Bharat Kaise Hua Modimaya by Santosh Kumar

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2014 की लोकसभा में चुनावी विजय के बाद भाजपा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक-के-बाद एक विधानसभा चुनावों में विजयश्री प्राप्त की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी की अप्रतिम रणनीतियों ने 2019 के लोकसभा चुनावों में अभूतपूर्व जीत का मार्ग प्रशस्त किया। इस जीत ने सबके मन में यह जिज्ञासा उत्पन्न की कि ऐसा संभव कैसे हो पाया।
भारतीय जनता पार्टी ने बहुत चतुराई के साथ अपनी बनिया-ब्राह्मण वाली पार्टी की छवि तोड़ने की योजना पर काम किया। गरीब और गरीबी के जरिए भाजपा और नरेंद्र मोदी की रणनीति गरीबों के हिमायती होने का वही टैग हासिल करने की बनी, जो कभी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ जुड़ा था। इसमें नोटबंदी का फैसला सबसे अहम था। इस फैसले में बड़ा जोखिम भी था। लेकिन इसके बाद के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जिस तरह से भाजपा को बड़ी जीत हासिल हुई, पार्टी ने जाति की बजाय वर्ग की राजनीति को प्राथमिकता दी। उत्तर प्रदेश में अमित शाह ने जिस तरह से सामाजिक समीकरण का जाल बिछाया था, वह बाद में अन्य चुनावों के लिए मॉडल बन गया। लेकिन बड़ी जीत के बाद भी उन राज्यों में विस्तार की योजना को थमने नहीं दिया, जहाँ पार्टी 2014 में भी कमजोर थी।
यह पुस्तक भाजपा की तमाम चुनावी रणनीतियों का खुलासा करती है, जो सांगठनिक प्रक्रिया में सर्कुलर खबरों के लिए नहीं आ पाते, वे संयोगवश लेखक को मिल गए और जिससे भी साझा किया, उसे यही कहना पड़ा—यह भाजपा की माइक्रो नहीं नैनो स्ट्रैटजी है।
प्रखर पत्रकार संतोष कुमार ने अपनी स्वभावजनित जिज्ञासा के आधार पर विश्लेषण करके यह पुस्तक लिखी है।

Bharat Ke Mahan Bhashan by Rudrangshu Mukherjee

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‘‘ स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है । जब तक यह भावना मुझमें जाग्रत् है, मैं बूढ़ा नहीं हो सकता । आत्मा को न तो शस्त्र भेद सकता है, न अग्नि जला सकती है, न जल गला सकता है और न वायु सुखा सकती है । ”
– बाल गंगाधर तिलक
” साथियो, स्वतंत्रता के युद्ध में मेरे साथियो! मैं आपसे एक ही चीज माँगता हूँ, आपसे अपना खून माँगता हूँ । यह खून ही उस खून का बदला लेगा, जो शत्रु ने बहाया है । खून से ही आजादी की कीमत चुकाई जा सकती है । तुम मुझे खून दो और मैं तुमसे आजादी का वादा करता हूँ । ”
– नेताजी सुभाषचंद्र बोस
” मुझे उस भारत का वासी होने पर गर्व है, जिसने इस पृथ्वी के सभी धर्मों व सभी देशों के सताए हुए लोगों और शरणार्थियों कौ शरण दी । ”
– स्वामी विवेकानंद
वे भाषण, जिन्होंने राजनीति का रुख बदलकर रख दिया, जो अपनी वक्‍तृत्‍व शक्‍त‌ि के कारण स्मरणीय बन गए जिन्होंने भारतीय इतिहास में एक अभिनव घड़ी ला दी । यहाँ सुभाषचंद्र बोस हैं अपने जवानों का जोश बढ़ाते हुए, जिन्ना का पाकिस्तानी संसद् में प्रारंभिक भाषण है, नेहरू की भावी मंदिरों की परिकल्पना है युवा वाजपेयी का तिब्बत के लिए समर्थन है । वह भाषण भी है, जिसने आपातकाल लागू किया । मनमोहन सिंह की आर्थिक सुधारों के लिए अपील है ओर अमर्त्य सेन की सत्यजित रे पर चर्चा भी । ये सभी मिलकर आधुनिक भारत की कहानी कहते हैं-स्वाधीनता के प्रयासों से लेकर बाद के युद्धों तक की कहानी । प्रेरक व शिक्षाप्रद ‘ भारत के महान् भाषण ‘ आपको भारतीय इतिहास के उस रूपाकार का प्रत्यक्ष दर्शन कराएँगे, जो उसके निर्माताओं ने उसे दिया ।

Bharat Ke Mahan Sangeetagya by Mohananand Jha

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भारत के महान् संगीतज्ञ—मदन मोहन झा

भारतीय संस्कृति के विविध उपादानों में संगीत की अपनी विशिष्‍ट भूमिका रही है। वैदिक ऋचाओं की सस्वर अभिव्यक्‍ति एवं सामवेद का संगीत-प्रधान शास्‍‍त्र होना इस तथ्य को संपुष्‍ट करता है। जवानी हो या बुढ़ापा, दु:ख हो अथवा सुख, एकांत हो या समूह, जीवन के प्रत्येक मोड़ पर संगीत मानव को अनुप्राणित व प्रोत्साहित करता है।
संगीत की अभिव्यक्‍ति में संगीत शिल्पकारों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। संगीत-शास्‍‍त्री, गीतकार, संगीतकार के संग प्रस्तोता के रूप में गायक, वादक एवं नर्तक संगीतज्ञों के विविध स्तंभ हैं। संगीत के अभिज्ञान में इन संगीत शिल्पियों के जीवन-चरित, इतिहास और संगीत के क्षेत्र में इनके महत्त्वपूर्ण अवदानों की जानकारी विशेष महत्त्व रखती है।
संगीत संस्थाओं, विद्यालयों तथा विश्‍वविद्यालयों के संगीत विषयक पाठ्यक्रम में संगीतज्ञों की जीवनी और उनके सांगीतिक कार्यों का अध्ययन होता है, साथ ही संगीत रसिकों को संगीत से संबद्ध व्यक्‍तियों के बारे में कुछ जानने की प्रबल जिज्ञासा रहती है। इन्हीं समस्त स्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस पुस्तक में प्राचीन एवं वर्तमान काल के प्रमुख लोकप्रिय संगीतज्ञों के बारे में रोचक जानकारी प्रस्तुत की गई है। आशा है, संगीत शिक्षार्थियों के साथ सामान्य संगीत-प्रेमी जन भी इस पुस्तक से लाभान्वित होंगे।

Bharat Ke Mahan Sant by Baldev Vanshi

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भारत के महान् संत
सभ्यता के प्रभातकाल से ही मानवीय, संवेदनात्मक, प्रेमिल, सहिष्णु, त्याग, क्षमा, दया, सद्व्यवहार को महत्त्व देनेवाले लोग, साधु-संन्यासी और फकीर-औलिया इस भारत-भू पर अवतरित होते रहे हैं, जो अपना संपूर्ण जीवन जनमानस की सुप्‍त आत्मा को जगाने, उसे उन्नत करने, परमार्थ एवं समाजड़कल्याण में सहर्ष लगाते रहे हैं।
संतों की संस्कृति वेदना-संवेदना की संस्कृति है, यथार्थ की धरती पर अवतरित अध्यात्मभाव की संस्कृति है। घोर कष्‍टों, संकटों, अभावों और घोर अपमानों को सहकर दूसरों को उठाने, खड़ा करने और उन्हें सद्मार्ग दिखाने का महाकर्म है— संतों का जीवन।
‘भारत के महान् संत’ में संतों की पूरी पाँत—कबीर, नामदेव, रैदास, दादू, नानक, मलूक, मीरा, फरीद, तिरुवल्लुवर इत्यादि के परोपकारी जीवन का सांगोपांग वर्णन है। विद्वान् लेखक का मानना है कि भारतीय संतों की समुज्ज्वल परंपरा आज भारत ही नहीं, विश्‍व के संकटों के निवारण में महती सहायक हो सकती है। संत परंपरा ही संपूर्ण विश्‍व को तमाम विघ्न-कष्‍टों से बचाकर वास्तविक विकास के मार्ग पर अग्रसर कर सकती है।
जीवन के आध्यात्मिक विकास एवं तात्त्विक भाव उत्पन्न करने में सहायक प्रेरणाप्रद पुस्तक।

Bharat Ke Pavitra Teerthsthal by Narayan Bhakta

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भारत के पवित्र तीर्थ स्थल—नारायण भक्त
तीर्थ का अभिप्राय है पुण्य स्थान, अर्थात् जो अपने में पुनीत हो, अपने यहाँ आनेवालों में भी पवित्रता का संचार कर सके। तीर्थों के साथ धार्मिक पर्वों का विशेष संबंध है और उन पर्वों पर की जानेवाली तीर्थयात्रा का विशेष महत्त्व होता है। यह माना जाता है कि उन पर्वों पर तीर्थस्थल और तीर्थ-स्नान से विशेष पुण्य प्राप्त होता है, इसीलिए कुंभ, अर्धकुंभ, गंगा दशहरा तथा मकर संक्रांति आदि पर्वों को विशेष महत्त्व प्राप्त है। पुण्य संचय की कामना से इन दिनों लाखों लोग तीर्थयात्रा करते हैं और इसे अपना धार्मिक कर्तव्य मानते हैं।
पुण्य का संचय और पाप का निवारण ही तीर्थ का मुख्य उद्देश्य है, इसलिए मानव समाज में तीर्थों की कल्पना का विस्तार विशेष रूप से हुआ है। श्रीमद्भागवत में भक्तों को ही तीर्थ बताकर युधिष्ठिर विदुर से कहते हैं कि भगवान् के प्रिय भक्त स्वयं ही तीर्थ के समान होते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के आस्था के केंद्रों—पवित्र तीर्थस्थलों—का रोचक वर्णन है। ये न केवल आपकी आस्था और विश्वास में श्रीवृद्धि करेंगे, बल्कि आपको मानव जीवन के मर्म का सार भी बताएँगे। पढ़ते हुए आपको साक्षात् उस तीर्थ का दर्शन हो, यह इस पुस्तक की विशेषता है। यदि आपका मन निर्मल है, और हमें विश्वास है कि वह है, तो आप घर बैठे ही तीर्थ का पुण्य-लाभ प्राप्त करेंगे।

Bharat Ke Rajya by Anish Bhasin

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‘भारत के राज्य और केंद्र शासित प्रदेश’ पुस्तक की शुरुआत देश की विविधता में एकता की उन मूल संकल्पनाओं में दुहराती विशिष्‍टताओं से की गई है, जिनके चलते विश्‍व में हमारा देश एक महान् देश के रूप में प्रतिष्‍ठापित हुआ है। इसमें भारत के 28 राज्यों, 7 केंद्र शासित प्रदेशों एवं सभी जिलों का विस्तार से वर्णन किया गया है।
प्रत्येक राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश को सात बड़े शीर्षकों—‘इतिहास’, ‘राजनीति’, ‘भूगोल’, ‘अर्थव्यवस्था, कृषि व उद्योग-धंधे’, ‘शिक्षा’, ‘कला एवं संस्कृति’, तथा ‘पर्यटन’ के तहत सुविभाजित किया गया है। प्रत्येक शीर्षक के उत्पत्ति तथ्यों व जानकारियों का संयोजन नवीनतम संदर्भ में किया गया है। प्रत्येक राज्य के अंत में उससे संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्यों को बॉक्स में भी दिया गया है।
यह पुस्तक विद्यार्थियों, शोधार्थियों एवं संघ व राज्य स्तरीय विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के परीक्षार्थियों हेतु विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध होगी।

Bharat Ke Rashtrapati Va Pradhanmantri by Rajendra Kumar

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भारत के राष्‍ट्रपति व प्रधानमंत्री—राजेंद्र कुमार

भारत में लोकतंत्रीय शासन पद्धति है। शासन का मुखिया राष्‍ट्रपति होता है। एक ओर जहाँ हमारे संविधान ने राष्‍ट्रपति में अनेक शक्‍तियाँ निहित की हैं। वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री ही उनकी समस्त शक्‍तियों का उपभोग करता है। हमारे यहाँ राष्‍ट्रपति सेना का सर्वोच्च कमांडर होता है। आपातकाल में राष्‍ट्रपति की शक्‍तियों में वृद्धि हो जाती है। प्रधानमंत्री का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान के द्वारा भारत की जनता द्वारा किया जाता है। विधान के अनुसार लोकसभा में बहुमत प्राप्‍त दल का नेता ही प्रधानमंत्री बनता है। पर राष्‍ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल, जिसमें समस्त संसद् सदस्य एवं विधायक शामिल होते हैं, द्वारा किया जाता है। भारत गणराज्य के अब तक तेरह राष्‍ट्रपति व तेरह प्रधानमंत्री हुए हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में भारत के अब तक के राष्‍ट्रपति एवं प्रधानमंत्रियों का जीवन-परिचय, उनका चुनाव तथा शासन के दौरान की गतिविधियों पर विस्तृत प्रकाश डाला है। विद्यार्थी, शोधार्थी, परीक्षार्थी ही नहीं, एक आम पाठक के लिए भी समान रूप से उपयोगी जानकारीपरक पुस्तक।

Bharat Ki Lok Sanskriti by Hemant Kukreti

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प्रस्तुत पुस्तक भारत की लोक-संस्कृति के विविध पक्षों को उद्घाटित करती है। इसमें भारत के राज्यों/क्षेत्रों की लोक-संस्कृति का सूक्ष्म व विश्लेषणपरक विवरण प्रस्तुत किया गया है। सर्वविदित है कि भारतीय संस्कृति बहुरंगी, बहुरूपी और बहुपक्षीय है। इसलिए यह पुस्तक विभिन्न लोक-संस्कृतियों का सतरंगी समुच्चय है। विज्ञ लेखकों ने भारतीय संस्कृति के बहुपक्षीय आयामों को सहज व सरल शैली में प्रस्तुत किया है।
हमें पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक सिविल सेवा परीक्षाओं तथा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अवश्य ही उपयोगी होगी। इसके अतिरिक्त यह सामान्य पाठकों के लिए भी एक संग्रहणीय पुस्तक है।
पुस्तक की विशेषताएँ
कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारतीय-संस्कृति का विवरण
यथास्थान चित्रों का प्रयोग
सरल व प्रवाहमयी भाषा

Bharat Ki Pratham Mahilayen by Asharani Vohra

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भारत की प्रथम महिलाएँ—आशा रानी व्होरा

दूसरों की बनाई राह पर तो सभी चलते हैं। परंपराओं की गिट्टियाँ तोड़, रूढ़ियों के काँटे बीनते हुए नई पगडंडी तैयार करना सचमुच बड़े साहस और जोखिम का काम होता है। भारतीय नारी की मुक्‍ति और उसे वर्तमान स्तर पर लाने के लिए न जाने कितनी स्‍‍त्रियों ने यह जोखिम उठाया है। एक-एक पगडंडी तैयार करने के लिए वर्षों-वर्षों के अंतराल से एक-एक कदम उठा, ठिठका, लड़खड़ाया, फिर सँभलकर दृढ़ता से गति पकड़ता गया।
यह जानने की जिज्ञासा स्वाभाविक है कि कौन थीं वे अग्रणी महिलाएँ? कौन सी थीं वे राहें? किसने, किस तरह, किस नई राह को चुना या उसका निर्माण किया? यह पुस्तक इस जिज्ञासा का समाधान ही नहीं, उन महती विभूतियों के प्रति एक विनम्र श्रद्धांजलि भी है, जिन्होंने रूढ़ि तोड़, अपने अद‍्भुत साहस का परिचय दे किसी भी क्षेत्र में ‘पहल’ की है।
जब कभी किसी महिला ने किसी क्षेत्र में पहल की—वह प्रथम विमान-चालिका बनी, प्रथम आई.पी.एस., प्रथम जज या प्रथम विधायक, तब समाचार-पत्रों ने एक समाचार प्रकाशित किया, कभी चित्र भी—और फिर लोग भूल गए।
प्रस्तुत प्रेरणाप्रद पुस्तक में भारत की उन निडर, अडिग और अग्रणी महिलाओं की संघर्ष-यात्रा को अत्यंत रोचक शैली में प्रस्तुत किया गया है। निश्चय ही हर आयु वर्ग के पाठकों, विशेषकर महिलाओं के लिए अत्यंत उपयोगी एवं पठनीय पुस्तक।

Bharat Ki Rajneeti Ka Uttarayan by Suryakant Bali

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‘भारत की राजनीति का उत्तरायण’, जैसा कि पुस्तक के शीर्षक से ही स्पष्ट है, एक राजनीतिक पुस्तक है। कोई भी राजनीतिक पुस्तक राजनीतिक घटनाओं पर आधारित हो सकती है अथवा राजनीति से जुड़े व्यक्तित्वों पर आधारित हो सकती है या फिर राजनीतिक विचारधारा से, राजनीतिक विचारों से जुड़ी हो सकती है। यह पुस्तक तीसरे वर्ग में रखी जा सकती है, अर्थात् ‘उत्तरायण’ पुस्तक विचारधारा पर आधारित राजनीतिक पुस्तक है।
भारत की विचारधारा से जुड़ी कोई राजनीतिक पुस्तक हो और वह भारत के अध्यात्म, भारत के धर्म और भारत के संप्रदायों से न जुड़ी हो, भारत की अपनी निगम-आगम-कथा परंपराओं से न जुड़ी हो, भारत के अध्यात्म-अद्वैत-भक्ति, अपने इन तीन वैचारिक आंदोलनों से न जुड़ी हो, भारत के तीन विशिष्टतम महर्षियों, जो संयोगवश तीनों ही दलित महर्षि हैं, ऐसे वाल्मीकि, वेदव्यास तथा सूतजी महाराज से न जुड़ी हो, तो फिर वह भारत की विचारधारा पर आधारित पुस्तक कैसे कही जा सकती है? ‘उत्तरायण’ भारत की इसी, दस हजार सालों से विकसित अपनी, देश की अपनी विचारधारा से जुड़ी पुस्तक है, देश के अध्यात्म-धर्म-संप्रदाय से अनुप्राणित पुस्तक है। निगम, आगम, कथा इन तीनों परंपराओं से जीवन-रस प्राप्त करने वाली तथा भारत केतीन वैचारिक आंदोलनों, अध्यात्म-अद्वैत-भक्ति आंदोलनों से पोषण प्राप्त करने वाली शब्द-प्रस्तुति है, उसी से प्राप्त विचारधारा का विश्लेषण करती है।
भारत की विचारधारा पर आधारित इस पुस्तक के केंद्र में ‘हिंदुत्व’ है, जो पिछले दस हजार साल से भारत की अपनी विचारधारा है और इस विचारधारा के केंद्र में है ‘हिंदू’, जिसको लेखक ने इन शब्दों में परिभाषित किया है कि ‘हिंदू वह है, जो पुनर्जन्म मानता है’।
भारत में सभ्यताओं के बीच हुए संघर्ष को ढंग से समझने की कोशिश करनी है तो वह काम गंगा-जमनी सभ्यता जैसे ढकोसलों से परिपूर्ण शब्दावली से नहीं हो सकता। भारत को बार-बार तोड़नेवाली विधर्मी शक्तियों के विवरणों पर खडि़या पोत देने से भी काम नहीं चलनेवाला। ‘इसलाम शांति का मजहब है’ जैसी निरर्थक बतकहियों से भी कोई बात नहीं बननेवाली। भारत के सभी मुसलिम निस्संदेह भारत की ही संतानें हैं। हम इतिहास में दुर्घटित सभी इसलाम प्रवर्तित भारत-विभाजनों से मुक्त अखंड भारतवर्ष की बात कर रहे हैं। पारसीक (फारस), शकस्थान (सीस्तान), गांधार (अफगानिस्तान), सौवीर (बलोचिस्तान), सप्तसिंधु (पाकिस्तान), सिंधुदेश (सिंध), कुरुजांगल (वजीरिस्तान), उत्तरकुरु (गिलगित-बल्टिस्तान), काश्मीर (पी.ओ.के.), पूर्व बंग (बांग्लादेश) आदि सभी इसलाम प्रेरित विभाजनों से पूर्व के भारतवर्ष की बात कर रहे हैं। ऐसे भारतवर्ष के सभी मुसलिम भारतमाता की ही संतानें हैं, हिंदू दादा-परदादाओं की ही संतानें हैं, इसलामी जड़ोंवाले देशों से वे यहाँ नहीं आए हैं। इतिहास में की गई जोर-जबरदस्तियों, प्रलोभनों, उत्पीड़नों के परिणामस्वरूप यहाँ आतंक का माहौल बनाकर इसलामी व ईसाई धर्मांतरण में धकेल दिए गए हैं। ये सभी धर्मांतरित वास्तव में हिंदू ही हैं—इस, यानी इसी इतिहास के धरातल पर लिखे अमिट सत्य को स्वीकारने में, अपने पिता, दादा, परदादाओं के धर्म, शिक्षा-दीक्षा, संस्कारों व परंपराओं में फिर से मिलकर घुल-मिल जाने में ही समस्याओं के समाधान प्राप्त हो सकते हैं। शुरू की दो-एक पीढि़यों को कुछ मानसिक, वैचारिक, सामाजिक सवालों व तनावों का सामना करना पड़ सकता है। पर वहीं से समाधानों का अक्षय स्रोत भी फूटेगा। जाहिर है कि भारत का अपना जीवन-दर्शन, भारत का अपना धर्म, भारत के अपने संप्रदाय, भारत के अपने पर्व-त्योहार, भारत की अपनी सभ्यता, भारत की अपनी भाषाएँ, भारत की अपनी विचारधारा ही भारत की राजनीति के उत्तरायण की पटकथा लिखनेवाले हैं। लिखना शुरू भी कर चुके हैं।

Bharat Ki Rashtriya Ekta by Lakshmimalla Singhvi

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वि
‘भारत की राष्ट्रीय एकता’
मनुष्यता की जय-यात्रा के लिए; न्याय, स्वातंत्र्य और बंधुता के लिए मनुष्यता के सकरुण संवेदन को आत्मसात् करते हुए राष्ट्रीय एकता की आराधना करना हमारा परम कर्तव्य है। वह कर्तव्य आज हमारा राष्ट्रीय वेदवाक्य हो, अणुव्रत हो, धर्म का शासन माना जाए। न्याय के पथ से प्रविचलित हुए बिना मनुष्यता और राष्ट्रीयता के प्रति हम निष्ठा से विचार करें और तदनुरूप सच्चाई के साथ आचरण करें।

यह अद्भुत है देश जहाँ संदेश एक,
भाषा अनेक हैं,
हर भाषा में यहाँ पुरातन-अधुनातन
का होता संगम;
यह सतरंगी इंद्रधनुष का देश,
भारत की राष्ट्रीय एकता
यहाँ रंगों का उत्सव,
गूँज रहा उत्सव में जीवन के
सारे तारों पर सरगम,
वेदों-उपनिषदों का सरगम,
तीर्थंकर अरिहंत बुद्ध का,
यह आँगन नानक, फरीद, तुलसी,
कबीर का अनुपम उद्गम!
—इसी पुस्तक से

डॉ. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी बहुमुखी तथा बहुविध व्यक्तित्व के धनी थे। एक प्रतिष्ठित विधिवेत्ता एवं संविधानविद् होने के साथ-साथ वे एक कुशल राजनयिक, समर्पित संस्कृतिधर्मी, सहृदय मानवताप्रेमी तथा सफल लेखक-रचनाकार थे। उनका चिंतन, विचार और रचनाकर्म राष्ट्रनिष्ठ था। राष्ट्रवाद के गहरे रस में पगे उनके गद्य और पद्य के कुछ बिंब प्रस्तुत करती है भारत की राष्ट्रीय एकता।

Bharat Ki Sarvangeen Unnati Ka Mantra Antyodaya by Dr. Saravan Singh Baghel ‘Shravan’

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एकात्म मानवदर्शन और अंत्योदय के प्रणेता पं. दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था कि हमारी सोच और हमारे सिद्धांत हैं कि असहाय और अशिक्षित लोग हमारे भगवान हैं। हम सभी का यह सामाजिक और मानवीय धर्म है कि इन वंचितों का उत्कर्ष हो। इसी विराट विचार को आत्मसात् कर जन-कल्याण के लिए उपयोगी कार्यों की प्रेरणा हमें पं. दीनदयालजी से मिलती है। भारत-दर्शन का मूल विचार पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति के उदय से है। इस कार्य को पूर्ण करने में हमें कई चुनौतियों का सामना करना पडे़गा। मगर भारत के पूर्ण विकास की कल्पना और सार्थकता इसी अंत्योदय विचार से की जा सकती है।
अंत्योदय से राष्ट्रोदय की संकल्पना को मूर्तरूप प्रदान करती हमारी वैचारिक भावभूमि ही भारत के कल्याण और विकास की अभिलाषा को संतुष्ट करने के क्रम में अनवरत कर्मशील है। गरीबी के बारे में दीनदयालजी का विचार था—राष्ट्र की रक्षा के लिए हर व्यक्ति को न्यूनतम जीवन स्तर, जैसे उसके मौलिक अधिकार, भोजन, कपड़ा, मकान, दवाई, शिक्षा और उसकी सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा का आश्वासन सरकारों द्वारा उन्हें प्रदान किया जाना चाहिए।
यह पुस्तक देश के विकास में हर वर्ग की भागीदारी तय कर राष्ट्र-निर्माण का मार्ग प्रशस्त करनेवाली चिंतनपरक है।

Bharat Ki Yaadgaar Ghatnayen by Dr. Manisha Mathur

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एक सभ्यता के नजरिए से भले ही डेढ़ सौ वर्षों की अवधि छोटी लग सकती है, लेकिन जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो दंग रह जाते हैं कि इन डेढ़ सौ वर्षों में हमारे देश को कितने नाटकीय परिवर्तन से होकर गुजरना पड़ा है! इस पुस्तक में इतिहास के ऐसे ही उत्थान-पतन, विजय और त्रासदी को समेटने का प्रयास किया गया है। इस पुस्तक में डेढ़ सौ वर्षों के यादगार लम्हों को प्रस्तुत किया गया है। पाठकों का परिचय ऐसे किरदारों से होगा, जिन्होंने हमारे देश का निर्माण किया। विश्वकप क्रिकेट की विजय से लेकर आर्थिक उदारीकरण तक, 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन तक तमाम मील के पत्थरों को इस पुस्तक में समेटा गया है।

Bharat Ko Samajhane Ki Sharten by Suryakant Bali

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तो? पीला यानी भगवा। रक्ताभ-पीत यानी भगवा। रक्त यानी भगवा। पीताभ-रक्त यानी भगवा। केसरिया यानी भगवा। फाग, बसंती रंग, होली का रंग, पकी-फसल का रंग, यानी भगवा। सूर्योदय का रंग भगवा। यज्ञ की अग्नि का रंग भगवा। कश्मीर यानी केसर का रंग भगवा। यह भगवा रंग अपने स्वभाव से जुड़ा हुआ है। पिछले दस हजार साल से जुड़ा हुआ है। हमने तो इसकी सिर्फ राजनीतिक व्याख्या भर की है। धर्मनिरपेक्षता की मार खाए और पिछले कुछ दशकों में उस मार से कराहते लोगों को ‘भगवा’ शब्द से परेशानी होती हो तो हुआ करे। धर्मनिरपेक्ष कोड़ों की मार से कराहते बेबस बुद्धिजीवियों की इस काँपती-कराहती हुई आवाज को क्या सुनना हुआ? हमारी ये सभी पंक्तियाँ, ये सभी पृष्ठ ऐसे कराहते लोगों को समझाने की कल्याण भावना से ही लिखे गए हैं। दशकों से कराह रहे बुद्धिजीवी सदियों से उपलब्ध इस औषध को न लेना चाहें तो कोई क्या कर सकता है। पर इसकी वजह से देश नहीं रुक जाएगा। दस हजार साल से देश अपने हाथ में भगवा पताका उठाए ही चल रहा है। भविष्य में भी देश यही करता रहेगा, उसमें किसी को कोई शक है क्या? गंगा को गंगासागर से मिलने से कोई रोक पाया है?

Bharat Main Shiksha Ke Badhte Kadam by Madan Singh

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भारत में शिक्षा के बढ़ते कदम—डॉ. मदन सिंह
शिक्षा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को वर्तमान संदर्भ में रेखांकित करती तथा इसकी विविध स्थितियों पर विवेचना करनेवाली यह नवीनतम पुस्तक है।
इस पुस्तक में शिक्षा के परिवर्तनशील एवं प्रयोगवादी ढाँचे से संबंधित अधुनातन सैद्धांतिक पक्षों, कार्य-पद्धतियों एवं रणनीतियों का समावेश करके उनके नवीनतम स्वरूप को प्रस्तुत किया गया है।
शिक्षा की गतिविधियों को प्रभावी ढंग से आयोजित एवं संचालित करने की अद्यतन जानकारी देनेवाली यह पुस्तक शासकीय और अर्धशासकीय अभिकरणों, राज्य संसाधन केंद्रों, स्वयंसेवी संगठनों, जन शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों एवं परास्नातक महाविद्यालयों के शिक्षा संकायों, समाज कार्य विभागों तथा प्रौढ़, सतत शिक्षा एवं प्रसार विभागों, उच्च शोध संस्थानों के साथ-साथ सार्वजनिक पुस्तकालयों के लिए अत्यंत उपयोगी है।

Bharat Mein Angrezi Raaj by Sundarlal

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भारत के स्वतंत्रता-संग्राम में बौद्धिक प्रेरणा देने का श्रेय पंडित सुंदरलाल, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के सह-संस्थापक और प्रथम उप कुलपति और ऑल इंडिया पीस काउंसिल के अध्यक्ष इलाहाबाद के सुप्रसिद्ध वकील जैसे उन कुछ साहसी लेखकों को भी है, जिन्होंने पद या परिणामों की चिंता किए बिना भारतीय स्वाधीनता का इतिहास नए सिरे से लिखा। ‘भारत में अंग्रेजी राज’ में गरम दल और नरम दल दोनों तरह के स्वाधीनता संग्राम योद्धाओं को अदम्य प्रेरणा दी।
सर्वज्ञात है कि 1857 के पहले स्वाधीनता संग्राम को सैनिक विद्रोह कहकर दबाने के बाद अंग्रेजों ने योजनाबद्ध तरीके से हिंदू और मुसलिमों में मतभेद पैदा किया। ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति के तहत उन्होंने बंगाल का दो हिस्सों पूर्वी और पश्चिमी में, विभाजन कर दिया। पंडित सुंदरलाल ने इस सांप्रदायिक विद्रोह के पीछे छिपी अंग्रेजों की कूटनीति तक पहुँचने का प्रयास किया। इसके लिए उन्होंने प्रामाणिक दस्तावेजों तथा विश्व इतिहास का गहन अध्ययन किया; उनके सामने भारतीय इतिहास के अनेक अनजाने तथ्य खुलते चले गए। इसके बाद वे तीन साल तक क्रांतिकारी बाबू नित्यानंद चटर्जी के घर पर रहकर दत्तचित्त होकर लेखन और पठन-पाठन में लगे रहे। इसी साधना के फलस्वरूप एक हजार पृष्ठों का ‘भारत में अंग्रेजी राज’ नामक ग्रंथ स्वरूप ले पाया।

Bharat Mein Digital Kranti by Pradeep Thakur

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अंकीय क्रांति (डिजिटल रेवोल्युशन) को ‘तीसरी औद्योगिक क्रांति’ के रूप में जाना जाता है। यह सादृश्य (एनालॉग), यांत्रिक (मेकैनिकल) व विद्युत् (इलेक्ट्रॉनिक) प्रौद्योगिकियों से अंकीय प्रौद्योगिकी (डिजिटल टेक्नोलॉजी) में बदलाव की क्रांति है।
भारत सरकार ‘डिजिटल इंडिया’ को अंकीय रूप से सशक्त समाज व ज्ञान अर्थव्यवस्था के विकास के बहूद्देशीय कार्यक्रम के रूप में तेजी से आगे बढ़ा रही है। प्रधानमंत्री ने इस कार्यक्रम को आई.टी. (इंडियन टैलेंट/भारतीय प्रतिभा) + आई.टी. (इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी/सूचना प्रौद्योगिकी) = आई.टी. (इंडिया टुमारो/ कल के भारत) के रूप में अनोखे तरीके से परिभाषित किया था। ‘डिजिटल इंडिया’ परियोजना को तब भारी बल मिला था, जब 11 मार्च, 2016 को, ‘आधार (वित्तीय व अन्य अनुवृत्तियाँ, लाभों व सेवाओं की लक्षित पहुँच) अधिनियम, 2016’ लोकसभा में पारित किया गया था। उसके बाद 8 नवंबर, 2016 को विमुद्रीकरण और 1 जुलाई, 2017 से वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) को लागू कर भारत सरकार ने ‘डिजिटल इंडिया’ के महत्त्वाकांक्षी सपने को साकार करने की दिशा में क्रांतिकारी कदम उठाया। इस प्रकार भारत में ‘अंकीय क्रांति’ तेजी से आगे बढ़ रही है, लेकिन अभी भी इसकी राह में कई चुनौतियाँ हैं।
विश्वास है कि ‘भारत में डिजिटल क्रांति’ सभी सुधी पाठकों को इससे जुड़ी जटिल प्रक्रिया को समझने में भरपूर मदद करेगी।

Bharat Mein Europeeya Yatri by Ravi Shankar

SKU: 9789387980013

यूरोप के ज्ञात इतिहास में भारत उनके लिए आकर्षण का केंद्र रहा है। भारत की यात्रा और भारत के साथ संबंधों का विस्तार यूरोप के विविध कालांडों के बीच एकसूत्रता का विषय-बिंदु है। यही कारण है कि यूरोप से भारत आनेवाले हर यात्री ने भारत की यात्रा के पश्चात् अपने अनुभव, भारत की अपनी समझ और भारतीय समाज-संस्कृति एवं सभ्यता को अपने-अपने ढंग से प्रस्तुत करने की कोशिश की है। भारत का इतिहास लिखनेवाले आधुनिक इतिहासकारों ने इन यात्रियों के यात्रा- वृतांत को अपने इतिहास-लेखन हेतु महवपूर्ण प्रामाणिक स्रोत स्वीकार करते हुए तथा इसको आधार बनाकर भारत में भारत का एक ऐसा चित्र रचा है, जो भारत नहीं है।
ईसाइयत की विश्वदृष्टि से अलग भारत इनकी समझ से बाहर था, योंकि न इनके पास भारत के यथार्थ का अध्ययन था और न ही भारत को समझने का अवकाश। भारत में आए यूरोपीय यात्रियों के उद्देश्य, उनके वर्णनों के आधार और उनके द्वारा रचे गए मजहबी छलछद्म पर भारत के अध्येताओं के द्वारा गंभीर अध्ययन नहीं हुआ है। यह पुस्तक इस दृष्टि से एक साहसिक प्रयास है। यूरोपीय यात्रियों के वर्णनों के पीछे छिपे मंतव्य, यात्रियों की पूर्व मान्यता और यात्रा के वास्तविक उद्देश्यों की ओर इंगित करती इस पुस्तक में भारतीय दृष्टि से यथार्थ को देने की कोशिश की गई है, साथ ही यूरोप के संगठित यात्रा अभियानों के निहितार्थ को बेबाकी से उकेरा गया है।

Bharat Mein Panchayati Raaj by Pramod Kumar Agrawal

SKU: 9789382901860

भारत में पंचायती राज’ एक विश्‍लेषणात्मक, जानकारीपरक एवं अत्यंत महत्वपूर्ण कृति है, जिसमें पंचायती राजतंत्र के सभी पहलुओं का विस्तृत विवेचन किया गया है। भारतीय लोकतंत्र में पंचायतें आज विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के बाद शासन प्रणाली के चतुर्थ स्तंभ के रूप में उभरी हैं। पंचायतें भविष्‍य में और भी सक्षम और सुदृढ़ होंगी। भारत में विद्यमान जटिल समस्‍‍याओं का सीधा समाधान पंचायत-संस्‍‍थाओं के माध्‍यम से ही संभव है।
‘ भारत में पंचायती राज’ इस विषय पर एक समग्र कृति है, जो कि नीति- निर्धारकों, प्रशासकों, पंचायत- प्रतिनिधियों और जनता के बीच संवाद का माध्यम बनेगी तथा सभी के लिए समान रूप से उपयोगी सिद्ध होगी।

Bharat Mein Paryatan by Rajesh Kumar Vyas

SKU: 8188140953

हमारे देश में जितनी विविधता है, उतनी विश्व के किसी भी अन्य देश में नहीं है। हिमाच्छादित पहाड़ियाँ, हिमखंड, गरम जल के फव्वारे, गुफाएँ, सम्मोहित करनेवाली झीलें, दूर तक पसरा रेगिस्तान, समुद्र तट, खान-पान, रहन-सहन, त्योहारों के आकर्षण आदि के बारे में जितना कहा जाए उतना ही कम है। यही वह देश है जहाँ सभी रुचियों के पर्यटकों के लिए वैविध्यपूर्ण छटा के पर्यटन स्थल हैं। यही नहीं, पर्यटन के लिहाज से भारत को एकमात्र ऐसा देश भी कहा जा सकता है जिसमें पर्यटक दूसरे देशों के मुकाबले सिर्फ एक तिहाई या इससे भी कम खर्च पर घूमने-फिरने का आनंद उठा सकते हैं।
तेजी से फैल रहे एशियाई बाजारों को देखते हुए भारत के लिए पर्यटन के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भागीदारी निभाने का यही सही समय है। इस दायित्व की पूर्ति के लिए आवश्यक है पर्यटन शिक्षा। पर्यटन शिक्षा की भी उपादेयता यही है कि इसके जरिए राष्ट्रें में बेहतर पर्यटन वातावरण निर्मित किया जा सके। ऐसा यदि होता है तो पर्यटन के जरिए आतंकवाद, हिंसा, आंदोलन, जातिवाद जैसी समस्याओं से स्वत: ही निजात पाई जा सकती है। पर्यटन परस्पर सौहार्द और जीवन स्तर को उत्कर्ष पर ले जाने का बेहतरीन माध्यम बन सकता है
ÖæÚUÌ ×ð´ ÂØüÅUÙ में पर्यटन के सैद्धांतिक पक्ष को व्यावहारिक अनुभवों के साथ प्रस्तुत किया गया है। विश्वास है विश्वविद्यालय पाठ्यक्रमें, पर्यटन संगठनों, नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं को ध्यान में रखकर लिखी गई यह पुस्तक पर्यटन प्राध्यापकों, पर्यटन उद्योग में नियोजित व्यक्तियों, पर्यटकों तथा विद्यार्थियों के लिए समान रूप से लाभकारी सिद्ध होगी।

Bharat Mein Rashtrapati Pranali by Bhanu Dhamija

SKU: 9789352660018

एक महान् समाज दुर्बल हो रहा है। भारत के नागरिक जीवन की दयनीय स्थिति और अप्रतिष्ठित सरकारी संस्थाओं से जूझ रहे हैं। इसका परिणाम है, वे नैतिक रूप से लगातार कमजोर हो रहे हैं। इस स्थिति पर शोक मनाने या केवल टिप्पणी करने के बजाय मैंने कुछ ठोस करने का निर्णय लिया। अमरीका में लगभग दो दशक रहने के बाद मैं भारत लौटा और उस प्रदेश के लिए एक दैनिक समाचार-पत्र आरंभ किया, जहाँ मैं रहने जा रहा था। सोच रहा था कि मेरे अखबार में, जो विचार और विवरण सामने आएँगे, वे जनता की राय बदलेंगे। संभवतया ऐसा हुआ भी, लेकिन मुझे एहसास हुआ कि दोष महज जागरूकता की कमी से कहीं अधिक गहरा था। इसने मेरा संकल्प और मजबूत कर दिया और उसी मंथन का परिणाम है यह पुस्तक। भारत मेरा एकमात्र ध्येय है। मेरी कोई राजनीतिक, वैचारिक या दलगत संबद्धता नहीं है।
यह पुस्तक भारत को बचाने का एक प्रयास है। हर गुजरते दिन, भारत में सरकार की मौजूदा प्रणाली लोगों के आत्मबल और नैतिक चरित्र को नष्ट कर अपूरणीय क्षति पहुँचा रही है। यह पुस्तक मात्र रोग ही नहीं बताती, इलाज सुझाती है। यह भारत को इसके कष्टों से छुटकारा दिलाने का हृदयस्पर्शी प्रयास है।

Bharat Mein Udyamita by Kalraj Mishra

SKU: 9789353226299

आर्थिक उदारीकरण के युग के प्रारंभ होने के साथ-साथ भारत में ही नहीं, अपितु पूरे विश्व में उद्यमिता के क्षेत्र में बहुत विस्तार हुआ है। सभी विकसित व विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था में उद्यमिता, विशेष रूप से एम.एस.एम.ई. सेक्टर अहम योगदान कर रहा है। भारत में एम.एस.एम.ई. सेक्टर का योगदान आयात में 40 प्रतिशत, विनिर्माण में 45 प्रतिशत व सकल घरेलू उत्पाद में 8 प्रतिशत रहा है।
देश में बढ़ती हुई बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए उद्यमिता के क्षेत्र में एम.एस.एम.ई. सेक्टर की उपलब्धियों को आम आदमी तक पहुँचाने की दृष्टि से इस पुस्तक का लेखन किया गया है। यह पुस्तक उन युवाओं के लिए, जो अपना उद्यम प्रारंभ करना चाहते हैं, मार्गदर्शक साबित होगी। इस पुस्तक के द्वारा नवउद्यमी उद्यमिता के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही विशेष योजनाओं व सरकार द्वारा दी जानेवाली विशेष सुविधाओं की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे तथा उद्यम स्थापित करने में आनेवाली विभिन्न समस्याओं का निदान पा सकेंगे।
अपना उद्यम स्थापित करने के इच्छुक पाठकों के लिए एक पठनीय कृति।

Bharat Ratan by Anil Kumar / Manish Kumar

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महानता किसी वृक्ष से टपका हुआ फल नहीं है। यह तो प्रत्येक व्यक्ति में अंत:सलिल की भाँति विद्यमान रहती है। आवश्यकता होती तो बस उसे परिस्थितियों के प्ररिप्रेक्ष्य में अनुभव करने की। इतिहास साक्षी है कि जिसने भी अपनी छिपी प्रतिभा, विशिष्टता को पहचान लिया, वह महान्, आदर्श और प्रेरणादायी व्यक्तित्व बन गया।
सामाजिक संस्थाएँ ही नहीं, देश भी ऐसी विभूतियों को सम्मानित और अलंकृत करता है। सम्मानोपाधियाँ उन विशिष्ट व्यक्तित्वों को दी जाती हैं, जो अपने बल, पौरुष, बुद्धि-चातुर्य एंव कला-कौशल आदि के बल पर कुछ विशिष्ट कर दिखाते हैं।
‘भारत रत्न’ देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो देश की विशिष्ट एवं महान् विभूतियों को दिया जाता है। प्रस्तुत पुस्तक ‘भारत रत्न’ में अब तक जिन व्यक्तित्वों को राष्ट्र के द्वारा यह अलंकरण प्रदान किया गया है, उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व का हृदयग्रही वर्णन किया गया है। ‘भारत रत्न’ सम्मान पानेवाती विभूतियों ने किन विकट परिस्थितियों में रहकर राष्ट्रोत्थान एवं समाजोत्थान के कार्यों को संपन्न किया। अपनी मेहनत, लगन, निष्ठा एवं कर्तव्यपरायण के द्वारा हमारे तथा भावी पीढ़ियों के लिए आदर्श पुरुष कैसे बने?
विद्यार्थियों, शोधार्धियों के लिए ही नहीं, सामान्य पाठकों के लिए भी अत्यंत जानकारीपरक एव पठनीय पुस्तक है—‘भारत रत्न।’

Bharat Vaibhav by Chakradhar Semwal

SKU: 9789387968318

‘गागर में सागर’ यानी कुछ किताबी पन्नों में शस्य-श्यामला माँ भारती का अतुल वैभव समेटने का यह विनम्र प्रयास है। मानव सभ्यता के प्रामाणिक वैज्ञानिक दस्तावेज, हमारे शिल्पियों एवं वास्तुकारों से निर्मित भारत के सात महान् आश्चर्य, योग-आयुर्वेद के चमत्कारी नुस्खे, अणु-परमाणु, अंतरिक्ष यान, परखनली शिशु के मूल स्रोतों की समीक्षा, संगीत एवं त्योहारों की रसधाराएँ, विश्व के समुद्री कुंभ मेले का सजीव चित्रण, प्रकृति एवं पर्यावरण की समीक्षा, भारत की अतुल धन-संपदा एवं आजादी के प्रतीक चित्तौड़गढ़ किले का विशद वर्णन तथा अनेकता में एकता के समावेश से पुरातन एवं वर्तमान के महामिलन का संयोग अनायास ही सुलभ हुआ है।
समुद्र-मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों की तरह ही शायद यह अतुल वैभव भी पौराणिकता के लबादे में हमारी आँखों से ओझल हो जाता, परंतु भला हो उस आधुनिक परमाणु बम के जनक रॉबर्ट ओपेनहाइमर एवं अन्य पाश्चात्य विद्वानों का, जिन्होंने खुले मन से आज की औद्योगिक एवं विज्ञान की क्रांतियों का श्रेय हमारे ज्ञान के खजानों, वेद, उपनिषद्, रामायण, पुराण एवं गीता को प्रदान किया है।
भारत के गौरवशाली अतीत का जयघोष करनेवाली अत्यंत पठनीय कृति।

Bharat Vapas Patri Par by Bibek Debroy , Ashley J. Tellis , Reece Trevor

SKU: 9789352665327

इक्कीसवीं सदी के पहले दशक में भारत ने विकास दर की जिस द्रुत गति को प्राप्त किया था, 2014 आते-आते वह उसमें काफी पिछड़ गया। ऐसी आवश्यकता महसूस की गई कि इस स्थिति को पलटने के लिए नई दिल्ली को विभिन्न प्रकार के विषयों पर अपने नीति संबंधी विकल्पों पर गंभीर चिंतन करना चाहिए।
‘भारत वापस पटरी पर’ काफी हद तक 2014 के आम चुनावों के समय लिखी गई, जब आम जनता के बीच यह चर्चा हो रही थी कि हमारे देश को उच्च विकास के पथ पर फिर से लाने के लिए अगली सरकार को किस प्रकार के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाना चाहिए। भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख सेक्टर में नीतियों की सिफारिश के लिए यह भारत के कुछ सबसे कुशल विश्लेषकों को एक मंच पर लेकर आया है। यहाँ सबको मिलाकर संक्षिप्त सुझावों के साथ नीति निर्माताओं और आम लोगों के सामने भारत के भविष्य के लिए एक स्पष्ट खाका पेश किया गया है।
कुल मिलाकर यह पुस्तक आशावाद जाग्रत् करती है कि विषमताओं को दूर करके ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मूलमंत्र को हृदयंगम कर दूरदर्शी, कठोर व व्यावहारिक निर्णय लेकर वर्तमान केंद्र सरकार ने विकास की पटरी पर भारत को वापस ला खड़ा किया है।

Bharat Vibhajan by Sardar Patel

SKU: 9788173158735

स्वतंत्र भारत के प्रथम गृहमंत्री और ‘लौह पुरुष’ की उपाधि प्राप्त सरदार पटेल कांग्रेस के एक प्रमुख सदस्य थे। पूर्ण स्वराज्य प्राप्त करने के उद्देश्य से स्वतंत्रता आदोलन में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई । उनके संपूर्ण राजनीतिक जीवन में भारत की महानता और एकता ही उनका मार्गदर्शक सितारा रहा। सरदार पटेल दो समुदायों के बीच आंतरिक मतभेद उत्पन्न करके ‘बाँटो और राज करो’ की ब्रिटिश नीति के कट्टर आलोचक थे।
भारत की एकता को बनाए रखना उनकी सबसे बड़ी चिंता थी। लॉर्ड माउंटबेटन ने 3 जून, 1947 को अपनी योजना घोषित की। इसमें बँटवारे के सिद्धांत को स्वीकृति दी गई। इस योजना को कांग्रेस और मुसलिम लीग ने स्वीकार किया। सरदार पटेल ने कहा कि उन्होंने विभाजन के लिए सहमति इसलिए दी, क्योंकि वह विश्वसनीय रूप से समझते थे कि ‘(शेष) भारत को संयुक्त रखने के लिए इसे अब विभाजित कर दिया जाना चाहिए। ‘
सरदार पटेल के विस्तृत पत्राचार के आधार पर प्रस्तुत पुस्तक में भारत विभाजन किन परिस्थितियों में और किन-किन कारणों से हुआ, भारतीय नेताओं की मनःस्थिति तथा तत्कालीन समाज की मन :स्थिति का साक्ष्यों के प्रकाश में विस्तृत वर्णन किया गया है । भारत विभाजन के काले अध्याय का सप्रमाण इतिहास वर्णित करती एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक।

Bharat-Israel Sambandh by Maj (Dr.) Parshuram Gupt

SKU: 9789389471229

मेजर (डॉ.) परशुराम गुप्त
जन्म : 30 अगस्त, 1953 को रायबरेली जिले के सलोन नगर में।
शिक्षा एवं दायित्व : स्नातकोत्तर (इलाहाबाद विश्वविद्यालय), पी-एच.डी. (गोरखपुर विश्व विद्यालय), पूर्व प्राचार्य : गो. महंत अवेद्यनाथ महाविद्यालय, चौक, महाराज-गंज (उ.प्र.), पूर्व विभागाध्यक्ष एवं एसोशिएट प्रोफेसर, रक्षा अध्ययन विभाग, जवाहरलाल नेहरू स्मारक पो. ग्रे. कालेज, महाराजगंज (उत्तर प्रदेश)।
प्रकाशन : राष्ट्रीय महत्त्व की बीस पुस्तकें प्रकाशित और अनेक का लेखन अनवरत जारी।
सम्मान : दो बार रक्षा मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित, शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु दैनिक जागरण और भोजपुरी परिवार मस्कट, ओमान द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान हेतु सम्मानित, महानिदेशक, राष्ट्रीय कैडेट कोर द्वारा सम्मानित, भारत के मान. राष्ट्रपति (भारत सरकार) द्वारा राष्ट्रीय कैडेट कोर में प्रशंसनीय सेवा हेतु इसी कोर में ‘मेजर’ के अवैतनिक रैंक से सम्मानित, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ, द्वारा ‘कबीर सम्मान’ से सम्मानित, उत्तर प्रदेश दिवस के अवसर पर साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान हेतु जिलाधिकारी द्वारा सम्मानित।

Bharat-Nirman Mein Bharatiya Manishiyon Ki Prerak Bhoomika by Dr. Saravan Singh Baghel ‘Shravan’

SKU: 9789390378692

भारत के महापुरुषों ने देश में ही नहीं, संपूर्ण विश्व में अपने ज्ञान, साहस, संयम, वीरता और धीरता का ध्वज लहराया है। राष्ट्र-निर्माण में भारतीय मनीषियों द्वारा समाज को दिया गया विचार-दर्शन उसकी चिरस्थायी संपत्ति है। उनके विचारों को समाज के हित में जीवित रखना हमारा परम कर्तव्य है। ये दिव्य महापुरुष ईश्वर की प्रेरणा से राष्ट्र-चिंतन के विचार की धुन में भारत माता की सेवा के लिए निकल पड़ते हैं और उसके प्रचार में मस्त होकर अपने समाज और राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्वों का निर्वहन कर अपने विचारों को प्रतिपादित करते हैं। वह स्वयं को कठोर बनाकर समाज के लिए लचीला रहकर समाज के लिए आदर्श और पथ-प्रदर्शक का कार्य करते हैं। उन्हें हम योद्धा संन्यासी भी कहते हैं। स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद, गोपाल कृष्ण गोखले, लोकमान्य तिलक, महात्मा गांधी, श्रीगुरुजी गोलवलकर, स्वातंत्र्यवीर सावरकर जैसी विभूतियों ने अपना सर्वस्व राष्ट्र के लिए न्योछावर कर भारत के सर्वोत्कर्ष के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया। उन्हीं के पुण्य-प्रताप से भारत का सामाजिक-सांस्कृतिक पुनरुत्थान और नवोत्थान हुआ। भारत के इन्हीं महापुरुषों के सामाजिक और राजनीतिक विचारों को इस पुस्तक में प्रकाशित किया गया है। अत्यंत प्रेरणाप्रद पुस्तक, जो हर भारतीय को अपने स्वर्णिम अतीत का गौरवबोध कराएगी और उनमें राष्ट्रीय भाव जाग्रत् करेगी।

Bharat-Pak Sambandh by J N Dixit

SKU: 9789352664009

भारत-पाकिस्तान संबंधों के बारे में कुछ अनुमान अकसर लगाए जाते हैं-पहला, भारत व पाकिस्तान में आम लोग एक- दूसरे के संपर्क में आना चाहते हैं, लेकिन सरकारें इसे रोकती हैं; दूसरा, भारतीयों और पाकिस्तानियों की नई पीढ़ी पुराने पूर्वाग्रहों को तोड़ सकती है; तीसरा, सांस्कृतिक व बौद्धिक संपर्क के समर्थन से सामान्य आर्थिक व तकनीकी सहयोग आपसी संबंधों में सुधार ला सकता है ।
यह पुस्तक इन अनुमानों की उपयुक्‍तता की जाँच करने का महत् प्रयास करती है । अब तक विभाजन की यादें धुँधली होती नहीं दिखीं, न ही पूर्वग्रहों से मुक्‍त‌ि मिली है । पाकिस्तान भारत के साथ आर्थिक संबंधो के बारे में गंभीर आशंकाओं से ग्रस्त है, क्योंकि उसे डर है कि एक बड़े पड़ोसी द्वारा उसका शोषण किया जा सकता है और उसे दबाया जा सकता है । यह अनुमान लगाना तार्किक होगा कि सूचना-क्रांति तथा आर्थिक भूमंडलीकरण पाकिस्तान और भारत को अपनी प्रवृत्तियाँ व नीतियों बदलने के लिए विवश कर सकते हैं ।
किंतु ये पूर्वानुमान 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका पर हुए आतंकवादी हमले के बाद नाटकीय तरीके से बदल गए । दो माह बाद भारतीय संसद् पर आक्रमण के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव चरम सीमा पर पहुँच गया । अब जनरल मुशर्रफ एक दुविधापूर्ण स्थिति में हैं । यदि उन्हें सत्ता में रहना है तो वह अपने देश में इसलामी कट्टरपंथियों का एक सीमा से अधिक विरोध नहीं कर सकते । दूसरी ओर, उन्हें धार्मिक कट्टरता और आतंकवाद से खुद को अलग करने के अमेरिका के नेतृत्ववाले अंतरराष्‍ट्रीय दबाव का ध्यान भी रखना है । अत: प्रतीत होता है, भारत-पाकिस्तान संबंध एक और जबरदस्त घुमाववाले मोड़ पर पहुँच चुके हैं ।
-ड्सी पुस्तक से

Bharatiya Gyan Ka Khazana by Prashant Pole

SKU: 9789388984065

दविंची कोड और एंजल्स एंड डेमन्स जैसे विश्वप्रसिद्ध उपन्यास लिखनेवाले डेन ब्राउन का एक उपन्यास है—द लॉस्ट सिंबल। इसमें उपन्यास का नायक अपने विद्वान् और वयोवृद्ध प्राध्यापक से प्रश्न पूछता है—मानव जाति ज्ञान हासिल करने के पीछे लगी है। यह ज्ञान प्राप्त करने का आवेग प्रचंड है। यह प्रवास हमें कहाँ लेकर जाएगा? अगले पचास-सौ वर्षों में हम कहाँ होंगे? और कौन सा ज्ञान हम प्राप्त करेंगे?
वे प्राध्यापक, उपन्यास के नायक को उत्तर देते हैं—यह ज्ञान का प्रवास, जो आगे जाता दिख रहा है, वह वास्तव में आगे नहीं जा रहा है। यह तो अपने पूर्वजों द्वारा खोजे हुए समृद्ध ज्ञान को ढूँढ़ने का प्रयास है। अपने पास प्राचीन ज्ञान का इतना जबरदस्त भंडार है कि आगे जाते हुए हमें वही ज्ञान प्राप्त होनेवाला है। वे प्राध्यापक इस संदर्भ में भारतीय ज्ञान परंपरा का उल्लेख करते हैं।
और फिर पीछे मुड़कर जब हम देखते हैं, तो ज्ञान की जो बची-खुची शलाकाएँ दिखती हैं, उन्हें देखकर मन अचंभित सा हो जाता है। इतना समृद्ध ज्ञान हमारे पूर्वजों के पास था…!
उसी अद्भुत और रहस्यमयी ज्ञान के कपाट खोलने का छोटा सा प्रयास है यह पुस्तक ‘भारतीय ज्ञान का खजाना’।

Bharatiya Janata Party Ki Gauravgatha by Shantanu Gupta

SKU: 9789390315734

29 मार्च, 2015 को, 11 अशोक रोड स्थित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पुराने कार्यालय में एक डिजिटल काउंटर आगे बढ़ता जा रहा था। पार्टी कार्यकर्ता, पदाधिकारी, यहाँ तक कि स्टाफ की नजरें भी डिजिटल स्क्रीन पर जमी थीं। स्क्रीन पर पार्टी की सदस्यता लेनेवालों की कुल संख्या दिख रही थी, जिन्हें पार्टी के नए ‘सदस्यता अभियान’ से जोड़ा जा रहा था। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, अमित शाह उस दिन कार्यालय में ही थे। बालसुलभ उत्सुकता के साथ उनकी भी नजरें डिजिटल काउंटर पर ही गड़ी थीं। काउंटर जैसे ही अपने लक्ष्य पर पहुँचा, पूरा कार्यालय खुशी से झूम उठा। 8.8 करोड़ सदस्यों तक पहुँचते ही इसने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को पीछे छोड़ दिया था। इस महत्त्वाकांक्षी सदस्यता अभियान के पीछे अमित शाह की ही सोच थी।
यह कैसे संभव हुआ? क्या यह महज आँकड़े जुटाने का अभियान था, जिसने भाजपा के भाग्य को और बलवान बनाया, या इसके पीछे ऐसी सोच थी, जिसका समय आ चुका था? 1984 में लोकसभा में महज दो सीटों वाली पार्टी का विपक्ष को इस प्रकार बुरी तरह परास्त करना और इतना भीमकाय रूप लेना क्या मात्र मोदी-शाह की जोड़ी का कमाल है या इसके कारण हिंदुत्व आंदोलन की उस जटिलता की गहराई में छिपे हैं, जिसे लेकर काफी गलतफहमी है? इन प्रश्नों का उत्तर देने के लिए शांतनु गुप्ता भारत के दक्षिणपंथी आंदोलनों के इतिहास, उनकी वैचारिक उत्पत्ति से राष्ट्रवादी विचारों के विकास तक जाते हैं, और भाजपा पर एक समग्र अध्ययन को लेकर आते हैं, जो मात्र एक राजनीतिक दल नहीं, बल्कि एक वैचारिक संगठन है, जो इस देश के राष्ट्रवादी आंदोलन को इस प्रकार परिभाषित करता है, जैसा पहले कभी नहीं किया गया था।

Bharatiya Jyotish Vigyan by Ravindra Kumar Dubey

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प्रत्येक काल में मनुष्य के ज्ञान की एक सीमा रही है। अज्ञात क्षेत्र का ज्ञान प्राप्त करने के प्रयास सदैव जारी रहे हैं। प्राचीन भारत में ज्योतिष विज्ञान एक प्रमुख विज्ञान था। लेकिन किसी भी विषय का सामान्य ज्ञान जनसाधारण को न होने की दशा में उस विषय के प्रति जनसामान्य में अनेक भ्रांतियाँ पैदा हो जाती हैं। वैसा ही कुछ ज्योतिष के बारे में भी है। लेकिन ज्योतिष एक पूर्व विज्ञान है। जनसामान्य को ज्योतिष की विज्ञान-सम्मत जानकारी हासिल कराना, यह ज्योतिष के अर्द्धज्ञानी व्यक्तियों की ‘पैसा खींचू मानसिकता’ का शिकार न बने तथा ज्योतिष विज्ञान के वास्तविक लाभ अपने परिवार एवं समाज हेतु प्राप्त हों—यही इस पुस्तक का उद्देश्य है।

Bharatiya Parmanu Shastra by Jasjit Singh

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तीन दशकों तक भारत परमाणु शक्‍त‌ि के रूप में उभरने की दिशा में आत्मसंयम बरतने की नीति अपनाता आ रहा था । 11 – 13 मई, 1998 को भारत की रक्षानीति में नया मोड़ आया । इस दिन भारत ने परमाणु परीक्षण किए । यह राष्‍ट्रीय तथा अंतरराष्‍ट्रीय क्षेत्र में युगांतरकारी घटना है । इसी दिन भारत ने यह घोषणा की कि अब यह देश परमाणु शक्‍त‌ि-संपन्न राष्‍ट्र बन चुका है । इसी दिन से भारत की रक्षानीति में नया अध्याय आरंभ हो गया था । भारत की विदेश नीति पाँच दशक पुरानी है; जबकि परमाणु नीति इसी घटना के साथ आरंभ हुई ।
राष्‍ट्रीय स्तर पर इन परीक्षणों के बाद यह आवश्यकता उभरकर सामने आई कि परमाणु शक्‍त‌ि- संपन्न राष्‍ट्र के रूप में भारत को अधिक सुस्पष्‍ट नीति तैयार करनी चाहिए । अब, हमें विश्‍वसनीय प्रतिनिवारण क्षमता (deterrance) के सिद्धांत एवं कार्यनीति पर विचार करना है तथा आवश्यक कमांड और नियंत्रण प्रणालियों को आवश्यकता के अनुरूप बनाना है, ताकि आकस्मिक रूप से (दुर्घटनावश) या गलत अनुमान से होनेवाले परमाणु संबंधी खतरे की संभावना कम-से-कम की जा सके ।
निरस्त्रीकरण से अप्रसार की ओर मुड़ने तथा अप्रसार व्यवस्था के दबावों के सापेक्ष भारत द्वारा गए परीक्षणों तथा परमाणु शक्‍त‌ि के बारे में निर्णय लिया गया है । भारत इस व्यवस्था के फंदों को तोड़ पाने में सफल हो गया है । इन बाधाओं से परमाणु नीति के संदर्भ में भारत द्वारा अपनाए गए खुले विकल्प ‘ पर अप्रासंगिक दबाव बढ़ रहा था । क्षेत्रीय स्तर पर इन परीक्षणों से यह प्रमाणित हो गया कि इस क्षेत्र में लंबे समय से परमाणु और मिसाइल का प्रसार हो रहा है तथा यह भी स्पष्‍ट हो गया कि यह प्रसार किस सीमा तक हो चुका है ।
एक ओर परमाणु शक्‍त‌ि-संपन्न राष्‍ट्र तथा दूसरी ओर चीन और पाकिस्तान के बीच रणनीति-विषयक सहयोग से भारत की सुरक्षा के प्रति नकारात्मक निहितार्थों के साथ-साथ इनके आधार भी तैयार होने लगे थे । परमाणु परीक्षणों से भारत रणनीति-विषयक माहौल को नया रूप देना चाहता है, दिन पर दिन बढ़ती जा रही विषमता दूर करना चाहता है तथा संक्रांति के दौर से गुजर रहे विश्‍व के सामने खड़ी सामरिक अनिश्‍च‌ितताओं से निपटने के लिए अपनी क्षमताएँ बढ़ाना चाहता है, ताकि अपनी सुरक्षा तथा मूल हितों को भी बचाया जा सके ।
इस पुस्तक में इन सभी मुद‍्दों का पता लगाने तथा इनका विश्‍लेषण करने का प्रयास किया गया है, ताकि विभिन्न स्तरों पर आवश्यक तार्किक नीति संबंधी दृष्‍ट‌िकोण एवं वस्तु-स्थिति का आकलन किया जा सके । परमाणु राष्‍ट्र के रूप में भारत के अम्युदय से जुड़ी जटिलताओं पर विभिन्न दृष्‍ट‌िकोणों से विचार किया गया है । इस प्रक्रिया में वस्तु-स्थिति की सही तसवीर पेश करने की कोशिश की गई है । महत्त्वपूर्ण घटनाक्रमों के तुरंत बाद इस पुस्तक में विशद विषय-वस्तु तथा गहन विश्‍लेषण प्रस्तुत किया गया है । इसीके साथ-साथ राष्‍ट्रीय और अंतरराष्‍ट्रीय क्षेत्र में विद्यमान महत्वपूर्ण मसलों का भी सम्यक् अध्ययन किया गया है ।

Bharatiya Parva Evam Tyohar by Rajeshwari Shandilya

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भारत अनेकता में एकता का देश है। इसमें दुनिया के प्राय: सभी धर्म एवं संप्रदाय मौजूद हैं, जिन्हें हर तरह की धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्‍त है और वे अपने-अपने पर्व-त्योहार अपनी परंपरा के अनुसार मनाने के लिए स्वतंत्र हैं। हमारे पर्व या त्योहार मात्र एक उत्सव नहीं होते, जिन्हें उल्लास और उमंग के साथ मनाकर एक औपचारिकता पूरी कर दी जाती है, बल्कि अधिकांश पर्वों में एक संस्कृति, एक इतिहास और एक परंपरा निहित है।
कुछ पर्व ऐसे हैं जो अनेक स्थानों पर कई दिनों तक उत्सव के रूप में मनाए जाते हैं, जैसे—मैसूर का दशहरा, कुल्लू का दशहरा या तिरुपति उत्सव आदि। पर्व एवं त्योहारों की जो अविभाज्य परिकल्पना हिंदुओं में है, वह अन्य पंथों व संप्रदायों में कदाचित् ही मिले। वास्तव में हमारी संस्कृति ही उत्सवप्रिय रही है। यह हमारे समृद्ध सांस्कृतिक जीवन एवं गहन आध्यात्मिक चिंतन का प्रतिबिंब है।
प्रस्तुत पुस्तक में विभिन्न पर्वों एवं त्योहारों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। यह अत्यंत सुगमता से विभिन्न पर्वों एवं त्योहारों से संबंधित महत्त्वपूर्ण संदर्भों व तथ्यों की जानकारी प्रदान करती है।

Bharatiya Rail : Desh Ki Jeevan-Rekha by Bibek Debroy , Vidya Krishnamurthi , Sanjay Chadha

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आधुनिक भारत को जन्म देनेवाले रेल नेटवर्क की अद्भुत कहानी
रेल ने भारत को आधुनिकता प्रदान की तथा इसके विस्तृत नेटवर्क ने इस उपमहाद्वीप के एक कोने से दूसरे कोने को आपस में मिलाया और पहले की अपेक्षा परिवहन, संचार एवं व्यापार को भी सुगम बनाया। यहाँ तक कि भारत को एक राष्ट्र का रूप देने में रेल की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। इसने यहाँ के विषम क्षेत्रों एवं लोगों को ऐतिहासिक और भौगोलिक रूप से न केवल जोड़ा, बल्कि भारतीयों के जीवन एवं विचार को भी बदला, जिससे एक राष्ट्रीय पहचान बननी संभव हो सकी।
पुरानी ऐतिहासिक घटनाओं को लघुकथाओं के माध्यम से प्रस्तुत करती, श्रमपूर्वक लिखी गई यह पुस्तक रेल-यात्राओं के रोमांच के साथ अपनी विशालकाय व्यापारिक शक्ति का भी परिचय कराती है। सन् 1890 यानी प्रथम योजना बनने के समय से भारत की स्वतंत्रता तक के रेल के विकास को विवेक देवराय और इनके सह-लेखकों ने प्रस्तुत किया है। इनके प्रयोगों से यह भी स्पष्ट होता है कि भारत में रेल नेटवर्क किस प्रकार हुआ और किस प्रकार यह ऐसी जीवन-रेखा बनी, जो संपूर्ण राष्ट्र को आज भी एक धागे में पिरोती है।
भारतीय रेल का इतिहास, उसकी परंपरा और उसके वर्तमान व भविष्य पर एक विहंगम दृष्टि डालती पठनीय पुस्तक।

Bharatiya Rajneeti Aur Hamari Soch by Rajnath Singh

SKU: 9789350480861

वैचारिक दृष्‍ट‌ि से भाजपा एक सामान्य राजनैतिक दल नहीं है जो सत्ता प्राप्‍त‌ि के स्वार्थ से जुड़कर और प्रेरित होकर अपना कार्य करते हैं। भाजपा एक ऐसा राजनैतिक दल है जो एक विशिष्‍ट विचारधारा और राजनीतिक शैली को भारत की राजनीति में स्थापित करने के लक्ष्य से प्रेरित होकर कार्य कर रही है। हम सब परिपक्व विचारधारा के प्रति समर्पित एक परिपक्व कार्यकर्ता है। हमारे अंदर लोग भारतीयता की झलक देखते हैं। और इसके माध्यम से राष्‍ट्रीय समस्याओं के समाधान की अपेक्षा करते हैं। स्वतंत्र भारत के इतिहास में देश की जनता ने किसी भी दल से इतनी अपेक्षाएँ नहीं कीं जितनी कि हमसे की हैं।

भाजपा का वैचारिक अधिष्‍ठान सांस्कृतिक रावाद है। विगत दो दशकों में पश्चिमी मॉडल पर जिस तेजी से आर्थिक प्रगति हो रही है, वह उतनी ही तेजी से पश्चिमी जीवन मूल्य हमारे शाश्वत सांस्कृतिक मूल्यों, सामाजिक आदर्शों और परिवार के स्वरूप पर भी आघात कर रहे हैं। अन्य राजनैतिक दल भले ही इसे गंभीरता से न लेते हों परंतु भारत और भारतीयता के प्रति समर्पित भारतीय जनता पार्टी की दृष्‍ट‌ि में यह एक गंभीर चुनौती है।

अनेक राजनैतिक दलों ने जहाँ जाति, पंथ और मजहब का सहारा लेकर वोट की राजनीति करने में कोई संकोच नहीं किया वहीं हमने वोट से ज्यादा अहमियत ‘राष्‍ट्र’ को दिया। हमारे सामने वोट से बड़ा राष्‍ट्र है और हमें इस बात का सुकून है कि हमने जिन बातों का विरोध किया, वह हमारा राष्‍ट्रीय कर्तव्य था। हम अपराधबोध से ग्रस्त नहीं हैं।
—इसी पुस्तक से

‘राष्‍ट्र सर्वोपरि’ जिस राजनीतिक दल का प्राणतत्त्व है, जिसने कभी वोट-बैंक की राजनीति नहीं की, जिसने सदा राष्‍ट्रीय अस्मिता और सुरक्षा को सबसे अधिक प्रमुखता दी है, जो ‘भय-भूख-भ्रष्‍टाचार’ से आक्रांत कोटि-कोटि भारतीयों की आशा का केंद्र है—ऐसी भारतीय जनता पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह के चिंतनपरक, प्रखर, ओजस्वी विचारों का पठनीय एवं प्रेरणाप्रद संकलन।

Bharatiya Rajsatta : Kitni Samvaidhanik by Ram Lochan Singh

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यह पुस्तक परिश्रमपूर्वक इकट्ठी की गई शोध सामग्रियों के वैज्ञानिक विश्लेषणों के आधार पर लिखी गई एक ऐसी कृति है, जो यह दरशाती है कि स्वतंत्र भारत के संविधान की ‘प्रस्तावना’, ‘मौलिक अधिकारों’ और ‘राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों’ में प्रदत अवधारणाओं और भारतीय राजसत्ता के बीच जो विरोधाभाषी प्रवृत्ति आज पैदा हो गई है, उसका विकास किस तरह से क्रमिक गति से होता गया है। एक समाजवादी और लोक कल्याणकारी भारतीय गणतंत्र की जिस अवधारणा को स्वावलंबी आर्थिक विकास, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की आर्थिक इकाइयों को सर्वोपरि महत्त्व के स्थान पर रखकर ‘समाजवादी ढाँचे के समाज’ के निर्माण के लिए चलाई जा रही आर्थिक-नीति में किस तरह के सैद्धांतिक भटकाव क्रमिक गति से आते गए कि उन्होंने इजारेदारियों को आगे बढ़ा दिया, सामंतवादी उत्पादन प्रणाली के अवशेषों को संपूर्णता में समाप्त करने में असपफल हो गए और सबसे बढ़कर साम्राज्यवादी वित्तीय पूँजी के साथ भारतीय राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के संबंधों को इस हद तक मजबूती प्रदान कर दी कि देश क्रमिक गति से आर्थिक तौर पर संकटग्रस्त होता चला गया। खास कर राजीव गांधी के शासन काल में नव-उदारवादी नीतियों की तरफ हुए अत्यधिक झुकाव के कारण भारत गहरे आर्थिक संकट में फँस गया। जरूरत थी पूर्व की कमजोरियों और गलतियों को ठीक करने की मगर नरसिम्हा राव सरकार ने इसके बदले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के सामने आत्मसमर्पण की नीति को अख्तियार कर पूर्व की सर्वमान्य स्वावलंबी विकास नीति के ठीक विपरीत नव-उदारवादी आर्थिक विकास नीति को स्वीकार करके विकास प्रक्रिया को एक विपरीत दिशा में मोड़ दिया। इसके परिणामस्वरूप जिस आर्थिक आधार का निर्माण भारत में हो रहा है वह वर्तमान संविधान की आत्मा के ठीक उल्टा है। अब तो संविधान को ही बदल देने की माँग बड़ी पूँजी के तावेदार राजनीतिक दल करने लगे हैं, जो भारत को न तो समाजवादी-लोक कल्याणकारी राज्य रहने देगा न अर्थव्यवस्था पर सरकार का नियंत्राण। इससे राज सत्ता का स्वरूप ही बदल दिए जाने का खतरा है।

Bharatiya Sainya Shakti by Gen. V. P. Malik

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भारतीय सेना ने राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता किसी भी अन्य लोकतांत्रिक विकासशील देश की अपेक्षा बेहतर तरीके से बनाए रखी है। परंतु इन सफलताओं का श्रेय उसके उच्चतर रक्षा प्रबंधन को कम, सामरिक आयोजना एवं उसके निष्पादन के लिए जिम्मेदार सैन्य कर्मियों को अधिक जाता है। लेकिन कई बार भारत भारी कठिनाइयों को झेलने के बाद मिली सामरिक उपलब्धियों को दीर्घकालिक व सामरिक सफलताओं में बदलने में नाकाम रहा है।
ऐसा क्यों होता है? हम सैन्य-संघर्ष से पहले और उसके दौरान राजनीतिक निर्णय किस तरह लेते हैं? रक्षा आयोजना और प्रबंधन में सुधार के लिए क्या किया जाना चाहिए? इन सब प्रश्नों के समाधान के साथ-साथ नए मार्ग प्रशस्त करनेवाली इस पुस्तक में भारत के सैन्य-संघर्षों के कुछ ताजा उदाहरण प्रस्तुत किए गए। इनमें ‘ऑपरेशन पवन’, जिसके दु:खद परिणाम हुए थे, का विवरण आँखें खोल देनेवाला है, और साथ ही मालदीव में किया गया ‘ऑपरेशन कैक्टस’ एक त्वरित कमांडो काररवाई भी दी गई है, जिसमें भारतीय सेना ने चौबीस घंटे के भीतर तख्तापलट का प्रयास विफल कर दिया था।
पूर्व भारतीय थल सेनाध्यक्ष जनरल वेदप्रकाश मलिक के व्यावहारिक अनुभवों से नि:सृत ये प्रामाणिक, वस्तुनिष्ठ वृत्तांत और आकलन हमें निर्णय-प्रक्रिया की आंतरिक जानकारी देते हैं। इस कृति में भारत के उच्चतर रक्षा प्रबंधन के भावी परिप्रेक्ष्य का आकलन भी दिया गया है। ये विवरण समसामयिक हैं और हर उस व्यक्ति को मुग्ध कर देंगे, जिसका भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से कुछ भी सरोकार है।

Bharatiya Sanskar by Indu Veerendra

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धन चला गया, कुछ नहीं गया। स्वास्थ्य चला गया, कुछ चला गया। चरित्र चला गया तो समझो सबकुछ चला गया।’ यानी संस्कार चरित्र-निर्माण के मूलाधार हैं।
संस्कार घर में ही जन्म लेते हैं। इनकी शुरुआत अपने परिवार से ही होती है। संस्कारों का प्रवाह बड़ों से छोटों की ओर होता है। बच्चे उपदेश से नहीं, अनुकरण से सीखते हैं। वे बड़ों की हर बात का अनुकरण करते हैं।
बालक की प्रथम गुरु माता ही होती है, जो अपने बच्चे में आदर, स्नेह, अनुशासन, परोपकार जैसे गुण अनायास ही भर देती है। परिवार रूपी पाठशाला में बच्चा अच्छे-बुरे का अंतर बड़ों को देखकर ही समझ जाता है।
आज की उद‍्देश्यहीन शिक्षा-पद्धति बच्चों का सही मार्ग प्रशस्त नहीं करती। आज मर्यादा और अनुशासन का लोप हो रहा है। ज्ञान की उपेक्षा तथा सादगी का अभाव होता जा रहा है। प्रकृति में विकार आ जाने तथा सामाजिक वातावरण प्रदूषित हो जाने के कारण आज संस्कारों की बहुत आवश्यकता है।
प्रस्तुत पुस्तक में संस्कारों की व्याख्या अत्यंत सुबोध भाषा में समझाकर कही गई है। आज की पीढ़ी ही नहीं, हर आयु वर्ग के पाठकों के लिए एक पठनीय पुस्तक।

Bharatiya Sanskriti Ka Samvahak Indonesia by Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’

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हजारों साल बाद भी भारतीय संस्कृति का जीवंत रूप देखना है तो इंडोनेशिया जाना चाहिए। नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर और विशिष्ट संस्कृतिवाला इंडोनेशिया बड़े वर्ग को आकर्षित करता है। न केवल इंडोनेशिया ने अपने को भारत की अमर सनातन संस्कृति से जोड़ा है, बल्कि उसे समृद्ध बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
धर्म, संप्रदाय, भाषा, क्षेत्र और जाति की परिधि में अपने को समेटकर हम लालच में पड़कर नैतिकता को छोड़ पतन की तरफ जा रहे हैं। ऐसे में इंडोनेशिया ने न केवल भारतीय संस्कृति को सहेजकर रखा है, बल्कि उसे संरक्षित, संवर्धित करने में सफलता पाई है।
इस पुस्तक में इंडोनेशिया-भारत की प्रगाढ़ मित्रता, सामरिक साझेदारी का उल्लेख है, वहीं इंडोनेशिया के भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक पक्ष को सुधी पाठकों के समक्ष रखा है। इसमें इंडोनेशिया की संस्कृति, शिक्षा, परंपराओं, इतिहास और इस देश की विकास की कहानी को पाठकों से साझा किया गया है। बदलते विश्व परिदृश्य में भारत-इंडोनेशिया की सामरिक मित्रता, बढ़ते व्यापारिक रिश्तों के साथ-साथ एशिया में इंडोनेशिया-भारत की बढ़ती भूमिका और दक्षिण-पूर्व प्रशांत क्षेत्र में विश्व शांति की स्थापना में दोनों देशों की साझी नीतियों और उनके योगदान की चर्चा की है। इस कृति से दोनों देशों के लोगों को एक-दूसरे के निकट आने में मदद मिलेगी।

Bharatiya Sanskriti Ke Anvarat Upasak Dr. Shyam Bahadur Verma by Dharmendra Verma

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डॉ. श्याम बहादुर वर्मा का जन्म 10 अप्रैल, 1932 को हुआ। 1945 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आने के बाद उनमें राष्ट्र-प्रेम की भावना अजस्र रूप से बहने लगी। 1948 में संघ पर प्रतिबंध के विरोध में आंदोलन कर जेल गए। तेजस्वी श्यामजी ने अपनी ओजस्वी भाषण शैली के माध्यम से सन् 1952 में बरेली कॉलेज, छात्र संघ के चुनाव में धनी एवं प्रभावी कांग्रेसी परिवार के युवक को हराया।
सन् 1953 में अपने धर्म-संस्कृति के प्रखर ज्ञान के तीव्र प्रहारों से नारायणनगर, अल्मोड़ा के मेले में ईसाई प्रचार में वर्षों से रत मिशनरी कैंप को उखाड़ फेंका। 200 मील लंबी पद यात्रा में नेपाल एवं तिब्बत भी गए। मार्ग में दैवीय कृपा भी मिली। संघ की अनेक शाखाओं को प्रारंभ किया और संघकार्य को ग्रामीण अंचलों तक पहुँचाया।
दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी के लोकप्रिय प्राध्यापक रहे। इस कालखंड में ‘बृहत् विश्व सूक्ति कोश’ (तीन खंडों में) तथा ‘बृहत् हिंदी शब्दकोश’ (दो खंड़ों में) जैसे अप्रतिम शब्दकोश की रचना कर हिंदी भाषा के अध्ययन एवं अध्यापन में अभूतपूर्व एवं अविस्मरणीय योगदान दिया। अनेक कालजयी रचनाओं से न केवल हिंदी साहित्य को समृद्ध किया, अपितु समाज में राष्ट्रीय गौरव व देशप्रेम की अलख जगाने का सफल प्रयास किया।
हिंदी अकादमी, दिल्ली ने 28 अक्तूबर, 1998 को उन्हें ‘साहित्यकार सम्मान’ से सम्मानित किया।
सामाजिक स्तर पर ‘भारतीय अनुशीलन परिषद, बरेली’ के माध्यम से 40 वर्षों तक भारतीय धर्म, संस्कृति एवं इतिहास की अलख जगाकर हजारों बाल, युवा एवं प्रौढ़ों को संस्कारित किया।

Bharatiya Sanskriti Ke Rakshak Sant by Justice Shambhu Nath Srivastava

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सनातन भारतीय संस्कृति सृष्टि के आदिकाल से ही अपने चिरंतन मानवीय मूल्यों के साथ प्रवाहित रहती है। विश्व के अधिकांश देशों में जहाँ इसलाम पहुँचा, वहाँ के निवासी मुसलिम बना दिए गए। भारत में 712 ई. से सत्रहवीं शताब्दी तक इसलाम का शासन विभिन्न क्षेत्रों में था, परंतु 1000 वर्ष के इस विदेशी मुसलिम शासन काल में भारतीय जनमानस पर विदेशी आक्रमण की समस्त क्रूर विद्रूपताओं के बावजूद अपने चिरंतन उदात्त मानवीय मूल्यों के संवाहक संतों के कारण यह भारतीय संस्कृति आज भी अजस्र रूप से प्रवाहित हो रही है। इस राजनीतिक पराभव काल में भारत के महान् संतों ने संपूर्ण भारत के गाँव-गाँव में हिंदू जनता को सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक रूप से पूरी तरह सुरक्षित रखा।
प्रस्तुत पुस्तक में ऐसे स्वनामधन्य पूज्यपाद संतों व उनके जीवन चरित का उल्लेख किया गया है, जिनके कारण भारतीय संस्कृति आज भी संरक्षित है।
गौरवशाली भारतीय संस्कृति के ऐसे रक्षक संतों का पुण्य स्मरण है यह पुस्तक, जिनका प्रेरणाप्रद जीवन हर हिंदू के धर्म-आस्था-श्रद्धा और विश्वास को बल एवं शक्ति देता है।

Bharatiya Sena Ke Shoorveer by Maj. Gen. Shubhi Sood

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देश के वीरों का दृढ़ निश्चय अपने देश के प्रति प्रेम और भक्ति को दरशाता है। रणभूमि की ये घटनाएँ उन देशवासियों को अवश्य प्रेरित करेंगी और उन्हें सोचने पर मजबूर करेंगी, जो स्वयं को धनी बनाने के लिए कई प्रकार के गलत रास्ते अपनाते हैं। विगत में सामने आए घोटालों की बहुलता के बीच यह जान लेना उचित होगा कि ये मूढ़ दिमाग गलत सबक सीख रहे हैं।
बाल अपराधों के तेजी से बढ़ने के साथसाथ अपराध करने के तौरतरीके भी बदल रहे हैं। यदि इन बच्चों का ध्यान सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च बलिदान कर देनेवाले या निश्चित मौत के मुँह से बिना खरोंच के लौट आए उन अनेक शूरवीरों की हैरान कर देनेवाली शौर्यमयी घटनाओं तथा उनके पीछे के जज्बे पर केंद्रित हो जाए तो यह बच्चों को ऐसे शूरवीरों के नक्शेकदम पर चलने के लिए उनके भीतर उपजे प्रेरणादायक विचार की एक खुराक का काम कर सकता है। जहाँ पाँच गोरखा राइफल्स के सूबेदार किशनबीर सिंह नगरकोटी ने चार बार आई ओ एम जीतकर इतिहास रचा, वहीं सारागढ़ी के युद्ध में 21 सिख जवानों को प्रथम श्रेणी आईओएम से सुसज्जित किया जाना अपने आप में दुर्लभ, गौरवशाली और अप्रतिम घटना है।
यह पुस्तक देश के स्कूली बच्चों को ध्यान में रखकर लिखी गई है। जो उनमें देशभक्ति, शूरवीरता, निडरता और परस्पर सहयोग की भावना जाग्रत् करेगी।

Bharatiya Sena Ke Shoorveeron Ki Shauryagathayen by Shiv Aroor, Rahul Singh

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भारत के सैन्य बलों की सच्ची वीरता की कहानियाँ, सेना के मेजर, जिन्होंने नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादियों के लॉन्च पैड पर बहुचर्चित सर्जिकल स्ट्राइक की; एक सैनिक, जिसने 11 दिनों में 10 आतंकवादियों को मार गिराया; नौसेना का एक अधिकारी, जिसने समुद्र के रास्ते एक खतरनाक बंदरगाह तक का सफर किया और युद्ध की विस्फोटक स्थिति से सैकड़ों लोगों को बचाया; वायुसेना का एक लहूलुहान पायलट, जो आग का गोला बन चुके जेट को उड़ा रहा था।
यह उनके ही या उनके साथ अंतिम पलों में मौजूद लोगों की ओर से सुनाए गए वृत्तांत हैं।
‘भारत के सबसे निडर’ (इंडियाज मोस्ट फियरलेस) में असाधारण साहस और निडरता की चौदह सच्ची कहानियाँ हैं, जो उस वीरता की झलक दिखाती हैं, जिनका परिचय भारत के सैनिक अकल्पनीय विपरीत और गंभीर उकसावे की परिस्थितियों में देते हैं।

Bharatiya Senadhyakshon Ka Prerak Jeevan   by  a.K. Shori

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निस्संदेह भारतीय सेना विश्व की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में से एक है। हमारा आयुधागार, हमारी सामरिक क्षमता, हमारी परमाण्विक सामर्थ्य, हमारा सैन्य कौशल और हमारी रेजीमेंट्स की वीरता विश्व स्तर पर हमें यदि सर्वश्रेष्ठ नहीं तो सर्वश्रेष्ठ से कम भी नहीं बनाती हैं। स्वतंत्रता के अनंतर भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ 1948, 1965, 1971, फिर कारगिल में भी तीन युद्ध जीते हैं।
इन सभी युद्धों में एक विशेष तथ्य सामने आया, जो भारत की शांतिप्रिय राष्ट्रीयता का परिचायक भी है कि इनमें से कोई भी युद्ध भारत के द्वारा शुरू नहीं किया गया था। दूसरे शब्दों में कहें तो ये सभी युद्ध भारत पर थोपे गए थे। भारतीय सेनाध्यक्षों ने हर युद्ध में अपने सैन्य कौशल का श्रेष्ठ परिचय दिया और भारत के शौर्य व स्वाभिमान की लाज रखी।
युद्ध तथा शांतिकाल, दोनों में ही अपनी अद्भुत कार्यक्षमता, नेतृत्व-कौशल और अनुपम आदर्शों से उन्होंने भारतीय थलसेना के जवानों और अधिकारियों का हौसला बुलंद किया, उन्हें सदा प्रेरित किया तथा भारवासियों को सदा आश्वस्त किया कि हमारी सीमाएँ और हम भारतीय सुरक्षित हैं।
भारतीय सेनाध्यक्षों का प्रामाणिक जीवनवृत्त प्रस्तुत करती पुस्तक, जिसे पढ़कर न केवल भारतीय सेना के प्रति हमारा सम्मान बढ़ेगा वरन् उसके शौर्य और पराक्रम से हम प्रेरित भी होंगे।