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1000 Uttar Pradesh Prashnottari by Sanjay Kumar Dwivedi
1000 उत्तर प्रदेश प्रश्नोत्तरी
उत्तर प्रदेश भारत का सबसे घनी आबादीवाला प्रदेश है। राजधानी लखनऊ एक ऐतिहासिक नगर होने के साथ-साथ नवाबी तहजीब के लिए प्रसिद्ध है। यह देश के उत्तरी भाग में स्थित है। स्वतंत्रता की लड़ाई में इसका महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। यह अनेक राष्ट्रभक्तों की जन्म-स्थली एवं कर्म-स्थली रहा है। देश को सर्वाधिक सांसद एवं प्रधानमंत्री देने का गौरव इसको प्राप्त है।
यहाँ विभिन्न जाति व संप्रदाय के लोग रहते हैं। यहाँ की इतनी विविध और महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ हैं, जिनका दुनिया में कोई शानी नहीं; जैसे—खुर्जा का पॉटरी उद्योग, बनारस की साड़ियाँ, फिरोजाबाद का चूड़ी उद्योग, इलाहाबाद का कुंभ, दुनिया का सातवाँ अजूबा विश्व-प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल यहीं स्थित है।
उत्तर प्रदेश की संपूर्ण जानकारी को 1,000 प्रश्नों में समेट पाना दुष्कर कार्य है। फिर भी शिक्षा, उद्योग, संस्कृति, हस्तशिल्प, पर्यटन, लोक-परंपराएँ, दर्शनीय स्थल, ऐतिहासिक महत्त्व आदि की जानकारी को सार रूप में प्रश्नोत्तर शैली में प्रस्तुत किया गया है।
आज बढ़ती प्रतियोगिता के वातावरण में ऐसी पुस्तकों की लोकप्रियता बढ़ रही है। विद्यार्थियों के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण पुस्तक।
1000 Vaastushastra Prashnottari by Madhu Khaare
व्यक्ति के जीवन को विभिन्न शक्तियाँ प्रभावित करती हैं । वास्तुशास्त्र एक महत्त्वपूर्ण शक्ति है । अगर किसी व्यक्ति के सितारे बहुत अनुकूल हैं तो वास्तु सिद्धांतों के उल्लंघनजनित विपरीत प्रभाव अधिक सीमा तक महसूस नहीं होते । लेकिन सितारे यदि अनुकूल नहीं हैं तो वे बुरी तरह महसूस होते हैं ।
वास्तुशास्त्र का गहन अध्ययन और उसकी तार्किक व्याख्या ऐसे सुधार के उपाय सुझाते हैं, जिसमें मुश्किल से कोई संरचनात्मक परिवर्तन शामिल होता है । इसमें अनेक कारकों का ध्यान रखा जाता है; जैसे-कमरों की आतरिक व्यवस्था, फर्नीचर आदि की स्थिति, वाहनों की पार्किंग पानी के स्रोत की स्थिति, सीढ़ियों, दरवाजे, खिड़कियाँ आदि । इनमें से किसी कारक को अलग से नहीं देखा जाना चाहिए ।
प्रस्तुत पुस्तक में पिछले दो दशकों के दौरान विभिन्न लोगों से विचार-विमर्श पर आधारित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्नों को संगृहीत किया गया है । यह पुस्तक भवन निर्माताओं एवं वास्तुशिल्पियों के लिए तो लाभदायक सिद्ध होगी ही, उनके लिए भी उपयोगी सिद्ध होगी, जो वास्तु के विषय में अधिकाधिक जानना चाहते हैं ।
1000 Vishwa Prashnottari by Anish Bhasin
मानव जीवन का आरंभ सवालों से हुआ है। ब्रह्मांड की रचना कैसे हुई? सूर्य, चंद्रमा, पृथ्वी और तारे अस्तित्व में कैसे आए? दिनरात कैसे होते हैं? महासागर, महाद्वीप, देश, दुनिया, आविष्कार, जीवजंतु जगत् इत्यादि के प्रति लोगों के मन में सदैव तरहतरह के सवाल कौंधते रहते हैं। अगर हमारे मन में सवाल नहीं उठते तो आप व हम यह नहीं जान पाते कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है या सूर्य पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। दरअसल, सवाल ही हमारे दिमाग को विकसित करते हैं। सवाल ही हमारे दिमाग की खुराक है। बच्चा जब पैदा होता है, वह अबोध होता है। बढ़ने के समय उसके मन में सवाल उठते हैं और उनके जवाब से उसका दिमाग विकसित होता है। अविकसित दिमाग मांस का एक लोथड़ा भर होता है। दिमाग के विकास के लिए सवाल करना और उनका जवाब पाना बेहद जरूरी है। जेम्स वॉट की सवाल करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति ने ही उन्हें ‘महान् वैज्ञानिक’ बनाया।
सवाल दरअसल वह बीज हैं, जो मानव मस्तिष्क को वट वृक्ष सरीखा विशाल बना सकते हैं। हम जितना ज्यादा सवाल करेंगे, उतना ही हमारा मस्तिष्क समृद्ध होगा।
‘1000 विश्व प्रश्नोत्तरी’ पुस्तक एक ऐसा वृहत् संकलन है, जो न केवल सवालों के प्रति आपकी जिज्ञासा बढ़ाता है, बल्कि उनके जवाब भी देता है और इस प्रकार मस्तिष्क विकास का एक सरलसहज माध्यम उपलब्ध कराता है। याद रखें, अगर आपके पास सभी जवाब हैं तो आप निश्चित रूप से सफल हैं।
1001 Questions and Answers on English Grammar
A book for students interested in finding out how many things about the English language have changed, and how many have weathered the test of time. – Summary by jasonb
1001 Questions and Answers on General History
A book for students of history to test their knowledge and to direct their studies. As the title tells us, this is a book of 1001 questions, with answers, regarding world history. – Summary by KevinS
101 Great Personalities Who Change the World by A.K. Gandhi
Many take birth in this world and leave without leaving a mark. It is the ones who have left footprints on the sands of time that are remembered. They are the great people who have achieved something and inspired thousands. They are the people who have strived and contributed to the world and society at large.
This book is the saga of such hundred and one personalities and highlights their contribution in their respective fields. It throws light on the achievements of those who had the courage to follow their own heart and convictions, even when opposed. Their revolutionary ideas brought a change and shaped the course of history.
101 Hastiyan, Jinhonne Duniya Badal Di by Dinkar Kumar
मानव सभ्यता के इतिहास का निर्माण कुछ ऐसे असाधारण व्यक्तियों ने किया है, जो मानव जाति की स्मृतियों में सदा-सदा के लिए अमर हो गए हैं। ऐसी असाधारण हस्तियों के बगैर हम एक विकसित दुनिया की कल्पना नहीं कर सकते। संसार के ऐसे विशिष्ट व्यक्तियों की कोई सूची नहीं बनाई जा सकती। प्राचीनकाल से ही इस धरती पर ऐसे कर्मठ और पुरुषार्थी व्यक्तियों का जन्म होता रहा है, जो अपने जीवन और कर्म के जरिए संसार को बदलने में निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं। इस पुस्तक में ऐसी ही 101 चुनी हुई हस्तियों की जीवनी प्रस्तुत की गई है।
इन 101 हस्तियों में अलग-अलग श्रेणियों, यानी दर्शन, राजनीति, आविष्कार और संस्कृति आदि सभी क्षेत्रों के लोग शामिल हैं।
इस पुस्तक के माध्यम से पाठकों को मानव जाति के इतिहास की यात्रा करने का अवसर मिलेगा कि किस तरह मानव जाति के धार्मिक एवं दार्शनिक विकास के जरिए उसकी राजनीतिक प्रगति संभव हुई और फिर किस तरह मनुष्य की सृजन क्षमता और उद्यमशीलता का विकास संभव हो पाया।
101 Questions on Acupressure and Reflexology by Dr Ak Saxena / Dr Preeti Pai
Over a period of time, acupressure has gained a lot of prominence for the precise reason that it is free from any side effects since no medication/surgery is required. It is totally non-conventional, non- invasive and non- interventional. Moreover, it is seen that this therapy is very effective in helping patients suffering from cervical/ lumber spondylitis; sinusitis; backaches; knee pain; heel pains; sciatica; prolapsed disc; constipation; indigestion; IBS; PMS; insomnia; depression; tennis elbow; asthma; hypertension, migraine; neuro problems, etc., to name a few.
There was demand from many quarters for having a book in question and answer form, answering the questions that generally trouble the mind of learners/readers about the efficacy and usefulness of this therapy. As the title of the book itself suggests, an attempt has been made to answer probable questions that may come to the mind of the reader. All possible efforts have also been made to explain the precise location of the trigger points shown in the figures with as much clarity as possible.
101 Ways to Cure Diabetes by Dr. Anil Chaturvedi
Diabetes is a demon ailment, which makes your body extremely weak by reducing the strength of your immune system and overall health. But, don’t fear as you can now take the bull by the horns with this 101 Ways To Cure Diabetes
101 Weight Loss Tips by Dr. Anil Chaturvedi
“If eating less is a punishment, eating more is surely a crime.”
Dr. Anil Chaturvedi has succinctly put his thoughts in these words. One is constantly warned that excess of everything is bad: especially eating. Since the last 10-15 years, the lifestyle of people has changed drastically. It is fraught with mental tension and sedentary life, which completely rules out time for physical exercise or any physical activity that could help burn calories and mitigate health problems.
The author of this book has penned down, after great research, some measures which can reduce fat and help one maintain good health. In addition, he has explained in detail the causes and resultant effects of obesity.
These have been carried out based on various components of health. He has given information regarding BMI, proteins, carbohydrates, caloric value of food and how to calculate them. Besides this, he has given schedule of controlled diets also.
A practical handbook for losing weight and be healthy.
12 Creepy Tales
This is a collection of 12 creepy stories by that master of creepiness, Poe. The Black Cat; The Fall of the House of Usher, The Raven; The Tell Tale Heart, The Masque of the Red Death, the Premature Burial and six others that are a shuddering delight to read and listen to. Turn off the lights, settle down and hear these stories read to you as only LibriVox readers can perform them. (Summary by Phil Chenevert)
125 Ganit Paheliyan by Rajesh Kumar Thakur
125 गणित पहेलियाँ
पहेलियाँ दिमाग का आलोड़न कर मस्तिष्क को तरोताजा रखने में मदद करती हैं। और जब बात हो गणित की, तब निस्संदेह पहेलियाँ गणित को एक मनोरंजक विषय बनाने में मददगार साबित होती हैं। महान् गणितज्ञ भास्कराचार्य ने अपनी पुस्तक ‘लीलावती’ में गणित को सहज-सरल पहेलियों के रूप में प्रस्तुत किया है, क्योंकि उनका मानना था कि पहेलियाँ गणित को सरस बनाती हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में भी लेखक ने गणित की बारीकियों को पहेली के माध्यम से सुगम बनाने का सफल प्रयास किया है। साथ ही प्रत्येक पहेली के पीछे छिपे गणितीय रहस्य को पाठकों के सामने लाकर गणित की जटिलता को समाप्त कर मनोरंजन के साथ-साथ इसे सारगर्भित बनाने का सराहनीय प्रयास भी किया है।
1601: Conversation, as it was by the Social Fireside, in the Time of the Tudors
Please note: this recording contains strong language. “1601,” wrote Mark Twain, “is a supposititious conversation which takes place in Queen Elizabeth’s closet in that year, between the Queen, Ben Jonson, Beaumont, Sir Walter Raleigh, the Duchess of Bilgewater, and one or two others … If there is a decent word findable in it, it is because I overlooked it.” 1601 depicts a highfalutin and earthy discussion between the Queen and her court about farting and a variety of sexual peccadillos, narrated disapprovingly and sanctimoniously by the Queen’s Cup-Bearer, an eyewitness at “the Social Fireside.” [Summary by Denny Sayers] Cast: Introduction ? Denny Sayers Narrator ? Jonathan Horniblow The Queen ? miette Beaumonte ? David Lawrence Lady Margery Boothy ? Kristin Hughes Lady Alice Dilberry, Ben Jonson, Lord Bacon ? Ruth Golding Lady Helen ? Philippa Sir Walter Ralegh ? Mark F. Smith Shaxpur ? Andy Minter
1601: Conversation, as it was by the Social Fireside, in the Time of the Tudors (Version 2)
Please note: this recording contains strong language. Also known simply as “1601”, this is a humorously risque work by Mark Twain, first published anonymously in 1880, and finally acknowledged by the author in 1906. (Summary by John Greenman & Wikipedia)
17th- and 18th-Century Poems by Women
This class project is a collection of seventeenth- and eighteenth-century verse by women, focusing first on women as writers. It has been coordinated by the students’ teacher, Tonya Howe.
1857 Aur Bihar Ki Patrakarita by Md. Zakir Hussain
1857 और बिहार की पत्रकारिता
बिहार शुरू से ही विभिन्न आंदोलनों का केंद्र रहा है। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में बिहार में लगभग आठ सौ लोगों को फाँसी पर चढ़ा दिया गया था। हजारों लोगों पर मुकदमा चलाया गया, सैकड़ों गाँव जलाए गए। इसमें शामिल विद्रोहियों की जमीन-जायदाद जब्त कर ली गई और उसे गद्दारों में बाँट दिया गया था।
वैसे तो बिहार में 1857 के महायुद्ध पर कई पुस्तकें उपलब्ध हैं, पर मो. जाकिर साहब की इस पुस्तक की विशेषता है कि उन्होंने 1857 के दौरान उर्दू पत्र-पत्रिकाओं में इस विद्रोह के बारे में जो कुछ लिखा गया, उसे सिलसिलेवार ढंग से संकलित किया है। किसी भी विद्रोह या आंदोलन को तब की उपलब्ध रपटों और खबरों का अध्ययन कर समझा जा सकता है। इसमें अखबार-ए-बिहार, दिल्ली उर्दू-अखबार, अखबार-अल-जफर, सादिक-अल-अखबार और नदीम के बिहार विशेषांक में प्रकाशित 1857 से संबंधित खबरों और लेखों को शामिल किया गया है।
सन् सत्तावन के विद्रोह के दो साल पहले पटना से ‘हरकारा’ प्रकाशित हुआ था और सन् 1856 में ‘अखबार-ए-बिहार’ प्रकाशित होने लगा था। लेखक ने उर्दू की पत्र-पत्रिकाओं का अध्ययन कर 1857 के गदर से जुड़ी सामग्रियों को रोचक तरीके से प्रस्तुत किया है। ऐसे में यह पुस्तक अधिक प्रामाणिक और उपयोगी बन गई है।
1857 Ka Swatantraya Samar by Vinayak Damodar Savarkar
वीर सावरकर रचित ‘१८५७ का स्वातंत्र्य समर’ विश्व की पहली इतिहास पुस्तक है, जिसे प्रकाशन के पूर्व ही प्रतिबंधित होने का गौरव प्राप्त हुआ। इस पुस्तक को ही यह गौरव प्राप्त है कि सन् १९०९ में इसके प्रथम गुप्त संस्करण के प्रकाशन से १९४७ में इसके प्रथम खुले प्रकाशन तक के अड़तीस वर्ष लंबे कालखंड में इसके कितने ही गुप्त संस्करण अनेक भाषाओं में छपकर देश-विदेश में वितरित होते रहे। इस पुस्तक को छिपाकर भारत में लाना एक साहसपूर्ण क्रांति-कर्म बन गया। यह देशभक्त क्रांतिकारियों की ‘गीता’ बन गई। इसकी अलभ्य प्रति को कहीं से खोज पाना सौभाग्य माना जाता था। इसकी एक-एक प्रति गुप्त रूप से एक हाथ से दूसरे हाथ होती हुई अनेक अंतःकरणों में क्रांति की ज्वाला सुलगा जाती थी।
पुस्तक के लेखन से पूर्व सावरकर के मन में अनेक प्रश्न थे—सन् १८५७ का यथार्थ क्या है?क्या वह मात्र एक आकस्मिक सिपाही विद्रोह था? क्या उसके नेता अपने तुच्छ स्वार्थों की रक्षा के लिए अलग-अलग इस विद्रोह में कूद पड़े थे, या वे किसी बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक सुनियोजित प्रयास था? यदि हाँ, तो उस योजना में किस-किसका मस्तिष्क कार्य कर रहा था?योजना का स्वरूप क्या था?क्या सन् १८५७ एक बीता हुआ बंद अध्याय है या भविष्य के लिए प्रेरणादायी जीवंत यात्रा?भारत की भावी पीढि़यों के लिए १८५७ का संदेश क्या है? आदि-आदि। और उन्हीं ज्वलंत प्रश्नों की परिणति है प्रस्तुत ग्रंथ—‘१८५७ का स्वातंत्र्य समर’! इसमें तत्कालीन संपूर्ण भारत की सामाजिक व राजनीतिक स्थिति के वर्णन के साथ ही हाहाकार मचा देनेवाले रण-तांडव का भी सिलसिलेवार, हृदय-द्रावक व सप्रमाण वर्णन है।
प्रत्येक देशभक्त भारतीय हेतु पठनीय व संग्रहणीय, अलभ्य कृति!
1891 Collection
A look at the year 1891 through literature and non-fiction essays first published that year, including works by Mary E Wilkins, Sir Arthur Conan Doyle, Sara Orne Jewett, and Oscar Wilde. (Summary by BellonaTimes)
1900 or The Last President
The year is 1896. The United States is rocked by the election of an unlikely president. On election night, riots broke out in the streets of New York. The city was paralyzed with dread. Mobs organized under the lead of Anarchists and Socialists. Farther South, people celebrated. This was a President elected by the working class and he was a President who followed through with his commitment to fight for the rights of the people. This president would fight to end the enslavement of the people by money lenders, big bankers, corporations and government overtax. But can he be successful in a society that is rapidly absorbing socialist ideologies? – Summary by CJ Plogue
1903 Collection
This is what people were reading in 1903, short stories, poetry, and non-fiction articles. (Summary by BellonaTimes)
1912: Short Works Collection
This is a collection of public domain works either published in 1912, or written in 1912 and published before 1923. The accent is on non-fiction but I will include short stories, poems, one-act plays, as well. (Summary by Bellona Times) Read and compiled by Bellona Times. Proof-listeners were Betsie Bush and Tricia G.
1914, and Other Poems
This is a volume of poems by Rupert Brooke, named after the famous poems “1914”, written during and about World War I. Brooke himself died while taking part in a naval expedition to the Dardanelles, and was buried in Greece. The poems he wrote during the war were published posthumously and are the poems for which he is best-known today. This volume also contains poems written during a journey around the Pacific, and a number of miscellaneous poems. – Summary by Carolin
1916: First Chapters Collection
These are first chapters to books first published in 1916. Readers, following is a tentative list culled from Wikipedia’s article on the year in Literature; most of the works are to be found on Project Gutenberg. – Summary by Matt Pierard
1947 Ke Baad Ka Bharat by Gopa Sabharwal
स्वतंत्र भारत की यह तथ्यपरक गाइड हमें उन घटनाओं और व्यक्तियों तक ले जाती है, जिन्होंने सन् 1947 के बाद के 70 वर्षों में भारत को आकार दिया है। स्वतंत्रता दिवस से शुरू होकर वह उन दशकों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है, जिनमें यह उपमहाद्वीप में प्रजातंत्र का उदय, आत्म-निर्भरता के विचार से प्रेरित एक अर्थव्यवस्था का एक ऐसी अर्थव्यवस्था में रूपांतरण, जो वर्ष 1990 के दशक के आर्थिक सुधारों से संचालित हो तथा अब भी जारी उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण, जिन्होंने भारत की विकास दर में वृद्धि की—इन सभी का साक्षी रहा है। यह पुस्तक एक दल के प्रभुत्ववाले युग से गठबंधन की राजनीति के युग में संक्रमण को भी रेखांकित करता है।
पुस्तक में शामिल की गई अन्य घटनाओं में ये भी हैं—
भारत बना प्रजातांत्रिक गणराज्य
पहले एशियन गेम्स
हिंदी बनी राजभाषा
भारत-पाकिस्तान एवं भारत-चीन युद्ध
पहला हृदय प्रत्यारोपण
पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण
पहली त्रिशंकु संसद्
शताब्दी ट्रेन की शुरुआत
उड़ान आर.सी.-814 पर जा रहे विमान का अपहरण
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना
हैदराबाद में केवल महिलाओं द्वारा संचालित महिला अस्पताल की स्थापना
कालक्रम से व्यवस्थित : 1947 से भारत कृषि, पुरातत्त्व और कला से लेकर विज्ञान और प्रौद्योगिकी, खेल व युद्धों और बीच में अन्य सभी विषयों की एक विस्तृत शृंखला को शामिल करता है। प्रत्येक पृष्ठ पर आजादी और दिलचस्प लघु सूचना की एक अलग पंक्ति वाली रूपरेखा मुख्य घटनाओं को आकर्षक व पठनीय बनाती है।
1965 Bharat-Pak Yuddha Ki Anakahi Kahani by R.D. Pradhan
1965 भारत-पाक युद्ध की अनकही कहानी
1965 का युद्ध वर्ष 1947 में हुए विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पहला पूर्ण युद्ध था।
भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री वाई.बी. चह्वाण ने 22 दिन तक चले इस युद्ध का विवरण स्वयं अपनी डायरी में दर्ज किया था। इस पुस्तक में बताई गई अंदरूनी बातों से पता चलता है—
• पाकिस्तानी हमले के समय का पता करने में भारत का खुफिया विभाग बिलकुल विफल रहा।
• कैसे और क्यों चह्वाण ने प्रधानमंत्री को सूचित किए बिना ही वायुसेना को हमला करने का आदेश दे दिया।
• कैसे एक डिवीजन कमांडर को अभियान से अलग कर दिया गया।
• कैसे एक सेना कमांडर ने अपनी ‘रेजीमेंट के महान् गौरव’ के लिए 300 से अधिक लोगों को कुरबान कर दिया।
• भारतीय सेना ने लाहौर के अंदर कूच क्यों नहीं किया?
• कैसे प्रधानमंत्री ने अपना धैर्य बनाए रखा और युद्ध के समय एक महान् नेता बनकर उभरे।
• क्या यह युद्ध निरर्थक था, भारत ने युद्ध के मोर्चे पर जो कुछ जीता था, क्या वह सब ताशकंद में गँवा दिया था?
और अंत में, राजनीतिक नेतृत्व ने कैसे रक्षा बलों के नेतृत्व के साथ फिर से अपने समुचित संबंध बहाल कर लिये और 1962 के भारत-चीन युद्ध के समय पैदा हुई कड़वाहट को मिटा दिया।
यह पुस्तक वायुसेना के सम्मान में लिखी गई है, जिसे स्वतंत्रता के बाद पहली बार युद्ध में लगाया गया था। यह उन बख्तरबंद रेजीमेंटों को भी श्रद्धांजलि है, जो इस युद्ध में बड़ी वीरता से लड़ीं और पैटन टैंकों के सर्वश्रेष्ठ होने के मिथक को तोड़ दिया।
1965 Bharat-Pak Yuddha Ki Veergathayen by Rachana Bisht Rawat
भारत व पाकिस्तान के बीच हुए सन् 1965 के ऐतिहासिक युद्ध को पचास वर्ष से अधिक हो गए हैं। यह पुस्तक उस युद्ध के वीरों, हुतात्माओं और उनके पराक्रम की शौर्यगाथा है। 1 सितंबर, 1965 को पाकिस्तान द्वारा जम्मू व कश्मीर के छंब जिले पर हमले से ऐसे युद्ध की शुरुआत हुई, जिसमें बड़े पैमाने पर हथियारों व सैन्य-शक्ति का उपयोग किया गया। यह भारतीय सेना के सैनिकों का साहस व कुर्बानियाँ ही थीं, जिनके कारण हमने पाकिस्तानी घुसपैठ का समुचित उत्तर देते हुए देश को जबरदस्त सैन्य विजय दिलाई।
सन् 1965 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय सेना द्वारा लड़ी गई पाँच प्रमुख लड़ाइयों के ऐतिहासिक तथ्य और एक्शन-प्लान तथा युद्ध में लड़नेवाले सेवानिवृत्त सैनिकों के साक्षात्कारों द्वारा उन घटनाओं का भी विवरण दिया गया है, जिनका आज तक कभी खुलासा नहीं हुआ। इस पुस्तक में हाजी पीर, असल उत्तर, बार्की, डोगराई व फिल्लोरा में हुई लड़ाइयों और उनमें पराक्रम दिखानेवाले हमारे बहादुर युद्ध-नायकों से जुड़ी प्रेरणादायक कहानियों को भी स्थान दिया गया है।
युद्ध-इतिहास की यह पुस्तक हमारे सैनिकों के अप्रतिम युद्ध-कौशल और उनके पराक्रम को नमन-वंदन करने का एक विनम्र प्रयास है।
1971 Bharat-Pak Yuddha by Lt Gen K K Nanda
1971 का भारत-पाक युद्ध
सन् 1971 के अंत तक याह्या खाँ पूरी तरह से विश्वस्त हो चुके थे कि भारत के साथ पूर्व में युद्ध करना अनिवार्य हो चुका है। वे इस बात को लेकर भी विश्वस्त थे कि उनके लिए भारतीय सेनाओं को पराजित करना संभव नहीं है तथा वे पूर्वी पाकिस्तान का बलिदान करने के लिए तैयार थे। वहीं उन्हें यह भी विश्वास था कि वे पश्चिम में एक विशाल क्षेत्र पर कब्जा करके पूर्वी पाकिस्तान की क्षतिपूर्ति कर लेंगे तथा इसके द्वारा ‘वे न केवल भारत को नीचा दिखाने और अपना सम्मान बनाए रखने में सफल रहेंगे, अपितु युद्ध के अंत में अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में होंगे।’
परंतु सन् 1971 में भारत के जाँबाज सैनिकों ने पाकिस्तान के नब्बे हजार सैनिकों को बंदी बनाकर ऐसा करिश्मा कर दिखाया, जो सारी दुनिया में बेजोड़ था। इस पुस्तक में 1971 की शानदार विजय की गौरव गाथा के साथ-साथ उड़ी क्षेत्र में सन् 1947-48 तथा 1965 के दौरान 161 इन्फैंट्री ब्रिगेड एवं अन्य सैन्य टुकड़ियों के द्वारा उनके नियंत्रण-क्षेत्रों में उनके द्वारा किए गए सैन्य अभियानों पर भी विस्तार से प्रकाश डाला गया है। लेफ्टिनेंट जनरल के.के. नंदा ने अपनी 161 इन्फैंट्री ब्रिगेड का नेतृत्व करते हुए रक्षात्मक युद्ध लड़ा और अपनी बहादुरी एवं दूरदर्शिता से भारत की एक इंच भूमि भी दुश्मन के कब्जे में नहीं जाने दी।
प्रस्तुत पुस्तक का अपना सामरिक महत्त्व है। भविष्य में युद्धों की योजना बनाते समय विभिन्न स्तरों के कमांडर इसके विवरणों से भरपूर लाभ उठाएँगे तथा भारत की सीमाओं की रक्षा में प्राणपण से सफल होंगे।
1984 by George Orwell
Nineteen Eighty-Four: A Novel, often referred to as 1984, is a dystopian social science fiction novel by English novelist George Orwell. It was published on 8 June 1949 by Secker & Warburg as Orwell’s ninth and final book completed in his lifetime. Thematically, Nineteen Eighty-Four centres on the consequences of totalitarianism, mass surveillance, and repressive regimentation of persons and behaviours within society. Orwell, himself a democratic socialist, modelled the authoritarian government in the novel after Stalinist Russia. More broadly, the novel examines the role of truth and facts within politics and the ways in which they are manipulated.
2 B R 0 2 B (Dramatic Reading)
Kurt Vonnegut, Jr. was a prolific and genre-bending American novelist known for works blending satire, black comedy, and science fiction, such as Slaughterhouse-Five, Cat’s Cradle, and Breakfast of Champions. 2 B R 0 2 B is a satiric short story that imagines life (and death) in a future world where aging has been “cured” and population control is mandated and administered by the government. (Summary by Wikipedia and Laurie Anne Walden) This recording is done as a dramatic reading. Characters: Narrator: Denny Sayers Hospital Orderly: Mark F. Smith Painter: Alan Davis-Drake Leora Duncan: Laurie Anne Walden Dr. Hitz: Michael Yard Wehling: Julian Jamison Federal Bureau of Termination hostess: Kara Shallenberg
2 B R 0 2 B by Kurt Vonnegut
2 B R 0 2 B’ is a short story by renowned science fiction writer Kurt Vonnegut. The title is pronounced as “2 B R naught 2 B”, referencing to the famous phrase “to be, or not to be” from William Shakespeare’s ‘Hamlet’. In this story, the title refers to the telephone number one dials to schedule an assisted suicide with the Federal Bureau of Termination. The setting is a society in which aging has been cured, individuals have indefinite lifespans, and population control is used to limit the population of the United States to forty million. This is maintained through a combination of infanticide and government-assisted suicide. In short, in order for someone to be born, someone must first volunteer to die. As a result, births are few and far between, and deaths occur primarily by accident.
20 Dictators of the World by Kalyani Mookherji
In the late nineteenth and twentieth century, with the disappearance of monarchies in many parts of the world, a new autocratic system emerged – the dictatorship, in which all power over a state or community was again concentrated into the hands of one person, without being restricted by constitution, laws or opposition. The individual with this kind of absolute authority was known as the dictator.
Here are the twenty dictators of modern times whose actions have left a strong imprint on destiny of the country they ruled, and sometimes even influenced the very history of the world.
More often though, dictators rose to the power by leading a coup d’état, in which often a weak monarch of government was deposed and instead a dictatorship established. A nice read book to deep into history.
20 Greatest Astronauts of the World by Monika Koli
There have been many astronauts who have made tremendous contributions to our knowledge of space. But asking “who is the most famous?” is somewhat tricky. For one, it’s a bit subjective. And second, it can be hard to objectively measure just how important and individuals’ contributions really are. Surely, all astronauts are deserving of recognition and respect for their bravery and contributions to the pursuit of knowledge.
20 Greatest Authors of the World by Kalyani Mookherji
What would the world be without writers and, that too, great writers? They have authored several books and left behind for us their thoughts in their works. These books have inspired, enriched and guided many lives. Through the knowledge imparted to us in these books, we are able to understand various aspects of life and the world at large. In their books, they have viewed life from different perspectives and presented to us their philosophy.
Right from Homer to the present age, there have been numerous authors who have not only provided knowledge but also shared their experiences and enhanced the quality of life. They are our invisible guides, mentors and, of course, friends. It is impossible for a book to contain all great authors. Therefore, only twenty great authors have been selected. This book will apprise readers about these great authors whose names are written with golden letters in the history of literature.
20 Greatest Explorers of the World by Kalyani Mookherji
The urge to explore is an ancient one in the human species. The earliest explorations were driven by physical needs like food and shelter. But later with greater resources at their disposal, human beings became curious about
their extended geographical environment and began to venture further from their safe zone.
Over time mankind began to recognize that with successful exploration came rewards. In fact access to virgin natural resources was one of the driving factors behind the Golden Age of Exploration during the 15th and 16th centuries when many significant discoveries were made about the geography of the Earth. Again in the eighteenth and nineteenth centuries, much of the exploration of Africa and Asia were driven by the need to discover and colonize new markets for goods made by European countries.
The 20 Greatest Explorers of the World traces these currents in the journey of human exploration by focusing on the most famous explorers in history as well as some lesser known names who are nevertheless responsible for charting new territories. Ranging from classical Greece to the mid twentieth century, traversing all parts of the globe and indeed beyond it, these explorers are testament to the fact that the desire to know and discover has inspired humans across time and space in history.
20 Greatest Reformers of the World by Kalyani Mookherji
Society is always in a flux. No matter how stable a community or country seems, certain forces within it are always pushing it in one or another direction, sometimes even in several different directions at the same time. And it is because of these inherent forces of change that certain ideas, ways of thinking and living in a social group wither away while others take their place.
20 Greatest Scientists of the World by Nandini Saraf
It is impossible to imagine the world without science and the scientists. It is the scientists and their contributions that have transformed man and his life from a primitive one to a civilized one. They had to go through many tribulations before what they professed was accepted by the people of that time. Their inventions may seem simple to our eyes today, but to the people of that time they were preposterous.
Among the most remarkable similarities that emerge when one considers together these writings from the likes of Albert Einstein, James Watt, Marie Curie, and others, is the sense of wonder and outright awe at what the study of the natural world can reveal. From this book it is clear that science and all parallel attempts to understand our human existence—including fields like philosophy to theology—are viewed as nothing less than grand adventures to those that are probing the limits of what we know.
20 Greatest Sportstars of the World by Kalyani Mookherji
Successful athletes are real-life super heroes of today. With their awe-inspiring physical stamina, sporting prowess and often rugged good looks, these personalities are courted by billion-dollar brands as well as global audiences across all media platforms. In this way, sports-persons turn into sportstars and then often into cultural icons as well.
For the purposes of this book though, this is not enough. The genuinely successful sportspersons are those who have had some far-reaching impact on the sport or game concerned. They may have brought about a major innovation in the way the sport is played or perhaps popularised the sport in a way that it was not before. Additionally, some sportspersons may have had raised the bar so high in their particular sport that for years and decades, the records they set remained unbroken.
Based on such achievements, this book has zeroed on these twenty sportspersons who are truly the greatest of all time. These men and women have not just attained fame and financial success – some belonging to the earlier half of the twentieth century in fact did not – but have contributed to their game and to sports in general, in such a way so as to award high points in the evolution of the human both in body and mind.
20 Short Science Fiction Stories
Compilation of 20 Science Fiction Short Stories – Summary by Kirk Ziegler
20 Super Women by Prachi Garg
एक ऐसे देश में, जहाँ नारी की पूजा धन, ज्ञान, शक्ति और असीम ऊर्जा की देवी के रूप में की जाती है, वहाँ ऐसी भी महिलाएँ हैं, जिन्होंने साबित किया है कि ऐसा क्यों है। इस क्रम में उन्होंने न केवल अपनी प्रतिभा को एक प्रमुख स्थान दिलाया, बल्कि कई दूसरों को प्रेरित और सशक्त भी किया है।
इस पुस्तक में ऐसी बीस महिला उद्यमियों की कहानियाँ है, जिन्होंने अपनी सेवा का लाभ पानेवालों के साथ व्यक्तिगत और व्यावसायिक घनिष्ठता बनाई और उनके दिल को छू लिया। उनके अनोखे व्यवसाय इतने विविध हैं कि उनमें एसिड हमले की पीडि़तों की मदद से लेकर त्वचा की मुफ्त देखभाल, अंतर्वस्त्रों, हाथ से बने बैग और फैशन के सामानों से लेकर रोजमर्रा की जरूरतों के इको-फ्रेंडली उत्पादों की ऑनलाइन खुदरा बिक्री तक और कला संबंधी सुझावों से लेकर मार्केटिंग तथा कॉरपोरेट संवाद के अनोखे उपायों तक, तथा खुश रहनेवाले पाठकों का वर्ग तैयार करने से लेकर धार्मिक आयोजनों को सरल बनाने तक की सेवा शामिल हैं। इस प्रकार, इन उद्यमियों ने अनजाने रास्तों को खोला है।
सुपर वूमेन एक ऐसा दिलचस्प सफर है, जो दिखाता है कि किस प्रकार उन सभी ने अपनी भूमिका को पूर्णता से निभाते हुए, अपनी अभिलाषा को परिवार के साथ जोड़े रखा और दुनिया को अपनी सच्ची प्रतिभा का लोहा मनवाया।
नारी की उद्यमिता, कर्तृत्व और सफलताओं की सफल गाथा है यह पुस्तक।
201 Prerak Neeti Kathayen by Shiv Kumar Goyal
201 प्रेरक नीति कथाएँ—शिवकुमार गोयल
धर्मशास्त्रों, नीतिशास्त्रों की कथाएँ तथा ऋषि-मुनियों, वीर-वीरांगनाओं, विभिन्न क्षेत्रों के आदर्श पुरुषों के जीवन प्रसंग आदर्श जीवन जीने, अपना कर्तव्यपालन करने की प्रेरणा देने में हमेशा से सहायक रहे हैं। बच्ïचे दादा-दादी, नाना-नानी व माता-पिता के मुख से प्रेरक कथाएँ सुनने के लिए लालायित रहा करते हैं। इन आदर्श कथाओं, पावन प्रसंगों से बालकों को सत्य बोलने, माता-पिता, वृद्धजनों व गुरुजनों की सेवा व सम्मान करने, धर्मानुसार आदर्श जीवन जीने की स्वत: प्रेरणा मिलती है। 201 प्रेरक नीति कथाएँ की सरल-सुबोध कहानियाँ हमारे जीवन की दिशा बदलने की क्षमता रखती हैं। सद्ïगुण, सदï्विचार, सदाचार—यानी मानव जीवन के लिए आवश्यक सभी गुणों की खान हैं ये नीति कथाएँ। इन्हें पढ़कर हम सन्मार्ग पर चलें और धर्ममय नीति-रीति से जीवन जिएँ तो इस संग्रह का प्रकाशन सार्थक होगा।
222 Shikshaprada Bodh Kathayen by Shiv Kumar Goyal
222 शिक्षाप्रद बोध कथाएँ—शिवकुमार गोयल
नीतिशास्त्र में कहा गया है कि यदि किसी को अपना मानव जीवन सार्थक करना हो तो उसे सत्पुरुषों का सत्संग, धर्मशास्त्रों तथा सत्साहित्य का अध्ययन करना चाहिए। गीता में कहा गया है कि जो महापुरुषों के श्रीमुख से कल्याणकारी बातें सुनकर उनकी उपासना-अनुसरण करते हैं, उनका जीवन सहज ही में आदर्श बन जाता है।
222 शिक्षाप्रद बोध कथाएँ में रामायण, महाभारत, पुराणों, वेदों, उपनिषदों की कथाएँ और संत, महात्माओं व विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख महापुरुषों के प्रेरणाप्रद जीवन के आख्यानों और दृष्टातों को सरल भाषा में कथाओं के रूप में चुनकर प्रस्तुत किया गया है। ये बोध कथाएँ मनुष्य के लिए ‘दीप स्तंभ’ का काम करती हैं। हमारी निराशा-हताशा दूर कर हमें कर्मनिष्ठ बनने की प्रेरणा देती हैं।
आशा है, पाठक इनसे धर्ममय जीवन जीने, संस्कारित बनने तथा राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा प्राप्त कर सकेंगे।