में मत रहिए कि आपके शिक्षक या गुरु ने उस पहेली को सुलझा लिया है। यदि कोई उसे सुलझा लेने की बात करता है तो वह झूठ बोल रहा है और साहस बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
अबूझ पहेलियों और सिद्धांतों की चिंता मत कीजिए, काम कीजिए और जीना शुरू कीजिए। इन सिद्धांतों के बुलबुलों को फोड़ने का सबसे नायाब तरीका है—हँसना। हँसी एक ऐसी चीज है, जो हमें पागलपन से बचाती है। हास्य रस इनसान के लिए प्रभु का सर्वोत्तम उपहार है।
चाँद बनना छोड़ दीजिए; प्रतिबिंब बनाना बंद कर दीजिए। काम करने के लिए सक्रिय हो जाइए और अपने आपको सूर्य बनाइए। यह आपकी शक्ति है। हर व्यक्ति के अंदर सूर्य बनने के गुण होते हैं। कार्य प्रारंभ कीजिए और खुद को प्रकट कीजिए। अपनी रीढ़ को मजबूत और सिर को ऊँचा कीजिए।
—इसी पुस्तक से
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अपने भीतर छिपी शक्ति और मानसिक दृढ़ता को पहचानकर सफलता के द्वार खोलनेवाली प्रेरक पुस्तक।
Aakash-Sanket by Manoj Das
आकाश-संकेत
“चलिए, अब आप मुझे मेरे अगले सवाल का जवाब दीजिए। आपके बकरे का नाम क्या था?”
“जी?”
“देखिए, यहाँ जितने भाई खड़े हैं, उन सबने अपने-अपने पालतू जानवरों को कुछ-न-कुछ नाम दिया होगा। प्यारा-प्यारा नाम। है न? उदाहरण के तौर पर…”
एक ग्रामीण, जो हर बात को मजाक में उड़ाने में माहिर था, झट से बोला, “मैं अपनी बिल्ली को ‘महारानी’ कहकर पुकारता हूँ और अपने बैल की जोड़ी को ‘दुधिया’ और ‘लकदक’!”
“यह हुई न बात! अब छाकू भाई, तुम भी अपने प्यारे दिवंगत बकरे का नाम बताओ। यह तो बहुत बढ़िया होना चाहिए।”
छाकू की गरदन लटक गई।
“तुम इससे कितना प्यार कतरे थे—यह तो अब साफ हो ही गया है। दूसरे, क्या हमें यह बताने की कृपा करोगे कि कल तुमने अपने इस अति विशिष्ट बकरे को क्या खिलाया था?”
छाकू के हाथ-पाँव फूले दिख हरे थे।
“पनीर का केक? पुलाव? प्लेट भरकर रसगुल्ले? आखिरी चीज तुमने इसे क्या खिलाई थी? बताओ जरा?”
भीड़ में खड़े कुछ ज्यादा होशियार लोगों को लगा कि इस बात पर थोड़ा हँस देना चाहिए और उन्होंने वैसा ही किया।
—इसी उपन्यास से
मनोज दास ऐसे लेखक हैं जो पाठक का मनोरंजन करते हुए उसे हँसा या रुला सकते हैं, प्रसन्न या उदास कर सकते हैं। ऐसी ही विशेषताओं से संपन्न प्रस्तुत उपन्यास ‘आकाश-संकेत’ वर्तमान समाज की विद्रूपताओं, उठा-पटक, आम आदमी की दयनीयता तथा सफेदपोश समाज के काले कारनामों का पर्दाफाश करता है।
Aakhiri Baazee by S. Hussain Zaidi
हर कहानी के दो पहलू होते हैं…
मुंबई में हुए 26/11 के आतंकी हमलों के ग्यारह साल बीत चुके थे, लेकिन उसके जख्म अब तक नहीं भरे थे। खास तौर पर पुलिस अधीक्षक विक्रांत सिंह के। आजकल राष्ट्रीय जाँच एजेंसी के साथ जुड़े, विक्रांत भारत के दौरे पर आए, पाकिस्तानी उच्चायुक्त जाकिर अब्दुल रऊफ खान से किसी तरह एक मुलाकात तय कर लेते हैं। जहाँ तक विक्रांत का दावा है, वह केवल खान से यह अपील करना चाहते हैं कि अपराधियों को पकड़ने की प्रक्रिया को तेज किया जाए, लेकिन मुलाकात का अंत उच्चायुक्त के मुँह पर पड़े एक मुक्के से होता है। इस बीच, भोपाल में, इंडियन मुजाहिदीन के पाँच सदस्य, जिन्हें विक्रांत ने मुंबई में आतंकवादी हमले की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया था, सेंट्रल जेल से भाग निकलते हैं। हाल ही में राजनयिक के साथ हुई झड़प के मामले में निलंबित विक्रांत से, भागे हुए आतंकियों का पता लगाने में, अनाधिकारिक रूप से मदद करने को कहा जाता है।
देश के एक दूसरे हिस्से में, एक रिटायर्ड प्रोफेसर, टूटे दिल वाला एक पूर्व सैनिक और अपनी ही मुसीबतों से घिरी एक युवती अपने बारे में गहराई से सोचने के लिए मुंबई से लक्षद्वीप जा रहे एक क्रूज लाइनर पर एक यात्रा पर निकल पड़ते हैं। हालाँकि, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था, और क्रूज लाइनर को हाईजैक कर लिया जाता है। रहस्य, रोमांच, सस्पेंस, राष्ट्रप्रेम, कर्तव्यनिष्ठा और ऐसे अनेक पहलूओं की अनूठा मिश्रण है यह पुस्तक जो पाठक को बाँधे रहेगी और फिल्म देखने का आनंद देगी।
मसालेदार और दिलचस्प, हुसैन जैदी का जवाब नहीं।
Aakhiri Khwahish by Ajay K. Pandey
उसके पिता की हद से ज्यादा उम्मीदों ने हर विफलता के साथ उसके आत्मविश्वास को और भी डगमगा दिया। उसके जीवन में उसकी पत्नी उम्मीद की एक किरण लेकर आई, जिसका व्यक्तित्व इतना करिश्माई था कि वह जहाँ जाती खुशियाँ बिखेर देती थी। सबकुछ योजना के मुताबिक चल रहा था कि तभी अँधेरे ने दस्तक दे दी।
उसे पता चला कि उसकी पत्नी चंद दिनों की ही मेहमान है और उसने ठान लिया कि वह सारी मुश्किलों से लड़ेगा—यहाँ तक कि अपने परिवार से भी, अगर इससे उसके इलाज में मदद मिल जाए। उसके पिता को लगता है कि उनकी मदद करने से वह भी अपने पाप से मुक्त हो जाएँगे। वैसे भी उन्हें मालूम है कि उनका बेटा इस जंग को तभी जीतेगा जब अपनी पत्नी के लिए, अपनी पत्नी के साथ मिलकर लड़ेगा।
क्या एक हारा हुआ बेटा खुद को एक अच्छा पति साबित कर पाएगा?
क्या पिता-पुत्र की जोड़ी किस्मत के लिखे को मिटा पाएगी?
‘आखिरी ख्वाहिश’ प्रेम, संबंधों और त्याग की एक प्रेरक कहानी है, जो एक बार फिर साबित करती है कि एक अच्छी पत्नी बहुत अच्छे पति को बनाती है।
अजय के पांडे इससे पहले बेहद लोकप्रिय पुस्तक ‘यू आर द बेस्ट वाइफ’ लिख चुके हैं, जो उनके अपने जीवन की घटनाओं और दृष्टांतों पर आधारित है। इस पुस्तक ने न केवल कई दिलों को छू लिया है, और आज भी सर्वाधिक बिकनेवाली सूची में शामिल है।
Aalim Sir Ki English Class by Aalim
अंग्रेज़ी शब्दों के उच्चारण के मामले में आलिम सर एक जाना-माना नाम है। उनका कॉलम ‘ज़बान सँभाल के’ सन् 2004 में नवभारत टाइम्स, दिल्ली में प्रकाशित होना शुरू हुआ और बहुत जल्दी का़फी लोकप्रिय हो गया। उसके बाद पाठकों की माँग पर वह कई बार रिपीट भी हुआ।
आलिम सर का अंग्रेज़ी पढ़ाने का ढंग निराला है। हल्के-फुल्के अंदाज़ में वह अंग्रेज़ी उच्चारण के जटिल-से-जटिल नियम चुटकी बजाते समझा देते हैं। उनका मानना है कि यदि पाठक अंग्रेज़ी उच्चारण के सात नियम समझ जाए तो वह 80 प्रतिशत अंग्रेज़ी शब्दों के उच्चारण का ़खुद ही अंदाज़ा लगा सकते हैं। हल्का-भारी का नियम उनकी अनोखी खोज है, जिसमें उन्होंने हिंदी व्याकरण के बहुत आसान से नियम के आधार पर अंग्रेज़ी उच्चारण का बेसिक ़फंडा समझाया है। हिंदी के पाठकों के लिए यह बहुत उपयोगी साबित हुआ है।
इस पुस्तक में आलिम सर ने अपनी पुरानी क्लासों को संशोधित-संवर्धित रूप में प्रस्तुत किया है। हर क्लास के अंत में उसका सार और अभ्यास भी जोड़ा गया है, जो कि अ़खबार में छपे कॉलम में नहीं था।
अंग्रेज़ी भाषा को सहज-सरल ढंग से सीखने में सहायक एक अत्यंत उपयोगी पुस्तक।
Aam Aadmi Aur Loktantra by B S Shekhawat
आम आदमी और लोकतंत्र
अब हमें यह भी जान लेना चाहिए कि लोकतंत्र का पाँचवाँ स्तंभ भी है, जिसे गरीब आदमी कहा जाता है। यह स्तंभ ऐसा शक्तिशाली स्तंभ है, जो सत्ता को बदल डालता है। जनप्रतिनिधियों का कहना है कि चुनाव में विजय और पराजय यह सब तो चलता रहता है। कुछ कहते हैं, हम काम तो बहुत करते हैं, पर फिर भी हार जाते हैं। लेकिन उनके पराजित होने का कारण ही यही है कि जनता में एक वर्ग ऐसा है, जो यह मानता है कि यदि उसे प्रत्यक्ष में कोई लाभ होगा, उसकी गरीबी मिटेगी तभी उसे विश्वास होगा कि लोकतंत्र क्या है, कानून क्या है और प्रशासन क्या है। वह केवल भाषण से संतुष्ट नहीं होनेवाला है। वह संतुष्ट तभी होगा जब उसके पेट में प्रतिदिन आराम से दो रोटी पहुँच सकेगी। यदि वह संतुष्ट नहीं होगा तो असंतोष बढ़ेगा और यदि असंतोष बढ़ेगा तो लोकतंत्र के प्रति उसकी जो आस्था है, उसमें शनै:-शनै: कमी आती जाएगी—और जिस दिन ऐसे लोगों का संगठन बन गया तो कैसी स्थिति पैदा होगी, उसका अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता है।
—इसी पुस्तक से