Hindi Literature
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Chanakya Tum Laut Aao by Shivdas Pandey
भारतीय ऐतिहासिक संस्कृति की पुरातनता तथा भारत की सांस्कृतिक ऐतिहासिकता की प्राचीनता पर पाश्चात्य विद्वान् साहित्यकारों, यथा—‘विलियम जोंस’ प्रभृति जानकारों ने अपनी धार्मिक वर्चस्वता का भारत की ऐतिहासिक प्राचीनता पर जिस रूप में हमला बोलने का अत्युक्तिप्रद प्रयास किया, भारतीय विद्वान् साहित्यकारों को कदापि सह्य न हुआ। विद्वान् साहित्यकार डॉ. शिवदास पांडेय के प्रस्तुत उपन्यास ‘चाणक्य, तुम लौट आओ’ में तथा इसके पूर्व प्रकाशित उपन्यासों—‘द्रोणाचार्य’, ‘गौतम गाथा’ के प्राक्कथनों में उसकी नितांत अध्ययनशीलता की सीरिज उरेही जा सकती है। इन प्राक्कथनों में पाश्चात्यों के हमलों के मुँहतोड़ व्यक्तअव्यक्त प्रत्युत्तर गौर करने योग्य हैं।
डॉ. शिवदास पांडेयजी की औपन्यासिक दक्षता पुरातन ऐतिहासिक इमारतों के टूटेफूटे रूप को अपने अद्वितीय कौशल से प्रशंस्य साहित्यिक शिल्पी के स्वरूप ढालने में है। इन्होंने अद्वितीय, अपूर्व रूप में अपने सत्कार्य स्वरूप की सफल सिद्धि की है।
लेखक ने अपनी सृजन शक्ति की कल्पनात्मक डोर से सघन कथात्मक धूमिलताओं के बीच गहरे गड़े जिस अद्वितीय कौशल से प्रकाश का आँगन उकेरा, संयुक्त सूत्रात्मक बंधन में बाँधा, इस अभिनव बौद्धिक विशेषता को अपनी सविशेष सोच से अशेषगौरव उन्हें स्वतः प्राप्त हो जाता है।
इतिहास जब साहित्यमुख से अपने को अभिव्यक्त करता है तो निजी अविरामता में ‘द्रोण’ और ‘चाणक्य’ सदृश सरस्वती ही अपना नया उद्भव प्राप्त करती हैं। निश्चय ही, डॉ. शिवदासजी ने अपने ‘चाणक्य, तुम लौट आओ’ उपन्यास के जरिए भारतीय पुरातन क्षितिज के अनेक गौरवशील ध्रुव तारों के जो अभिनव परिचय कराए हैं, वैश्विक धरातल पर मानवसमाज की वे नूतन संस्कारगत लब्धि कहे जा सकते हैं।
—डॉ. सियाराम शरण सिंह ‘सरोज’
Chand Tum Gawah Rahna by Pankaj Sharma
सोलह बरस के पत्रकारिता कॅरियर और छत्तीस बरस की ज़िंदगी के स़फर में जो रंग देखे, उन्हें बस कह दिया, ताकि यहाँ की बातें यहीं कहता चलूँ और जाते व़क्त दिल पर कोई बोझ न हो।
जो कहा, वो रत्ती भर भी काल्पनिक नहीं है, सब देखा, सुना और महसूस किया और बिना किसी ल़फ़़्फाज़ी के वैसा-का-वैसा कह दिया और यही मेरी किताब की सबसे बड़ी खासियत है।
मेरे लिखे को अगर सत्तर साल का कोई बुज़ुर्ग पढ़े या सत्रह साल का नौजवान, उसे लगेगा कि ये तो उसकी ही बात है, जो वो नहीं कह पा रहा था और मैंने कह दी।
इस किताब में जो रंग हैं, उनमें सबसे गाढ़ा रंग इश़्कका है। इश़्क जिसमें मिलन का निमंत्रण है, मिल जाने का उल्लास है, बिछड़ने का दर्द है, क्रोध है, नाराज़गी है, यादों की टीस है, फिर से मिलने की उम्मीद है और फिर सबकुछ भुलाकर इश़्क को वैराग्य की ओर ले जाने का रास्ता है। ये रंग हर किसी की इश्क़िया शायरी या कविताओं में होते हैं, लेकिन ये औरों से अलग इसलिए हैं, क्योंकि इनमें हर उम्र, हर दौर के व्यक्ति को अपना इश़्क याद आता है—वो भी बहुत सरल और सहज शब्दों में।
ये विविधता भरे रंग ही हैं, जो इस किताब को अलग आयाम देते हैं। गागर में सागर उँड़ेला है, जिसकी हर बूँद हर किसी को भिगो जाती है।
बाज़ार की शर्तें समझता हूँ, लेकिन यकीन दिलाता हूँ कि मेरा लेखन उन
सभी शर्तों पर खरा उतरने की काबिलियत रखता है।
Chandrakanta (Hindi) by Devaki Nandan Khatri
क्रूरसिंह ने कहा, “महाराज, हमारे बाप तो आप हैं। उन्होंने तो पैदा किया, परवरिश आपकी बदौलत होती है। जब आपकी इज्जत में बट्टा लगा तो मेरी जिंदगी किस काम की है और मैं किस लायक गिना जाऊँगा?”
जयसिंह (गुस्से में आकर)— “क्रूरसिंह! ऐसा कौन है, जो हमारी इज्जत बिगाड़े?”
क्रूरसिंह—“एक अदना आदमी।”
जयसिंह (दाँत पीसकर)—“जल्दी बताओ, वह कौन है, जिसके सिर पर मौत सवार हुई है?”
क्रूरसिंह—“वीरेंद्रसिंह।”
जयसिंह—“उसकी क्या मजाल, जो मेरा मुकाबला करे, इज्जत बिगाड़ना तो दूर की बात है। तुम्हारी बात कुछ समझ में नहीं आती। साफ-साफ जल्द बताओ, क्या बात है? वीरेंद्रसिंह कहाँ है?”
क्रूरसिंह—“आपके चोर महल के बाग में।”
यह सुनते ही महाराज का बदन मारे गुस्से के काँपने लगा। तड़पकर हुक्म दिया, “अभी जाकर बाग को घेर लो! मैं कोट की राह वहाँ जाता हूँ।”
—इसी पुस्तक से
तिलिस्म और ऐयारी के महान् लेखक देवकीनंदन खत्री की रोमांच, कौतूहल एवं चमत्कारों से निःसृत कथा, जो हर आयु वर्ग के पाठकों में लोकप्रिय है। वह कृति जिसे पढ़ने के लिए लाखों लोगों ने हिंदी भाषा सीखी।
Chandrakanta Ki Lokpriya Kahania by Chandrakanta
इस संकलन में जिन कहानियों को शामल किया गया है, उनकी लोकप्रियता का आधार पाठकों, संपादकों के आत्मीय पत्र हैं और समीक्षकों की प्रशंसात्मक टिप्पणियाँ भी। इनकी लोकप्रियता के कई कारणों में एक कारण कथ्य एवं विषय की विविधता है। इन कहानियों में देशविदेश के कई प्रांतोंप्रदेशों की लोक संस्कृति के इंद्रधनुंषी रंग हैं। ये कहानियाँ किसी एक ख्चे में बंद नहीं हैं। यहाँ प्रेम और आपसी सौहार्द की बेमसाल धरती कश्मीर और पंजाब में पनपे आतंकवाद की त्रासद परिणतियाँ ‘काली बर्फ’, ‘आवाज’, ‘आत्मबोध’ जैसी कहानियों में है, तो ‘पोशनूल की वापसी’, ‘तैंतीबाई’ में दीनधमर्, वर्गवर्ण से ऊपर निश्छल स्नेह और आत्मीय संबंधों के अनूठे उदाहरण भी हैं। सामाजिकराजनीतिक दुर्व्यवस्था आतंकवाद, अंधविश्वास और रूढ़ मान्यताओं का विरोध करती ये कहानियाँ मनुष्य के अधिकारों, स्वप्नों और उम्मीदों के लिए आवाज उठाती हैं। वैश्वीकरण की इस दौड़ में मूल्यों का विघटन, वृद्धों के प्रति बढ़ती संवेदनहीनता आदि सामयिक मुद्दों से जुड़ी ये कहानियाँ स्त्रीविमर्श के नारे दिए बिना स्त्री की अस्मता, अधिकारों और संघर्ष के प्रश्न शिद्दत से उठाती हैं। आज की नई स्त्री की बदली सोच और आत्मक शक्ति ‘आवाज’, ‘लगातार युद्ध’, ‘अलकटराज देखा’, ‘दहलीज पर न्याय’ आदि कहानियों में देखी जा सकती है। समय की ज्वलंत समस्याओं का परीक्षण करती ये कहानियाँ मानवीय करुणा और जिजीविषा को बचाकर मनुष्य की संवेदना को बचाए रखने की कोशिशें हैं। यही इनकी लोकप्रियता का कारण भी है।
Charitra-Nirman Ki Kahaniyan by Mukesh ‘Nadan’
एक कहावत है—
पैसा गया, तो कुछ गया; स्वास्थ्य गया, तो बहुत कुछ गया पर अगर चरित्र गया तो सबकुछ गया।
अतः आवश्यक है कि व्यक्ति
अपने चरित्र को निर्मल व स्वच्छ रखे; उसके संरक्षण-संवर्धन के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहे। व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व का सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष है ‘चरित्र’।
इस दृष्टि से इस पुस्तक में चरित्र-निर्माण की कहानियाँ संकलित की गई हैं, क्योंकि कहानियों का हमारे जीवन में महत्त्वपूर्ण योगदान माना जाता है। इनके द्वारा व्यक्ति के जीवन में प्रेम, त्याग, बलिदान, शिक्षा आदि का संचार होता है। हमारे पौराणिक गं्रथों में अनेक शिक्षाप्रद तथा ज्ञानवर्द्धक कहानियों का समावेश किया गया है। ‘चरित्र-निर्माण की कहानियाँ’ भी इन्हीं ग्रंथों से प्रेरित हैं। इन कहानियों का चयन विशेष रूप से बाल पाठकों की मनोवृत्ति को ध्यान में रखकर किया गया है। लेकिन चरित्र-निर्माण पर आधारित ये कहानियाँ केवल बाल पाठकों में ही नहीं, अपितु प्रत्येक वर्ग के पाठकों में चरित्र-निर्माण का संचार करेंगी।
Charles Dickens Ki Lokpriya Kahaniya by Charles Dickens
और एक दिन रात को तो ऐसा हुआ कि लाल चेहरेवाले एक आदमी, जिसने सफेद रंग का हैट लगाया हुआ था, ने घर नं. 3 में जाकर दरवाजा खटखटाया, जिसमें सफेद बालोंवाला एक आदमी रहता था। उस आदमी ने सोचा कि शायद उसकी किसी विवाहित लड़की की समय से पूर्व तबियत खराब हो गई हो, वह अँधेरे में टटोलते हुए सीढि़यों से नीचे उतरा और कई चिटखनियाँ और ताले खोलने के बाद दरवाजा खोला। दरवाजा खोलने पर उसने देखा कि सामने लाल मुँहवाला एक आदमी, जो सफे द रंग का हैट पहने हुए था, खड़ा था और जिसने आधी रात में दरवाजा खटखटाने के लिए माफी माँगी…
इस पर वह लड़का जोर-जोर से चीखने-चिल्लाने और अपने हथेलियों से अपनी आँखों को रगड़ने लगा, जैसे कि वह रो रहा हो और आँसू पोंछ रहा हो और अपनी अबोधता तथा भोलेपन के आहत होने का नाटक करने लगा। ज्यूरी ने उसी वक्त उसे अपराधी करार कर दिया और वह फिर से आँसू बहाने का नाटक करने लगा। बेंच द्वारा पूछे गए एक सवाल के उत्तर में जेल सुपरिंटेंडेंट ने बताया, ‘‘यह लड़का मेरे चार्ज में पहले भी दो बार जेल में रह चुका है।’’
—इसी संग्रह से
प्रसिद्ध कथाकार चार्ल्स डिकेंस की रोचक-पठनीय-लोकप्रिय कहानियों का संकलन।
Charlie Chaplin by Mamta Jha
चार्ली चैप्लिन—ममता झा
निर्विवाद रूप से चार्ली चैप्लिन सार्वकालिक सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता माने जाते हैं। छोटी मूँछें, तंग कोट, काली ऊँची टोपी, बड़े जूते, ढीली पैंट और छड़ी के साथ ‘ट्रैंप’ के किरदार के रूप में विश्व भर के सिनेदर्शकों के मन में उन्होंने अमिट पहचान बनाई।
चार्ली चैप्लिन एक सितारे की तरह फिल्म जगत् के फलक पर चमके। उनकी फिल्मों ने आम दर्शकों को हँसाया भी, रुलाया भी। ‘द किड’, ‘द सर्कस’, ‘द गोल्ड रश’, ‘सिटी लाइट’, ‘मॉडर्न टाइम्ज’, ‘द ग्रेट डिक्टेटर’ आदि वे फिल्में हैं, जिनके लिए आज भी विश्व सिनेमा चार्ली का ऋणी है।
सात वर्ष की उम्र में रंगमंच पर अभिनय के साथ चार्ली का कैरियर शुरू हुआ। खूब दौलत और शोहरत पाने के बावजूद चार्ली एक तन्हा और बेचैन कलाकार थे। एक दर्जन से अधिक स्त्रियाँ उनके जीवन में आईं। कई विवाह और तलाक हुए। खुद दुःखी होते हुए भी उन्होंने हमेशा अपनी कला से अपने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।
चार्ली चैप्लिन के बारे में अधिकाधिक जानने की उत्कंठा रहती है। प्रस्तुत पुस्तक में उनके जीवन के विविध पहलुओं पर रोशनी डाली गई है और उनकी संघर्ष-गाथा को प्रस्तुत किया गया है। सुख-दुःख, हर्ष-विषाद, शोक-आनंद के रंगों में रँगी एक महान् कलाकार की प्रामाणिक जीवनी।
Chauthi Audhyogik Kranti by Klaus Schwab
हम चौथी औद्योगिक क्रांति के मुहाने पर पहुँच चुके हैं; और यह अब तक के ज्ञात-अज्ञात इतिहास से बिल्कुल अलग तरह की होगी।
भौतिक, डिजिटल और जीव-विज्ञानी विश्व में नई तकनीक के तौर पर चर्चित चौथी औद्योगिक क्रांति हर क्षेत्र, अर्थव्यवस्था और उद्योग पर अपना असर डालेगी और ऐसा करने की इसकी गति अप्रत्याशित होगी। अब तक की उपलब्धि पर गौर करें तो स्टील से 200 गुना मजबूत नैनोमैटीरियल तैयार किया जा चुका है, जो कि इनसान के बालों से दस लाख गुना बारीक भी है। इसके अलावा, 3डी प्रिंटर से तैयार लीवर का प्रत्यारोपण भी किया जा चुका है। सोचिए, ये सब फिलहाल शुरुआती मामले हैं।
चौथी औद्योगिक क्रांति में विश्व-प्रसिद्ध अर्थशास्त्री क्लॉस श्वाब, जो कि वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष हैं, ने इस क्रांति की राह प्रशस्त करनेवाली महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को उभारा है; सरकारों, समाज और लोगों पर इसके व्यापक प्रभावों पर चर्चा की है और सभी के बेहतर भविष्य को आकार देने के लिए आक्रामक विचारों को आगे बढ़ाया है।
उत्तम रहन-सहन और उन्नत जीवन का मार्ग प्रशस्त करनेवाली चौथी औद्योगिक क्रांति का दिग्दर्शन करानेवाली पुस्तक।
Chekhov Ki Lokpriya Kahaniyan by Anton Chekhov
चेखव संसार के श्रेष्ठ कहानीकारों में से हैं। उन्होंने अपनी कला को चमत्कारी बनाने के लिए न तो अनोखी घटनाएँ ढूँढ़ीं हैं, न अनूठे पात्रों की सृष्टि की है। उनके पात्र ऐसे हैं, जिनसे अपने नित्य प्रति के जीवन में हम अकसर मिलते हैं। खासतौर से उच्च वर्गों के आडंबरपूर्ण जीवन में, उनके बनावटी शिष्टाचार के नीचे मानव-हृदय को घुटते-कराहते देखा है। उनका तीखा व्यंग्य इस संस्कृति की हृदयहीनता को नश्तर की तरह चीरता चला जाता है। दु:खी लोगों के लिए उनके हृदय में करुणा है, व्यंग्य का नश्तर उनके लिए नहीं है।
चेखव की कहानियाँ पढ़कर हम अपने चारों तरफ के जीवन को नई नजर से देखते हैं। सामाजिक जीवन के काम हमें बहुधा अपने चारों ओर होनेवाली करुण घटनाओं के प्रति अचेत कर देते हैं, हमारी जागरूकता बहुधा कुंद हो जाती है। चेखव इस जागरूकता को तीव्र करते हैं, हमारी कुंद होती हुई सहृदयता को सचेत करते हैं, उन छोटी-छोटी बातों की तरफ ध्यान देना सिखाते हैं, जिनके होने-न-होने पर मनुष्य का सुख-दु:ख निर्भर करता है।
अत्यंत हृदयस्पर्शी मार्मिक कहानियाँ।
Chhatrapati Shivaji : Vidhata Hindvi Swarajya Ka by Shrinivas Kutumbale
छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन अलौकिक है। उसमें अदम्य साहस और नेतृत्व के विरले गुण अभिव्यक्त होते हैं। वर्तमान समय में यह महान् व्यक्तित्व और भी सामयिक हो चला है। शिवाजी के स्वराज्य की संकल्पना के मूल तत्त्व यदि आज लागू किए जाएँ तो भारत निस्संदेह विश्व के सर्वोच्च शिखर पर पहुँच सकता है।
‘छत्रपति शिवाजी : विधाता हिंदवी स्वराज्य का’ लिखने का मुख्य उद्देश्य महान् शिवाजी के जीवन-मूल्यों को युवा पीढ़ी से परिचित करवाना और वरिष्ठजनों के लिए उस स्वर्णिम कालखंड की स्मृति ताजा करना है।
छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य एवं साहस से परिपूर्ण तेजस्वी जीवन का विहंगम दिग्दर्शन कराती सबके लिए पठनीय कृति।
Chhatropayogi Nibandh by Prithavi Nath Pandey
छात्रोपयोगी निबंध
समाज की वर्तमान अवस्था और हिंदी शिक्षण के व्यापक संदर्भों को दृष्टिगत रखते हुए भारतीय विद्यालयों तथा हिंदी शिक्षण संस्थानों ने निबंध विषय को पाठ्यक्रमों में प्रमुखता दी है। इस कारण विद्यार्थियों की कठिनाइयाँ बढ़ती जा रही हैं, जिनका समाधान प्रस्तुत करती है यह कृति छात्रोपयोगी निबंध।
पुस्तक में ‘उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद्’ और ‘केंद्रीय शिक्षा परिषद्’ के पाठ्यक्रमों को ध्यान में रखते हुए निबंधों का समावेश किया गया है। इसमें विगत कई दशकों से पूछे जा रहे निबंधों तथा संभावित निबंधों को स्थान दिया गया है, जिनका अध्ययन कर विद्यार्थी किसी भी विषय पर निबंध-लेखन में पारंगत हो सकता है।
लेखक ने संबंधित निबंधों की विषय-वस्तु को समझते हुए इस कृति का प्रणयन किया है, ताकि छात्र इस उपयोगी पुस्तक में दिए गए सभी निबंधों का अध्ययन कर उनसे लाभ उठा सकें।
Chhayatmaja by Sweta Parmar ‘Nikki’
यह पुस्तक एक लड़की से माँ के सफर की कहानी है, जो लेखिका द्वारा पूरी आत्मा से कागज पर शब्दों द्वारा उकेरी है। इस कहानी को पाठक अपनी जिंदगी से भी जोड़कर देख सकते हैं, क्योंकि इसे दिल की संपूर्ण भावनाओं से ओत-प्रोत कर आत्मा से शब्दों में बाँधा गया है। अगर सच्ची लगन, खुद पर यकीन और हौसला बुलंद हो तो कैसे भी हालात का सामना किया जा सकता है और अंत में जीत सत्य और उम्मीद की होती है।
उपन्यास ‘छायात्मजा’ (एक बेटी… माँ सी) अपनी कथावस्तु के चलते पाठकों को नई ताजगी का एहसास करा पाएगा। ऐसी उम्मीद है! इस कहानी में जहाँ प्रेम के कई रंग एक साथ विभिन्न एहसासों से सराबोर करते हैं तो वहीं छाया के प्यार का सहज, निस्स्वार्थ और करुण चेहरा भी दिखता है। कभी दो बहनों के आपसी रोष तो कभी उनके त्याग, समर्पण और संघर्ष की अनूठी कहानी भी दिखती है। इस उपन्यास की कहानी लिखने के पीछे लेखिका की सकारात्मक सोच और हार न मानने का जज्बा है, जो पाठकों को निश्चित ही प्रेरित कर पाएगा।
Chhoti Chhoti Baatein by Mithilesh Baria
जिनकी जेब में सिक्के थे,
वो मज़े से भीगते रहे बारिश में …
जिनकी जेब में नोट थे,
वो छत तलाशते रहे …
ये लाइनें जब लिखी थीं, तब जानता नहीं था कि इतनी पसंद की जाएँगी कि सोशल मीडिया के ज़रिए हर मोबाइल तक पहुँच जाएँगी।
मैंने सोशल साइट ट्विटर का हाथ तब थामा था, जब ज़िंदगी में बहुत कुछ पीछे छूट गया था, खैर जाने दीजिए, वो फिर कभी। लेकिन ट्विटर पर लिखने में एक चुनौती थी, शब्दों की बंदिश। बड़ी-बड़ी बातों को छोटी-छोटी बातों में कहना पड़ता है। ये दायरे में रहने की चुनौती शायद एक वरदान ही थी।
कभी ज़िंदगी की पेचीदगियों पर, कभी बच्चों की मासूमियतों पर, कभी रिश्तों की बारीकियों पर, कभी प्यार की उलझनों पर, कभी देश के बनते-बिगड़ते हालातों पर, कभी गाँव-शहर के बीच में धुँधले होते फर्क पर, सब ‘छोटी-छोटी बातों’ में।
सोशल मीडिया की पहुँच बहुत गहरी होती है, ये समझ आ चुका था। लोगों ने खूब सराहा और उत्साह बढ़ाया, व़क्त के साथ एक पहचान भी मिल गई, उस पहचान का नाम था— #mbaria.
#mbaria टैग से ट्विटर पर अब तक करीब 2500 पंक्तियाँ जमा हो चुकी हैं, ये किताब उसमें से कुछ बेहतरीन छाँटकर आपके सामने लाने की एक कोशिश है। अपनी पसंद की 500 छोटी-छोटी बातें अब आपको सौंप दी हैं, इस उम्मीद के साथ कि इस किताब को भी आपका भरपूर प्यार मिलेगा।
‘‘लफ्ज़ों की कीमत खयाल बढ़ाते हैं…कुछ बेहद अनमोल खयाल बेशकीमती लफ्ज़ों में पिरोये हैं मिथिलेश बारिया ने अपनी इस किताब में।’’
—आर.जे. सयेमा,
रेडियो मिर्ची 98.3 एफएम
‘‘मैं यह जानकर अभिभूत हूँ कि मिथिलेश की ‘छोटी-छोटी बातें’ नामक पुस्तक प्रकाशित हो रही है। मैं काफी लंबे समय से मिथिलेश के ट्वीट पढ़कर आनंद ले रहा हूँ। मैं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।’’
—न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू
‘‘मुझे मिथिलेश के हर लफ्ज़ से मिट्टी की सोंधी खुशबू आती है, जो हमारे व्यक्तित्व से जुड़ी हुई है। उन बुज़ुर्गों की महक आती है, जिन्होंने अजल से बच्चों को सही और गलत की सीख दी है। उन बचपन के खिलौनों की आवाज आती है, जिन्हें हम घर के किसी कोने में रखकर भूल गए और उन उसूलों की बातें याद आती हैं, जिनके ऊपर चलना मुश्किल होता है, लेकिन नामुमकिन नहीं। मिथिलेश के साथ मेरी दुआ हमेशा रहेगी।’’
—राना सफवी
‘‘ये जो सोचते हैं, वो सोचकर नहीं सोचते। ये जो लिखते हैं, उन्हें पढ़ने के बाद बाकी सोचते हैं।’’
—यशवंत व्यास
Chhuachhoot Mukta Samras Bhara by Indresh Kumar
भारत प्राचीन काल में विश्वगुरु रहा है, क्योंकि हमारे ऋषि-मुनियों ने विश्व कल्याण हेतु ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ और ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का उद्घोष किया। किंतु लंबे समय तक भारत विदेशी आक्रांताओं द्वारा शोषित और शासित रहा। इसी कालखंड में उन्होंने भारत की शिक्षा, संस्कृति, अर्थव्यवस्था एवं सामाजिक व्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर दिया। जो जाति व्यवस्था कर्म आधारित थी, वह धीरे-धीरे जन्म आधारित हो गई। कुछ जातियों को अमानवीय स्थिति में डालकर अस्पृश्य घोषित कर दिया। स्वतंत्रता के बाद कानून बनाकर अस्पृश्यता, यानी छुआछूत को दंडनीय अपराध घोषित किया गया, तो कुछ राहत मिली। इसके पूर्व भी हमारे संतों व समाज-सुधारकों ने इस जाति-पाँति आधारित भेदभाव का खंडन और विरोध किया था।
आधुनिक संदर्भ में जाति-पाँति, रंग, भाषा, क्षेत्र, लिंग आदि पर आधारित सभी प्रकार की विषमताओं को समाप्त कर एक समरस समाज के निर्माण की नितांत आवश्यकता है। सर्वस्पर्शी, सर्वसमावेशी समतामूलक समरस समाज ही स्वस्थ और सुखी समाज हो सकता है। सशक्त व अखंड राष्ट्र के लिए सामाजिक समरसता अनिवार्य है। चूँकि सबके साथ से ही सबका विकास एवं सबका विश्वास संभव है। देश के सबसे बड़े सांस्कृतिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने आरंभ से ही इस चुनौती को स्वीकार कर समरस व जातिविहीन समाज के निर्माण का संकल्प लिया था। समरसता हेतु चल रहे इस महायज्ञ में एक आहुति के रूप में यह पुस्तक ‘छुआछूत मुक्त समरस भारत’ प्रस्तुत है।
• जाति का सबसे बुरा पक्ष है कि वह प्रतियोगिता को दबाती है और वास्तव में प्रतियोगिता का अभाव ही राजनीतिक अवनति और विदेशी जातियों द्वारा उसके पराभूत होते रहने का कारण सिद्ध हुआ है।
—स्वामी विवेकानंद
• जाति जनम नहीं पूछिए, सच घर लेहु बताई।
सा जाति सा पाँति है, जैं हैं करम
कमाई॥
—गुरु नानकदेव
• सब मनुष्यों के अवयव समान होने से मनुष्यों में जाति-भेद नहीं किया जा सकता।
—गौतम बुद्ध
• अस्पृश्यता मानवता के माथे पर एक कलंक है।
—महात्मा गांधी
• जाति-भेद ने हिंदुओं का सर्वनाश किया। हिंदू समाज का पुनर्संगठन ऐसे धर्मतत्त्वों के आधार पर करना चाहिए, जिनका संबंध समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व से जुड़ सके।
—बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर
• अगर छुआछूत कलंक नहीं तो दुनिया में कुछ भी कलंक नहीं है; छुआछूत जब कलंक है तो इसे जड़मूल से नष्ट होना चाहिए।
—बालासाहबजी देवरस
• मुझे लगता है कि इस देश के अंदर मजबूती तभी आएगी, जब समरसता के वातावरण का निर्माण होगा। मात्र समता ही काफी नहीं है; समरसता के बिना समता असंभव है।
—नरेंद्र मोदी
Chiktsa Aur Hum by Dr. Anil Chaturvedi
चिकित्सा और हम
आजकल की व्यस्तता भरी जिंदगी में मनुष्य अनेक बीमारियों से ग्रस्त है। इस भौतिकवादी युग में पुरानी मान्यताएँ टूट रही हैं, आस्थाएँ बिखर रही हैं, डॉक्टर और रोगी में पारस्परिक विश्वास टूट रहा है। आज का रोगी अपने रोग के बारे में पूरी जानकारी चाहता है।
पिछली शताब्दी में चिकित्सा के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है, जिसके फलस्वरूप आम आदमी की औसत आयु में भी वृद्धि हुई है। एक ओर जहाँ एंटीबायोटिक ओषधियों के प्रचलन से संक्रामक रोगों पर नियंत्रण किया जा चुका है वहीं दूसरी ओर आधुनिक जीवन-शैली के रोग मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मोटापा, कैंसर एवं मानसिक तनाव हमारे लिए एक गंभीर चुनौती हैं। हम अपनी परंपरागत जीवन-शैली, शारीरिक श्रम, सादा जीवन उच्च विचार, नियमित भोजन को छोड़कर पाश्चात्य सभ्यता के रंग में रँग गए हैं; धूम्रपान, शराब, मांसाहारी भोजन, भोग-विलास में लिप्त होने से, भोग से रोग के कारण आधुनिक जीवन-शैली के रोगों के शिकार हो गए। लेखक ने इस पुस्तक में आधुनिक जीवन-शैली के रोगों का विस्तृत वर्णन सरल भाषा में किया है। कई दीर्घकालीन रोग हैं, जिनका उपचार बहुत महँगा है, लेकिन अपने आचार-विचार एवं आहार-विहार द्वारा इन रोगों से अपना बचाव किया जा सकता है। आवश्यकता इस बात की है कि सावधानियों को जानने के साथ ही उन पर अमल भी किया जाय, तभी लेखक का उद्देश्य सफल हो सकेगा।
China : Ek Arthik Va Bhoo-Rajneetik Chunauti by Prof. Bhagwati Prakash Sharma
चीन आज भारत के लिए एक बाह्य सुरक्षा संकट होने के साथ ही आतंकवाद का पोषक व गंभीर आर्थिक चुनौतियों का कारण भी बनता जा रहा है। सन् 1962 में आक्रमण करके हमारे 38,000 वर्ग किमी. क्षेत्रफल अक्साई चिन के पठार पर अधिकार कर लेने के बाद आज भी वह भारत की 90,000 वर्ग किमी. भूमि को जब चाहे अपना कहकर हमारी सीमा में घुसपैठ भी करता रहता है।
चीन की ऐसी भारत विरोधी व शत्रुतापूर्ण गतिविधियों के उपरांत भी जिस प्रकार भारत के बाजारों में आज सब प्रकार के चीनी उत्पादों की बाढ़-सी आई हुई है, यह और भी अधिक चिंताजनक है।
एक-एक करके देश के कई उद्योग व उद्योग संकुल (इंडस्ट्री क्लस्टर्स) चौपट होते जा रहे हैं। देश में साइकिल उद्योग, खिलौना उद्योग, फर्नीचर उद्योग, स्टेशनरी उद्योग और काँच के उद्योग से लेकर इलेक्ट्रॉनिक व विद्युत् उपकरणपर्यंत अनगिनत व लगभग सभी प्रकार के उद्योग चीनी आयातों व राशिपतन (डंपिंग) से प्रभावित हो रहे हैं।
चीन की ओर से आर्थिक एवं भू-राजनैतिक चुनौतियों से आगाह करनेवाली एक पठनीय पुस्तक।
Chingari Ki Virasat by Narmada Prasad Upadhyay
विचार, चिंतन के निष्कर्ष का अमूर्त रूप है। यह सोचने की ऐसी परिणति है, जो कभी आगे चलकर क्रियान्वयन में मूर्त हो उठती है।
विचार जुगनू भी है, दीपशिखा भी और सूरज भी। वह प्रकाश का हर ऐसा स्रोत है, जो अँधेरे से लड़ने को तत्पर है। वह लहर है, जिसके पास रेत पर अपनी पहचान रचने की संकल्प शक्ति है। वह छेनी है, जिसके पास किसी यक्षी, किसी शालभंजिका, किसी अंबिका को आकार देने की सामर्थ्य है। वह तूलिका है, जो ऐसे रूप को रच देती है, जो रूप हरेक को अपना लगता है। वह ऐसा दर्पण है, जिसमें प्रतिबिंब उलटे दिखाई नहीं देते। ऐसी परछाईं है, जो सूरज के ढलने के साथ घटती नहीं, बल्कि और लंबी होती चली जाती है।
विचार सुबह-सुबह दूब पर ठहरे हुए ओस के कण, ज़मीन पर बिछे हरसिंगार और टप-टप टपककर धरती को महकाते हुए वे फूल हैं, जो केवल धरती का सौरभ और शृंगार बने रहना चाहते हैं, उन्हें आकाश की ऊँचाई की दरकार नहीं होती।
—इसी संग्रह से
शब्दों के कुशल चितेरे श्री नर्मदा प्रसाद उपाध्याय के लालित्यपूर्ण ललित निबंधों का पठनीय संकलन।
Chiriya Ur by Poonam Dubey
चिड़िया उड़’ कल्पना की कहानी है। पूरी दास्ताँ है उस लड़की की, जिसकी तेरह साल की उम्र में उसकी दादी के दबाव में गाँव के किसी लड़के के साथ शादी कर दी जाती है। विवाह शब्द को सही से समझ भी नहीं पानेवाली कल्पना की बाकी की बारह साल की जिंदगी तेज बहाव में बह रही डोंगी की तरह होती है, जहाँ उसके पास इकलौता सहारा उसकी पढ़ने की जबरदस्त इच्छा का होता है। वह समझ जाती है कि पढ़ाई ही एक ऐसा हथियार है, जिसके बलबूते पर वह अपनी बंधुआ जिंदगी से निजात पा सकती है। तमाम उतार-चढ़ाव के बीच कल्पना पढ़ाई पूरी करती है। आततायी ससुराल और पति के साथ रहते हुए, उनसे निबटते हुए। अवमानना के कड़वे बोलों का पूँट पीते हुए वह अपना आत्मसम्मान तलाशती है और फिर एक दिन बोझिल हुए तमाम रिश्तों को तिलांजलि देकर ‘स्व’ की तलाश में विश्व-भ्रमण पर निकल पड़ती है। | इस किताब का नाम ‘चिड़िया उड़’ है।उत्तर भारत के लोकगीतों में ‘चिड़िया अकसर बेटी के लिए कहा जाता है और बेटियाँ महज परकटी चिड़िया बनकर रह जातीं हैं, पर इस उपन्यास की नायिका कल्पना उड़ती है।पंख फैलाकर उसी तरह से जैसे वह बचपन में ‘चिड़िया उड़’ खेल खेलते हुए अपने ख्वाबों में उड़ती थी।
Chitra Mudgal Ki Lokpriya Kahaniyan by Chitra Mudgal
सुप्रसिद्ध कथाकार चित्रा मुद्गल का कहानीलेखन 1964 से शुरू हुआ और अब तक लगभग पाँच दशक की रचनायात्रा में उन्होंने अनेक लोकप्रिय कहानियाँ लिखी हैं। वे सघन सामाजिक सरोकारों से कहानियों को आकार देती हैं। अवध क्षेत्र से लेकर चेन्नई, मुंबई व दिल्ली आदि तक उनका अनुभव विस्तीर्ण है। ‘डोमिन काकी’ से लेकर महानगरों में व्यस्त कामकाजी महिलाओं तक का उन्होंने गहरा अध्ययन किया है। स्त्रीविमर्श की गहमागहमी से अलग रहकर भी उन्होंने हाशिए की ओर ढकेली जा रही स्त्री के बहुतेरे प्रश्नों की पड़ताल की है। वे वंचित व्यक्तियों की पक्षधर रचनाकार हैं। इनकी कहानी सच्चे अर्थों में कहानी है, जिसमें जीवन का सच्चा समन्वयकारी यथार्थ है, रोचकता है, संवेदनाएँ हैं और व्यंजना है।
इनकी कहानियाँ पढ़ते हुए जो बिंब बनते हैं, उनका अंतर्निहित अर्थ एक प्रकाशपूर्ण क्षण में उद्घाटित होकर ग्रहण होता है। कहानी की प्रकृति जनतांत्रिक होती है और उसका रसास्वादन अनुभवपरक बोध से होता है। कहानी एक समग्र प्रभाव को संप्रेषित करती है। मनुष्य जब अपनी क्षुद्रताओं, कमजोरियों और छलावों को स्वीकार करता है तो इस स्वीकार से वह आत्मोन्नयन करता है। इस संग्रह की लोकप्रिय कहानियाँ उपदेशात्मक या निर्देशात्मक नहीं, निर्णयात्मक और क्रियात्मक संकल्पों से संपन्न हैं।
Chitrakoot Mein Ram-Bharat Milap by Dr. Pramod Kumar Agrawal
‘चित्रकूट में राम-भरत मिलाप’ रामकथा के महत्त्वपूर्ण प्रसंग का नाट्यरूप में प्रणयन है।
यह घटना जहाँ भ्रातृप्रेम और त्याग का अद्वितीय आदर्श है, वहीं उससे राजधर्म के महान् सिद्धांत प्रस्फुटित हुए हैं।
वर्तमान परिवेश में लेखक ने रामायण की इस घटना को सामान्य जन तक पहुँचाने का प्रयास किया है।
एक ओर इस कृति का स्वागत जहाँ भारतीय जनमानस द्वारा किया जाएगा, वहीं दूसरी ओर राजशासकों द्वारा भी।
आशा है कि इस कृति का व्यापक रूप से पठन-पाठन तथा मंचन होगा।
Chocolate Ki Vaishvik Rajdhani Belgium by Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’
बेल्जियम की एक समृद्ध ऐतिहासिक विरासत और संस्कृति रही है, जिसका चित्रों, संगीत, साहित्य, नक्शानवीसी और वास्तुकला में साक्षात् दर्शन कर सकते हैं। बेल्जियम भले ही सबसे छोटे यूरोपीय देशों में से एक है, फिर भी इसके पर्यटन स्थल पर्यटकों से भरे रहते हैं। ये पर्यटन स्थल इस देश के समृद्ध इतिहास और परंपराओं की कहानियाँ बयाँ करते हैं। बेल्जियम के बारे में कई अनूठी, बेजोड़ बातें हैं, जो अनायास ही सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेती हैं।
बेल्जियम में दुनिया की सबसे बड़ी संख्या में प्रति वर्गमीटर महल हैं। कुछ क्षेत्रों में प्रति गाँव दो महल भी हैं। इनमें से कुछ को यूनेस्को द्वारा धरोहर घोषित किया गया है। बेल्जियम में विश्व के श्रेष्ठ संस्थानों के कॉर्पोरेट मुख्यालयों की बड़ी संख्या है। बेल्जियम में समृद्ध विरासत एवं परपंराएँ, विश्वविद्यालय, स्थापत्य कला को समेटे भवन, शिक्षा के उत्कृष्ट केंद्र, युद्ध स्मारक, मनमोहक प्राकृतिक छटा के अतिरिक्त अत्यंत दोस्ताना संबंध वाले लोग हैं।
प्रस्तुत पुस्तक बेल्जियम के विषय में एक हैंडबुक है जो वहाँ की संपूर्ण जानकारी कम शब्दों में, रोचक शैली में देती है।
Chumbak Chikitsa by S.K. Sharma
संसार की प्रधान चिकित्सा पद्धतियों का सीधा संबंध संसार की प्रधान सभ्यताओं से है, जैसे—भारत की आयुर्वेद, चीन की पारंपरिक (Traditional) चिकित्सा विधि, मिस्र और ईरान की यूनानी और रोम की एलोपैथी। वैसे एलोपैथी को प्रधान और अन्य सबको वैकल्पिक (Alternate) चिकित्सा पद्धतियों के रूप में मान्यता प्राप्त है। होम्योपैथी वैसे ही एक स्वतंत्र चिकित्सा पद्धति (Therapy) है, जैसे कि आयुर्वेद, यूनानी, चीनी चिकित्सा प्रणालियाँ हैं।
संसार में आजकल लगभग 200 ऐसी वैकल्पिक चिकित्सा-पद्धतियाँ हैं, जिनका पूर्ण या आंशिक रूप से प्रयोग करके बहुत से सरल और जटिल रोगों का निदान किया जा रहा है और इनके परिणाम भी संतोषप्रद हैं। रोगी का रोग की पद्धति से कोई सरोकार नहीं होता। वह तो कम-से-कम समय में और कम खर्च करके ठीक होना चाहता है। उसे साधन से नहीं, साध्य से मतलब है। यदि डॉक्टर एक रोग को तो ठीक कर दे, परंतु इससे दूसरे अन्य लक्षण या रोग पैदा हो जाएँ तो ऐसा इलाज रोगी के किस काम का! एलोपैथी रोग को जल्दी ही समाप्त कर देती है, परंतु उसे जड़ से समाप्त नहीं करती। ऐसे में एक रोग का अंत किसी दूसरे नए रोग का कारण बन जाता है।
यही कारण है कि लोग चुंबक चिकित्सा, एक्यूपंक्चर, एक्यूप्रेशर, योग, शियात्शू, प्राकृतिक चिकित्सा, जल चिकित्सा आदि को स्वीकारने, अपनाने और इस्तेमाल करने लगे हैं। हमारे विचार में सभी चिकित्सा-प्रणालियों में स्वकीय गुण और उपादेयता है, अन्यथा वे कभी की काल-कवलित हो गई होतीं।
Chunav 2019 : Kahani Modi 2.0 Ki by Aaku Shrivastava
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रचार की शुरुआत सब दलों ने विकास की बातों से की, लेकिन प्रचार जब चरम पर पहुँचा तो यह एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने पर केंद्रित हो गया। यहाँ तक कि नेताओं के बिगड़े बोलों से आजिज आकर सुप्रीम कोर्ट को चुनाव आयोग को निर्देश देने पड़े। दूसरी ओर चुनाव आयोग की भूमिका पर भी खूब सवाल उठाए गए। ई.वी.एम. की विश्वसनीयता को लेकर भी सवाल खड़े किए गए। चुनाव प्रचार निम्न स्तर पर पहुँच गया था। इस तरह से वर्ष 2019 का चुनाव पिछले सत्तर वर्षों में एक अलग ही तरह का चुनाव देखा गया। इस चुनाव में प्रचार के पारंपरिक तरीके तो गायब हुए ही, जनता के सरोकार भी बहुत पीछे छूट गए।
इसके अलावा इस लोकसभा चुनाव में कई ऐसे सवाल खड़े किए, जो 2014 में उठाए गए थे। कुछ के जवाब मिले, कुछ ने और सवालों को जन्म दिया; कुछ भुला दिए गए तो कुछ बहस का मुद्दा बन गए। क्या भविष्य होगा, इन सवालों का और उनके जवाबों का—इसी पर एक गहन चर्चा इस पुस्तक में की गई है।
Chune Hue Bal Ekanki-I by Rohitashva Asthana
कथावस्तु, चरित्र-चित्रण, संवाद, देश-काल, भाषा-शैली, उद्देश्य, अभिनेयता एवं संकलन-त्रय एकांकी नाटक के प्रमुख तत्त्व हैं। इनमें संकलन-त्रय का निर्वाह एकांकी नाटक के लिए अनिवार्य है। संकलन-त्रय से तात्पर्य स्थान, समय और कार्य की एकता से है।
बालकों के मनोरंजन, मार्गदर्शन एवं ज्ञानवर्द्धन के लिए बाल नाटकों एवं बाल एकांकियां का महत्त्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
यदि प्रस्तुत बाल एकांकी संग्रह अपने उद्देश की पूर्ति मं तनिक भी सहायक हो सका तो हम अपने प्रयास को सफल एवं सार्थक समझेंगे।
खट्टी-मीठी पाठकीय प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में—
—रोहिताश्व अस्थाना
Chune Hue Vidyalaya Geet by Acharya Mayaram ‘Patang’
गीतों का बहुत बड़ा महत्त्व है। कहानी की अपेक्षा गीत किसी विषय को संप्रेषित करने से अधिक सफल हैं।
विद्यालयों यें विभिन्न अवसरों यथा—महापुरुषों की जयंतियों, राष्ट्रीय पर्वों और अन्य उत्सवों पर गीत गाने की परंपरा है। ये गीत छात्रों-अध्यापकों को उस अवसर विशेष के भावों में सराबोर होने की क्षमता रखते हैं।
प्रसिद्ध कवियों के ये चुनी हुए विद्यालय गीत सभी पाठकों के जीवन में संस्कार, उल्लास और आनंद का संचार करेंगे, हमारा विश्वास है।
Cinema Aur Sitaron Ka Mayajaal by Jayprakash Chowksey
हिंदी फिल्में अब इतनी लोकप्रिय हो गई हैं और जीवन का अहम हिस्सा बन गई हैं कि पत्रपत्रिकाओं में इन्हें खूब जगह मिलती है। दरअसल कृषिप्रधान भारत जाने कैसे फिल्ममय भारत हो गया है। हमारी रोजमर्रा की भाषा में भी फिल्म के शब्द व मुहावरे आ गए हैं, जैसे किसी भी घटना का हिट या फ्लॉप होना या अस्पताल में उम्रदराज आदमी के क्लाईमेक्स की रील चल रही है, यह कहना! हालात तो कुछ ऐसे हैं, मानो पूरा भारत ही एक विशाल परदा है और उस पर कोई मसाला फिल्म चल रही है, जिसमें मारधाड़ के दृश्य हैं, मेलोड्रामा है और गीतसंगीत भी है। कभीकभी यह फिल्म फूहड़ भी हो जाती है। हमारा यथार्थ ही इतना फिल्मी हो गया है कि यह कालखंड काल्पनिक लगता है।
यह संकलन प्रसिद्ध फिल्म समालोचक जयप्रकाश चौकसे के हिंदी सिनेमा पर लिखे रोचकरोमांचक और जानेअनजाने दृष्टांतों का लेखाजोखा है। वे कुछ क्लोजअप और लॉन्ग शॉट्स के जरिए भी हमारे लिए दृश्य रच देते
हैं। जो कुछ भी परदे के पीछे रह जाता
है, नेपथ्य में ओझल है, उसे वे प्रतिदिन
के रंगमंच पर ले आते हैं और ऐसा वे किसी अदाकारी अथवा नाटकीयता के जरिए नहीं बल्कि सरलता और सहजता से करते हैं।
हिंदी सिनेमा, उसके कलाकारों, उसकी सफलताअसफलता का पूरा सफर बड़ी सुंदर शैली में प्रस्तुत करती रोचक पुस्तक!
Cinema Mein Nari by Shameem Khan
भारत में सिनेमा ने हाल ही में सौ वर्ष पूरे किए हैं। सौ वर्षों की इस यात्रा में फिल्मों में नारी के प्रस्तुतीकरण और उसके समाज पर प्रभावों पर काफी कुछ लिखा और बोला गया। आलोचनाओं और प्रशंसाओं के बीच एक सत्य हमेशा मौजूद रहा कि फिल्मों की शुरुआत से ही नायिकाओं का अपने समय के नारी समाज पर गहरा प्रभाव रहा है। आम नारी सदैव ही अपने दौर की नायिकाओं से आकर्षित और प्रभावित रही है। यह प्रभाव चाहे नायिकाओं द्वारा निभाए पात्रों का हो या उनकी जीवनशैली का। दूसरी ओर समाज के वास्तविक किरदारों ने परदे के किरदारों को गढ़ने में सहायता की। फिल्मों के नारी पात्रों और नारी समाज के इन्हीं अंतर्संबंधों को इस पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है।
वर्तमान जो औरत की स्थिति दिखाई दे रही है, वह कई वास्तविक और परदे के किरदारों के सामूहिक प्रभाव का नतीजा है। यह एक यात्रा है, यह जानने की कि नारी समाज का सौ साल का इतिहास किस-किस दौर से गुजरा। एक कोशिश है, परदे के किरदारों के जरिए औरत के उन एहसासों और जज्बातों को महसूस करने की, जिन्हें हम परदे के किरदारों के बगैर शायद नहीं कर पाते। हिंदी सिनेमा पर वैसे ही कम पुस्तकें लिखी गई हैं, हिंदी भाषा में तो इनका अकाल सा है। सिनेमा में नारी के प्रस्तुतीकरण पर क्रमबद्ध एवं विश्लेषणात्मक दृष्टि से लिखी गई यह पुस्तक बेहद रोचक एवं पठनीय॒है।
Cintan Prawah by Hukumdev Narayan Yadav
भारत के उपराष्ट्रपति डॉ. हामिद अंसारी एक कुशल राजनयिक, समर्पित शिक्षाविद् तथा प्रखर वक्ता हैं। यह पुस्तक अनेक विश्वविद्यालयों के दीक्षांत समारोहों, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों, सेमिनारों, व्यवसायियों की बैठकों में, पुस्तकों के लोकार्पणों, समारोहों और औपचारिक उद्घाटनों में दिए गए भाषणों का संग्रह है। इसमें विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के अनेक जटिल और अनुत्तरित प्रश्न तथा ज्वलंत मुद्दे शामिल हैं। इन भाषणों में राष्ट्रीय कार्यसूची के बहुत व्यापक विषय भी आ गए हैं, और ये भारत की वर्तमान और भविष्य की अवस्थाओं को बनानेवाले मूल तत्त्वों को प्रकट करते हैं। भारतीय लोकतंत्र विशाल है, तो इसकी समस्याएँ भी अधिक संख्या में हैं।
भारत का भविष्य उज्ज्वल है, स्वर्णिम है। भारत वैश्विक स्तर पर उभर रहा है और आज पूरे विश्व में इसकी एक विशिष्ट पहचान है। भारत के द्वितीय सर्वोच्च नागरिक डॉ. हामिद अंसारी की लेखनी और चिंतन भी प्रमाणित करता है कि भविष्य का दृश्य ही ‘उभरता भारत’ है।
मोहम्मद हामिद अंसारी अगस्त 2007 से भारत के उपराष्ट्रपति हैं। डॉ. एस. राधाकृष्णन के बाद वे एकमात्र ऐसे नेता हैं, जो इस पद पर लगातार दो बार निर्वाचित हुए। राज्यसभा के पदेन उपसभापति होने के साथ ही डॉ. अंसारी विश्व मामलों की भारतीय परिषद् तथा भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के अध्यक्ष, और दिल्ली, पंजाब तथा पुदुचेरी विश्वविद्यालयों के कुलपति भी हैं।
Civil Defence Handbook by Mvss Sarma
समय-समय पर होने वाली प्राकृतिक आपदाओं के समय बचाव व राहत के बारे में आमजन को इतना ज्ञात नहीं है। इस कारण विपरीत परिस्थितियों में जान-माल की ज्यादा हानि होती है। साधारण व्यक्ति को इन प्राकृतिक विपदाओं से परिचित कराने के लिए प्रस्तुत पुस्तक ‘सिविलडिफेंस हैंडबुक’ बहुत उपयोगी है। यह पुस्तक राष्ट्रीयनागरिक सुरक्षा महाविद्यालय, नागपुर के मैनुअलों की सामग्री पर आधारित है। साधारण भाषा-शैली, विस्तृत विषय-सूची और चित्रों से औसत पाठक को विषय समझने में मदद मिलेगी। यह किसी व्यक्ति को स्थानीय स्तर पर बतौर प्रशिक्षक नागरिक सुरक्षा की आधारभूत कक्षाएँ संचालित करने में सक्षम बनाएगी। इस पुस्तक में आपदा प्रबंधन को विशेष विषय के रूप में दरशाया गया है, जो भूकंप, चक्रवात, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ एवं बड़ी रेलवे दुर्घटनाओं का सामना करने में उपयोगी होगा। बम विस्फोट से प्रभावितों को सुरक्षा के कदमों के अतिरिक्त अग्नि-शमन, बचाव की आपातकालीन विधियाँ और प्राथमिक चिकित्सा सहायता जैसे कुछ विषयों को विस्तृत रूप से प्रस्तुत किया गया है।
यह पुस्तक पाठकों को नागरिक सुरक्षा की भूमिका को समझने में सक्षम बनाएगी, और कभी भी व कहीं भी घटित होने वाली अनिश्चित या विपरीत परिस्थितियों से सामना करने के लिए उन्हे प्रोत्साहित करेगी।
Civil Services Mein Safal Kaise Hon by Deepak Anand (Ias)
सिविल सेवाएँ देश की सबसे प्रतिष्ठित और महत्त्वपूर्ण सेवाएँ हैं। पढ़े-लिखे युवाओं में इनके प्रति विशेष आकर्षण रहता है। हर युवा इस मुकाम को पाना चाहता है। डेढ़ सौ करोड़ की जनसंख्या में से प्रति वर्ष करीब एक हजार सिविल सेवक चुने जाते हैं, जिनके लिए कई लाख उम्मीदवार आवेदन करते हैं। इन आँकड़ों से इन सेवाओं के प्रति आकर्षण और महत्ता को सहज ही समझा जा सकता है।
इन सेवाओं के लिए त्रिस्तरीय कसौटी पर उम्मीदवारों को पारदर्शी प्रक्रिया के द्वारा कसा जाता है। जो उम्मीदवार तीव्र आग सी तप्त इन कसौटियों पर खरा उतरता है, वही चुना जाता है और अपनी अनुपम आभा से देशसेवा का प्रण लेता है।
प्रस्तुत पुस्तक सिविल सेवा में तैयारी की मार्गदर्शिका है। इसमें बताया गया है कि इन परीक्षाओं की तैयारी कैसे करें, अध्ययन के दौरान किन बिंदुओं को विशेषतः ध्यान में रखना है। कुल मिलाकर यह पुस्तक परीक्षार्थियों की ज्यादातर मुश्किलें आसान कर देती है।
आशा है, प्रतियोगी परीक्षाओं के परीक्षार्थियों, अभ्यर्थियों और अपने कॉरियर के लिए पूर्ण समर्पण करने का इरादा रखनेवाले विद्यार्थियों के लिए यह पुस्तक बेहद उपयोगी सिद्ध होगी।
Classroom Ki Prerak Kahaniyan by N. Raghuraman
मेरी बेटी बेहतर विकल्पों के लिए बाहर चली गई है, मेरी पत्नी अपने कॅरियर में व्यस्त है तो खाना अब पहले की तरह ‘स्वादिष्ट’ नहीं रहा, जिसमें प्रेम, लगाव, देखभाल करनेवाले शब्दों के साथ पूछताछ होती थी। सबसे बढ़कर वह वात्सल्य होता, जो इस धरती पर तो केवल माँ ही दे सकती है, खासतौर पर अपने बच्चों को। जब भी किसी दिन मैं अकेला भोजन के लिए बैठता हूँ तो मेरे कानों में माँ के शब्द गूँजते, ‘क्या तुम कुछ और खाओगे,’ ‘आज तुमने क्या खाया है,’ और मैं मूर्खों की तरह चारों ओर देखता हूँ, जबकि मुझे अच्छी तरह मालूम है कि ऐसे पूछनेवाला आस-पास कोई नहीं है। भीतर कहीं हूक सी उठती है कि कोई यह पूछनेवाला नहीं है। साफ कहूँ तो अब उन शब्दों में संगीत सुनाई देता है, फिर चाहे आँखें भीग ही क्यों न आई हों। कभी-कभी तो मैं अकेले खाने से घबराने लगता हूँ। शायद इसलिए बडे़-बुजुर्ग कहते हैं कि पूरे परिवार को कम-से-कम एक बार भोजन साथ लेना चाहिए।
—इसी पुस्तक से
क्लासरूम की ये प्रेरक कहानियाँ हमारे आस-पास तथा दैनिक जीवन से संबंधित हैं। कुछ नया करने की प्रेरणा देनेवाली कहानियाँ।
College Dropout Arabpatiyon Ki Prerak Kahaniyan by Pradeep Thakur
दुनिया के कुछ सबसे धनी और सबसे प्रभावशाली उद्यमी कॉलेज पूरा करने से पहले ही पढ़ाई छोड़कर बाहर हो गए। स्टीव जॉब्स, बिल गेट्सऔर मार्क जुकरबर्ग, सभी ने अपने डिप्लोमा लेने से पहले कॉलेज छोड़ दिया। माइकल डेल ने 19 साल की उम्र में ऑस्टिनमें टेक्सास विश्वविद्यालय से कॉलेज की पढ़ाई बीच ही में छोड़ दी। उन्होंने डेल टेक्नोलॉजीज की स्थापना की और अब इसकी कीमत 20.9 बिलियनडॉलर है। एप्पल के संस्थापक ने रीडकॉलेज तब छोड़ा, जब वे सिर्फ19 वर्षके थे। मार्क जुकरबर्ग ने हार्वर्ड से बीच में ही निकलकर फेसबुक की स्थापना की और दुनिया के 5वें सबसे धनी व्यक्ति बनगए। ‘द फेसबुक इफेक्ट’ पुस्तक के अनुसार, कॉलेज छोड़ने का निर्णय लेने में उन्हें सिर्फपाँच मिनटलगे। लैरी एलिसनएक सॉफ्टवेयर अरबपतिऔर ओरेकल के संस्थापक के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने वक्तसे पहले ही शिकागो विश्वविद्यालय में डॉक्टरी की पढ़ाई छोड़ दी। आज उनकी कंपनी की कीमत 55 बिलियनडॉलर से अधिक है।
पुस्तक में ऐसी ही बहुत सी कहानियाँ हैं, जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।
Colonel Jim Corbett by K.R. Pandey
‘जिम’ कॉर्बेट का जन्म 25 जुलाई, 1875 को नैनीताल में हुआ था। उन्हें ब्रिटेन में शिकारी, प्रकृतिविद्, लेखक और जीव-संरक्षणवादी के रूप में जाना जाता है; लेकिन भारत में वह इन सभी से ज्यादा नरभक्षी बाघों और तेंदुओं के शिकारी के रूप में जाने जाते हैं।
18 साल के होते-होते जिम ने पढ़ाई छोड़ दी। उन्हें बिहार के मोकामा घाट, बंगाल और नॉर्थ-वेस्टर्न रेलवे में फ्यूल इंस्पेक्टर की नौकरी मिल गई।
ब्रिटिश इंडियन आर्मी में कॉर्बेट को कर्नल का पद दिया गया था। उस दौरान कुमाऊँ और गढ़वाल क्षेत्रों के गाँवों में नरभक्षी बाघों और तेंदुओं का आतंक था। जिम कॉर्बेट ने इन इलाकों में 33 बाघों और तेंदुओं का सफाया करके लोगों को इनके आतंक से मुक्ति दिलाई थी।
जिम को बाघों और उनके निवास से बेहद लगाव रहा। उन्होंने अपनी पुस्तकों में बाघों और तेंदुओं के परिवार, उनके आचरण, उनकी दिनचर्या और उनके निवास आदि से संबंधित ढेरों जानकारियाँ दी हैं।
कर्नल जिम कॉर्बेट की जीवनी के माध्यम से जंगल की अनजान दुनिया व अनजानी बातें बताती और एक सहज-स्वाभाविक जिज्ञासा जगाती अत्यंत पठनीय पुस्तक।
Commonman Narendra Modi by Kishore Makwana
एक सौ पच्चीस करोड़ नागरिकों की महान् विरासत वाले भारत की जर्जर हालत से त्रस्त आमजन परिवर्तन की ललक में सिर्फ एक व्यक्तित्व पर टकटकी लगाए हुए हैं। एक मामूली किसान से लेकर उद्योगपति और विद्यार्थियों सहित लाखों लोग उनसे प्रभावित हुए हैं तथा भ्रष्टाचार-मुक्त, महँगाई-मुक्त, समर्थ तथा सुदृढ़ भारत के निर्माण के उनके अभियान में शामिल हुए हैं। उन्होंने खुद को एक विकास-पुरुष सिद्ध किया है। विरासत या भाग्य की बदौलत मिली सत्ता के कारण नहीं, बल्कि अनगिनत संकटों और संघर्षों के बीच विकास करके उन्होंने आज लाखों लोगों का दिल जीत लिया है।
ऐसे राष्ट्रनायक नरेंद्र मोदी को जानने-समझने की जिज्ञासा-उत्कंठा जन-जन में है। कठोर शासक कहे जानेवाले नरेंद्र मोदी अत्यंत कोमल हृदय के व्यक्ति हैं। उनका हृदय हमेशा पीडि़त-शोषित और अभावग्रस्त लोगों के कल्याण हेतु व्यथित रहता है। कुशल शासक, संगठक, प्रभावी वक्ता, कवि-लेखक-विचारक और दृष्टा जैसे अनेक गुण उनमें कूट-कूटकर भरे हैं।
यह पुस्तक नरेंद्र मोदी का जीवन चरित्र नहीं है, बल्कि उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को रेखांकित करने का प्रयासभर है। इसमें नरेंद्र मोदी के जीवन के महत्त्वपूर्ण पड़ाव, व्यक्तित्व, राष्ट्रनिष्ठा कार्यक्षमता और विजन—ये पाँच बिंदु तो हैं ही, साथ ही सबसे महत्त्वपूर्ण भाग है, नरेंद्र मोदी के जीवन और व्यक्तित्व पर केंद्रित उनका साक्षात्कार। इस साक्षात्कार में नरेंद्र मोदी ने अपने बचपन, संन्यासी बनने की घटना, प्रचारक जीवन, अपनी पसंद-नापसंद, मुख्यमंत्री बनने की घटना और अपने विचार एवं स्वप्न जैसे ढेरों सवालों पर बेबाकी से जवाब दिए हैं।
Computer King : Bill Gates by Prashant Gupta
कंप्यूटर किंग बिल गेट्स —प्रशांत गुप्ता
व्यापार, राजनीति और समाज-सेवा के समृद्ध इतिहास से संपन्न सिएटल के एक परिवार में जनमे और पले कंप्यूटर किंग बिल गेट्स ने कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में अपनी रुचि को बहुत कम उम्र में ही पहचान लिया और कंप्यूटरों की प्रोग्रामिंग 13 वर्ष की अवस्था में ही शुरू कर दी। सन् 1973 में बिल गेट्स हार्वर्ड विश्वविद्यालय में दाखिल हुए और वहाँ रहते हुए उन्होंने प्रथम माइक्रो कंप्यूटर के लिए प्रोग्रामिंग की एक भाषा ‘बेसिक’ की संरचना की। उनके द्वारा संस्थापित ‘माइक्रोसॉफ्ट’ विश्व की अग्रणी आई.टी. कंपनी बनी।
बिल गेट्स एक महान् स्वप्नदर्शी हैं। वे अपार संपत्ति के स्वामी ही नहीं हैं, बल्कि मानव-प्रेम से ओत-प्रोत एक परोपकारी व्यक्ति भी हैं। उन्होंने अपनी संपत्ति का एक बड़ा भाग संसार से रोग, अशिक्षा और गरीबी दूर करने के लिए समर्पित कर दिया। लोक-कल्याण बिल गेट्स का पर्यायवाची बन चुका है। वे और उनकी पत्नी मिलिंडा ने जनवरी 2005 में वैश्विक स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में लोक-कल्याणकारी उपक्रमों के सहायतार्थ 28.8 अरब डॉलर से अधिक की धनराशि देकर एक प्रतिष्ठान की स्थापना इस आशा से की है कि इक्कीसवीं शताब्दी में इन बुनियादी क्षेत्रों में प्रगति का लाभ सभी लोगों को मिल सके।
विश्वास है, कंप्यूटर में रुचि रखनेवाले, साथ ही भविष्य के कर्णधार युवा बिल गेट्स की इस जीवनी से प्रेरणा प्राप्त करेंगे।
Confucius by Manisha Mathur
जिस समय भारत में भगवान् महावीर और भगवान् बुद्ध धर्म के संबंध में नए विचार रख रहे थे, उसी समय चीन के शानदोंग प्रदेश में भी कन्फ्यूशियस नामक समाज-सुधारक का जन्म हुआ।
सरकारी नौकरी छोड़कर उन्होंने घर में ही एक विद्यालय खोलकर विद्यार्थियों को शिक्षा देना प्रारंभ किया। 55 वर्ष की आयु में वे लू राज्य में एक शहर के शासनकर्ता और बाद में मंत्री नियुक्त हुए। मंत्री होने के नाते उन्होंने दंड के बदले मनुष्य के चरित्र-सुधार पर बल दिया। कन्फ्यूशियस ने अपने शिष्यों को सत्य, प्रेम और न्याय का संदेश दिया। वे सदाचार पर अधिक बल देते तथा लोगों को विनयी, परोपकारी, गुणी और चरित्रवान् बनने की प्रेरणा देते थे। उनके मत को ‘कन्फ्यूशियसवाद’ या ‘कुंगफुल्सीवाद’ कहा जाता है।
कन्फ्यूशियसवाद के अनुसार समाज का संगठन पाँच प्रकार के संबंधों पर
आधारित है—1. शासक और शासित,
2. पिता और पुत्र, 3. ज्येष्ठ भ्राता और कनिष्ठ भ्राता, 4. पति और पत्नी तथा
5. इष्ट मित्र।
कन्फ्यूशियसवाद की शिक्षा में धर्मनिरपेक्षता का सर्वांगपूर्ण उदाहरण मिलता है। उनका मूल सिद्धांत इस स्वर्णिम नियम पर आधारित है कि ‘दूसरों के प्रति वैसा ही व्यवहार करो, जैसा तुम उनके द्वारा अपने प्रति किए जाने की इच्छा रखते हो।’
Congress Ka Phasivad by A. Surya Prakash
कांग्रेस पार्टी हमेशा फासीवाद और फासीवादी प्रवृत्ति के खिलाफ बातें करती रही है। इस पार्टी के नेता दूसरे दलों और उनके नेताओं पर फासीवादी होने का आरोप लगाते रहते हैं, लेकिन सच्चाई इसके एकदम उलट है।
इस पुस्तक में तीन अध्याय हैं, जिसमें कांग्रेस की लोकतांत्रिक परंपराओं की अवमानना और इसकी तानाशाही की चर्चा है।
यह पुस्तक अधिकांश भारतीय नागरिकों की आँखें खोल देगी, जिन्हें उन घटनाओं की जानकारी नहीं है, जिनका उल्लेख इस पुस्तक में है।
कुल मिलाकर यह देश के नागरिकों को आगाह करने के लिए एक प्रयास है, ताकि वे अधिक सतर्क रहें, जिससे भारतीय संविधान के मूल्यों और लोकतांत्रिक परंपराओं को कायम रखा जा सके।