Showing 134151–134200 of 196958 results

Sample Preparation

SKU: J-148266

Sample Preparation

Sampoorna Baal Natak by Vishnu Prabhakar

SKU: 9789387968530

विष्णु प्रभाकरजी ने बड़ों के साथ-साथ बच्चों के लिए भी लगभग सभी विधाओं में साहित्य सृजन किया है। इनमें कहानी, नाटक, यात्रा-वृत्तांत, जीवनियाँ आदि सभी कुछ हैं। बच्चों के लिए लिखते समय उन्होंने इस बात का विशेष ध्यान रखा कि जो भी लिखा जाए, बच्चों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर लिखा जाए—जो रोचक भी लगे और शिक्षाप्रद भी हो। विष्णुजी ने अपने नाटकों में बच्चों को नई-से-नई बात बताने का प्रयास किया। उनका मानना था कि परी-कथाओं के कल्पित संसार में बच्चों को नहीं भटकना चाहिए। उन्हें विज्ञान की दुनिया में घुमाने पर हम पाएँगे कि वह बहुत रोचक और सुंदर है। साथ-साथ उनकी यह कोशिश रही कि बच्चों को आज के समाज और जीवन की बातें भी बताएँ। आम जीवन के रोचक प्रसंगों को लेकर नाटक की रचना इस प्रकार की जाए कि उसे पढ़ने में तो आनंद आए ही, साथ ही इसे मंच पर आसानी से खेला भी जा सके।
विष्णुजी के नाटकों की भाषा सरल है और संवाद संक्षिप्त व प्रभावी हैं। शिक्षा कहीं भी ऊपर से आरोपित नहीं लगती है, बल्कि वह सहज अभिनय और कथा के अंदर से स्वतः प्रस्फुटित होती है। मंच पर ज्यादा सजावट-बनावट का चक्कर भी नहीं है। बच्चे स्वयं ही सरलता से अभिनय कर सकते हैं।
बालमन को प्रेरित-संस्कारित करनेवाले अभिनेय बाल नाटकों का अनुपम संग्रह।

Sampoorna Laghu Kathayen by Vishnu Prabhakar

SKU: 9788173157141

संपूर्ण लघु कथाएँ—विष्णु प्रभाकर
उस दिन उनके घर में हर्षोल्लास का माहौल था। उन्होंने गत वर्ष जो मकान खरीदा था, उसको तोड़ने पर दीवारों में से अपार अनर्जित संपदा उन्हें प्राप्त हुई थी।
उस मकान का पूर्वकालिक स्वामी, कभी जिसके ऐश्वर्य और विलास की सीमा नहीं थी, सरकारी अस्तपाल के छोटे से कमरे में पड़ा था। वह अभी-अभी मृत्यु के मुँह से लौटा था। सभी मित्र-परिजन, यहाँ तक कि उसके पुत्र भी, उसे छोड़ गए थे। केवल उसकी पत्नी किसी स्कूल में पढ़ाकर किसी तरह उसकी देखभाल कर रही थी। घर लौटते समय उसने अपार संपदा पाए जाने का यह समाचार सुना और पति से कहा, “दीवारों में संपदा छिपी है—काश, यह बात हम जान पाते!”
पति ने धीरे से कहा, “अच्छा हुआ, जो मैं न जान पाया। मैं अब जान पाया हूँ कि मैंने मकान बेचकर सुख पाया है। उसने मकान खरीदकर सुख खोया है। पसीना बहाकर जो तुम कमाकर लाती हो, उसी ने मुझे जीवन दिया है। इससे बड़ा ऐश्वर्य कुछ हो सकता है, मैं नहीं जानता।”
मंद-मंद मुसकराते हुए पत्नी ने पति की आँखों में झाँका और उनका माथा सहलाते हुए प्यार भरे स्वर में कहा, “मैं यही सुनना चाहती थी।”
—इसी पुस्तक से

मसिजीवी रचनाकार विष्णु प्रभाकरजी ने कहानियाँ, उपन्यास, नाटक आदि ही नहीं लिखे, बल्कि विपुल मात्रा में लघुकथाएँ भी लिखी हैं। ‘देखन में छोटी लगें, घाव करें गंभीर’ को चरितार्थ करनेवाली ये लघु कथाएँ मानवीय संवेदनाओं को स्पर्श करती हैं और रोचक, मनोरंजक एवं शिक्षाप्रद हैं।

Sampoorna Sawasthya Ke Liye Yoga by Dr. Vinod Verma

SKU: 9789386001702

‘योग’ इस युग में सबसे अधिक प्रयोग में लाया जानेवाला शब्द बन गया है। बीते पच्चीस वर्षों में इसका उपयोग विभिन्न विचारों और अर्थों को व्यक्त करने के लिए किया गया। उनमें से इसका सबसे अधिक प्रयोग शारीरिक व्यायाम के लिए किया गया है।
यौगिक अभ्यासों पर फिलहाल जितनी भी पुस्तकें हैं, वे योग को महज धीमे जिमनास्टिक के रूप में प्रस्तुत करती हैं। योग पर कुछ और पुस्तकें भी हैं, जो इस विधा को पूरी तरह से हिंदू परंपरा में ढालती हैं, जिसे स्वीकार करना कई लोगों के लिए मुश्किल हो जाता है। उन्हें एक ओर यौगिक मुद्राओं को करने में शारीरिक कठिनाई आती है तो दूसरी ओर वे योग के दार्शनिक पहलू को नहीं समझ पाते।
इस पुस्तक में दिए गए यौगिक अभ्यास का कोर्स पूरी तरह मौलिक है। यही नहीं, इसे अच्छा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य देने के मूल उद्देश्य से तैयार किया गया है।
इस पुस्तक में, दैनिक जीवन के सभी पहलुओं, शरीर की दशाओं तथा हम सब के अस्तित्व से जुड़ी मानसिक स्थितियों का खयाल रखा गया है। यह पुस्तक किसी एक निश्चित आयु वर्ग को ध्यान में रखकर नहीं लिखी गई है, वरन् यह सबके लिए उपयोगी है।
स्वस्थ शरीर और मन के लिए योग का व्यावहारिक उपयोग बताती एक संपूर्ण पुस्तक।