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Samarth

SKU: Mag-13944

Samarth is a quarterly magazine for Seniors, that brings you news, information, stories about friendship, family and poems you can use and enjoy. Published from New Delhi, Samarth brings distinctive content on activities you may want to take up, places you may want to go and people who may inspire you. The magazine covers variety of topics that include health, travel, legal issues, financial and retirement planning, elder care, care-giving, and technology for elders. It has special large-print edition that is the perfect fit for seniors.

Samarth Bharat by Ed. Prabhat Jha

SKU: 9788173157318

सुविदित है कि भारत सोने की चिड़िया कहलाता था । जब विश्‍व के अधिकांश देश पिछड़े हुए थे तब भारत समृद्ध राष्‍ट्र था । अंग्रेजों के शासन से पूर्व यह विश्‍व के धनी राष्‍ट्रों में से एक था ।
विडंबना है कि आज भारत अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है । गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्‍टाचार, जातिवाद, क्षेत्रवाद, वंशवाद, बालश्रम, भुखमरी, कुपोषण, किसानों की। आत्महत्या, धर्मांतरण, घुसपैठ, अशिक्षा, शिक्षा का व्यवसायीकरण, नक्सलवाद, आतंकवाद, बेलगाम महँगाई से देश की स्थिति भयावह हो रही है । इनका मूल कारण रहा कि हम पाश्‍चात्य देशों की अंधी नकल करने में लगे रहे, जबकि हमें अपने देश की समस्याओं का समाधान अपनी माटी में ही तलाशना चाहिए था ।
पर इतिहास साक्षी है कि अनेक झंझावातों को झेलने के बाद भी भारत समर्थ सिद्ध हुआ है । मंदी के दौर में जहाँ दुनिया के विकसित राष्‍ट्र भी लड़खड़ा गए वहीं हा चट्टान की भांति अडिग रहे ।
सन् 2020 में समृद्धशाली भारत का सपना तभी साकार हो सकता है, जब हम पाश्‍चात्य देशों की नकल छोड़कर अपनी ही प्रकृति के अनुसार विकास प्रक्रिया को आगे बढ़ाएँ व भारत को पश्‍च‌िम की कार्बन कॉपी बनाने की बजाय भारत ही रहने दें ।
समर्थ भारत में संकलित हैं-
शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, चिकित्सा, राजनीति विधि तथा अन्य सामाजिक क्षेत्रों के विश‌िष्‍ट महानुभावों के व्यापक अनुभव से भारत की सामर्थ्य और शक्‍त‌ि को रेखांकित करते मार्गदर्शक एवं प्रेरणाप्रद लेख ।

Samarth Guru Ramdas by M.I. Rajasvi

SKU: 9789384344405

भारत के सकल समाज के उद्धार में समर्थ गुरु रामदास का महत्त्वपूर्ण योगदान है। समर्थ गुरु ने युवावस्था में ही ख्याति अर्जित कर ली थी। गुरु रामदास ने ऐसे अनेक दुष्कर एवं असंभव लगनेवाले कार्य किए, जिन्हें संपन्न करने के कारण उन्हें ‘समर्थ गुरु’ कहा गया।
लंबे समय के बाद समर्थ गुरु की भेंट छत्रपति शिवाजी से हुई। दोनों ने मिलकर स्वराज की स्थापना का बीड़ा उठाया, जिसमें वे सफल रहे। समर्थ गुरु के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में छत्रपति शिवाजी मराठा साम्राज्य की स्थापना एवं उसकी नींव मजबूत करने में सफल रहे। बिना गुरु के ज्ञान नहीं होता है, गुरु ही सच्चा मार्गदर्शक होता है और वह गुरु समर्थ रामदास जैसा हो तो निस्संदेह शिवा का ही जन्म होता है। वह शिवा जो राष्ट्र का गौरव है, रक्षक है, मार्ग-प्रदर्शक है।
प्रस्तुत पुस्तक ‘समर्थ गुरु रामदास’ भारतीय जन-समुदाय के लिए अत्यंत पठनीय है।

Samarth Ramdas

SKU: Mag-27187

“When Narayan was just eight years old, he had a dream in which Lord Rama chose him as his devotee. From that day onwards, he insisted on being known as Ramdas. A few years later, just when he was about to enter the life of a householder, he ran away from home, choosing to live as an ascetic.

Ramdas spent twelve long years in prayer and penance, at the end of which he was rewarded with a divine vision. He began to move from region to region, preaching and performing miracles. Though he yearned for spiritual salvation, he was deeply concerned for the welfare of the people around him and did much for their emancipation. He is remembered as Shivaji’s spiritual mentor.

Samartha Guru Ramdas by Anil Kumar ‘Salil’

SKU: 9789351863748

Samartha Guru Ramdas was born in 1606 in village Jamb in Aurangabad district of Maharashtra on the day of Ramnvami. His father, Sri Suryaji Pant, was the worshipper of the sun-god. His mother, Renubai, was a down-to-earth orthodox religious lady. His parents called him ‘Narayan’ in his childhood days.

Samaru Journal of Information Studies

SKU: J-144101

Samaru Journal of Information Studies

Samasyayo Ka Samadhan – Tenali Ram Ke Sang

SKU: Mag-22995

“Tenali Raman was a court jester, an intelligent advisor and one of the ashtadiggajas (elephants serving as pillar and taking care of all the eight sides) in the Bhuvana Vijayam (Royal Court) of the famed emperor of Vijaynagar Empire (City of joy) in Karnataka – Sri Krishna Deve Raya (1509- 1529), the model rular par excellence to Ashoka, Samudra Gupta and Harsha Vardhana. Tenali Raman was an embodiment of acute wit and humour and an admirable poet of knowledge, shrewdness and ingenuity. In a short span, the legacy left behind by Tenali Raman attained eternity. All these qualities of Tenali Raman have been fully explored and displayed in this collection of vibrant fables and anecdotes.
The book is a marvelous treasury of legends of Tenali Raman and Emperor Raya which evokes a long lost, never- never land: an enchanted world of alert wits and tricky gossips; crafty crooks with biting tongues, valiant brigands and an assorted cluster of uncommon common people.
Narrated by the author and superbly illustrated, “Fix Your Problems – The Tenali Raman Way” is an engaging blend of earthly wisdom and sparkling humour which deal with concepts that have certain timelessness. Each story is followed by terse moral and incalculable snippets which are usually that little extra that brings the reader a little more closer to his goal on the way to realizations. Every story purveys a pithy folk wisdom that triumphs over all trials and tribulations. The moralistic traits sagaciously portrayed by these stories intend to develop a series of impacts that can reinforce certain key ideas by the rational mind of the readers in all facets of life and propel them to the top in every endeavour. The stories various layers of meaning educates, informs, advises, enthuses, inspires and amuses and thus have a teaching effects which makes this book a must read for every aspiring individuals who wants to race ahead in the world of opportunities and cusses. The book also exposes how richly endowed Bharata Khanda (India before invasions) had been in the east in the field of wisdom and knowledge down the ages of which the west is ignorant.

Samay Ka Sach by R.K. Sinha

SKU: 9789352666027

रवींद्र किशोर सिन्हा की पत्रकारिता का मूलाधार राष्ट्रीयता का भाव है, जिसकी गूँज आद्योपांत इस संग्रह के संकलित लेखों में सुनाई पड़ती है। उन्होंने भारत को भारत के नजरिए से समझने-समझाने का प्रयास किया है, जो अत्यंत सराहनीय तो है ही, बोधप्रद भी है। इस दृष्टि का अभाव जो मीडिया में दिखता है, उसे ये लेख पूरा करते हैं। इस चिंतन का फलित रूप राजनीति, समाज, संस्कृति, धर्म, व्यवसाय, विदेश नीति, भाषा आदि अन्यान्य विषयों के निरूपण में दिखाई पड़ता है।
इस संग्रह में कुल 66 लेख संकलित हैं। ये कालक्रम की दृष्टि से राजग-दो की अवधि में घटी घटनाओं के विषयों से संबंधित हैं, लेकिन उसी तक सीमित नहीं हैं। हर लेख अपने आप में पूरा है। उस विषय को समग्रता से प्रस्तुत करता है। इसमें रोजमर्रा के जीवन में काम आने वाली पारिभाषिक शब्दावलियों की भरमार है। उन शब्दावलियों की परिभाषा भी बोधगम्य है।
प्रस्तुत पुस्तक में निहित विचार-संपदा को पढ़कर न केवल पत्रकारिता के अध्येता की शोधवृत्ति पैनी होगी, बल्कि वे एक मँझे हुए पत्रकार की लेखन-शैली से सीधे जुड़ा हुआ अनुभव करेंगे। इतना ही नहीं, हर पाठक पुस्तक को ‘समय का सच’ मानेगा।

Samay Patrika

SKU: Mag-17305

Samay Patrika hindi magazine -all about books.

Samaya Bharat Ke Suryodya Ka by S Gurumurthy

SKU: 9788173158551

आज भारत विश्व-पटल पर अपनी एक विशिष्ट पहचान बना चुका है। प्रगति के पथ पर सरपट दौड़ती भारत की अर्थव्यवस्था लोगों को चकित कर रही है। आधारभूत ढाँचा निरंतर बेहतर हो रहा है, विकास का सूर्य चमक रहा है। आर्थिक मंदी के दौर में भी भारत का विकास-क्रम जारी रहा है।
सुप्रसिद्ध अर्थ-चिंतक और नीतिज्ञ एस. गुरुमूर्ति का दृढ़ विश्वास है कि यह समय भारत के सूर्योदय का है। भारत हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है—अतीत के अंधकार से निकलकर एक नया चमकता प्रकाश देखने के लिए। उनका मानना है कि बड़ी हैरानी की बात है कि भारत जिस तेजी से विकास कर रहा है, उसका हम भारतीयों को पूरा ज्ञान नहीं है।
प्रस्तुत पुस्तक में उनके विचारशील चिंतन से भारत की सामाजिक-आर्थिक दशा-दिशा और व्यावहारिक कठिनाइयों तथा उनसे उबरने का मार्ग निकलता है।
भारत के उज्ज्वल एवं स्वर्णिम भविष्य का मार्ग प्रशस्त करती चिंतनपरक पुस्तक।

Samaya by Sanjay Sinha

SKU: 9789351866961

मैं पूछता, ‘‘माँ, संसार क्या है?’’
‘‘सब समय है। ब्रह्मांड में सारे ग्रह घूम रहे हैं। ग्रहों का यह चक्र ही समय है। यही संसार है।’’
‘‘माँ, फिर ‘जिंदगी’ क्या है?’’
‘‘यह समय का एक छोटा सा क्षण है। धरती पर आने और जाने के बीच के इसी क्षण को जिंदगी कहते हैं। लोग रोज आते हैं, रोज चले जाते हैं।’’
‘‘फिर उसके बाद?’’
‘‘फिर समय का पहिया घूमता हुआ आता है और हमें एक नए संसार में ले जाता है। नए रिश्तों से जोड़ देता है। नई जिंदगी मिल जाती है।’’
‘‘फिर इतनी मारा-मारी क्यों, माँ?’’
‘‘अज्ञान की वजह से।’’
‘‘यह अज्ञान क्यों?’’
‘‘अहंकार की वजह से। जैसे आँखें सबकुछ देखती हुई भी खुद को नहीं देख पातीं, उसी तरह अज्ञान भी खुद के वजूद का पता नहीं चलने देता।’’
‘‘फिर मुझे क्या करना चाहिए?’’
‘‘तुम जीना। जीने की तैयारी में जिंदगी खर्च मत करना।’’
मैं जीने लगा हूँ, आप भी चलिए मेरे साथ ‘समय’ के सफर पर।

Samaya Prabandhan by Pk Arya

SKU: 9789350484432

अगर आप यह कहते रहते हैं कि अमुक काम के लिए मेरे पास समय ही नहीं है तो आप समय-प्रबंधन नहीं जानते। उचित समय-प्रबंधन से आप प्रत्येक कार्य—पढ़ाई, खेल, मनोरंजन, गपशप, भरपूर नींद, सुबह की सैर आदि सब कर सकते हैं। समय-प्रबंधन में जरा भी कठिनाई नहीं है, इसका सीधा सा फॉर्मूला है—प्रत्येक कार्य अपने तय वक्‍त पर किया जाए—समय पर सोकर उठना, समय पर नहाना, समय पर खाना, समय पर पढ़ाई, समय पर दफ्तर के सारे काम निबटाना।
याद रखें, जो व्यक्‍ति समय को नष्‍ट करता है, समय ही उसे नष्‍ट कर देता है। समय नष्‍ट करनेवाला व्यक्‍ति असहाय तथा भ्रमित होकर यूँ ही भटकता रहता है। कार्यों को टालने या अधर में लटका देने की आदत समय-प्रबंधन के मार्ग के सबसे बड़ी बाधा है। इनसे उबरकर उचित समय-प्रबंधन करके सफलता पाई जा सकती है।
समय किसी के लिए नहीं रुकता और बीता समय कभी लौटकर नहीं आता। दरअसल, समय-प्रबंधन ही जीवन-प्रबंधन है। टाइम मैनेजमेंट की बेजोड़ पुस्तक।

Samaya Sakshi Hai by Manu Sharma

SKU: 9788173156298

समय साक्षी है—मनु शर्मा
मनु शर्मा के तीन उपन्यासों की श्रृंखला में यह दूसरा उपन्यास है। ‘समय साक्षी है’ का कालखंड आजादी से पूर्व का है। उस समय स्वतंत्रता आंदोलन जोरों पर था। बनारस में ‘नहीं रखनी सरकार जालिम, नहीं रखनी’ ऐसे गीत गाते हुए देश प्रेमियों के दल-के-दल दशाश्‍वमेध घाट से जुलूस निकालते हुए टाउन हॉल के मैदान में सभा के रूप में परिवर्तित हो जाते थे।
आजादी की लड़ाई में उफान उस समय आया जब 9 अगस्त, 1942 को बापू ने देश की जनता को ‘करो या मरो’ का नारा दिया। फिर क्या था—जनता सर पर कफन बाँधकर सड़कों पर उतर आई। गांधीजी गिरफ्तार कर लिये गए। दूसरे बड़े नेता भी रातोरात पकड़ लिये गए।
अजीब समाँ था—जेलें भरी जाने लगीं, अस्पतालों में बिस्तर खाली नहीं। गलियों में, सड़कों पर आबालवृद्धनारीनर सब पर आजादी पाने का जुनून सवार था। सरकारी भवनों से यूनियन जैक हटाकर तिरंगा फहराया गया। चारो तरफ अराजकता फैल गई थी। ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ की हद पार हो गई। रेलें रोकी जाने लगीं, संचार माध्यम नष्‍ट किए जाने लगे, सरकारी संपत्ति की लूट मची और पुलिस थानों पर कब्जा कर लिया गया।
स्वातंत्र्य समर के दौरान अगणित पात्रों, घटनाओं, विभीषिकाओं का जीवंत दस्तावेज है यह उपन्यास। उस काल की घटनाओं की बारीकियों को प्रस्तुत करता है—‘समय साक्षी है’।