Hindi Literature
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Meri Pyari Gudiya by Maya Verma
कविता मन के भावों को अभिव्यक्त करने के लिए सबसे उपयुक्त माध्यम है। गद्य में अत्यंत सरल भाषा में कही गई बात भी, दूसरों को जल्दी आकर्षित नहीं करती और लंबे समय तक याद भी नहीं रहती। कविता जल्दी जुबान पर चढ़ जाती है, बच्चे इन्हें सहजता से कंठस्थ कर लेते हैं। प्रस्तुत (काव्य-पुस्तक) बाल काव्य-संग्रह में छोटी-छोटी प्रेरक कहानियों को कविता में ढाला गया है। ये कविताएँ बालकों को ही नहीं, बड़ों को भी कर्तव्य-बोध कराने तथा जीवन-मूल्यों की प्रेरणा देने वाली हैं।
Meri Rajneetik Jeevan Yatra by P. A. Sangma
सुदूर वेस्ट गारो हिल्स में जनमे पी.ए. संगमा सन् 1996 में लोकसभा के स्पीकर बने—ऐसा बननेवाले विपक्ष के पहले सदस्य थे। यह निश्चित रूप से भारतीय लोकतंत्र की जीत है। ‘मेरी राजनीतिक जीवन यात्रा’ भारतीय राजनीतिक परिदृश्य की सबसे आकर्षक हस्तियों में से एक के राजनीतिक जीवन को दिखाती है। यह एक छोटे से जनजातीय गाँव से देश की संसद् के सर्वोच्च स्तर तक उनके उदय पर नजर डालती है, जिसमें भारतीय राजनीति और विकास में उनके योगदानों के साथ ही, लोकतांत्रिक संस्थानों की रक्षा तथा जनसाधारण के कल्याण के लिए उनके निरंतर संघर्ष को बताया गया है।
लोकसभा और राज्यसभा में संगमा ने जितने भी भाषण दिए, उनमें से महत्त्वपूर्ण भाषणों को इसमें शामिल किया गया है। इसके साथ ही लोकसभा अध्यक्ष के रूप में उनके आदेशों, राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और सेमिनारों में दिए उनके भाषणों को भी शामिल किया गया है। भारत की स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष में संसद् के सेंट्रल हॉल में उनका मध्य रात्रि का भाषण भी इसका हिस्सा है। इन भाषणों में देश के विकास और भारत के नागरिकों के प्रति एक प्रतिष्ठित सांसद की सोच और चिंता झलकती है; साथ ही दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की कार्य प्रणाली का भी परिचय मिलता है।
इस पुस्तक में जाने-माने नेताओं और विभिन्न क्षेत्रों की हस्तियों के संदेश भी हैं, जिनमें प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों और मजदूर संघ के नेता शामिल हैं, जो संगमा के बहुआयामी व्यक्तित्व के विषय में बताते हैं। एक दूरदर्शी नेता के प्रति भावपूर्ण श्रद्धांजलि तथा युवा नेताओं, शोधकर्ताओं और सामान्य पाठकों के लिए भारतीय लोकतंत्र से जुड़े प्रमुख मुद्दों पर उपयोगी सामग्री व प्रकाश डालने वाली संग्रहणीय पुस्तक।
Meri Sansadiya Yatra – Ii by N.M. Ghatate
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 15 अगस्त, 1998 को ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा था- ‘ एक गरीब स्कूल मास्टर के बेटे का भारत के प्रधानमंत्री के पद तक पहुँचना भारतीय लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक है ।’ पिछली अर्द्धसदी से भी अधिक समय से स्वयं श्री वाजपेयी भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने में अपना रचनात्मक योगदान देते रहे हैं ।
श्री वाजपेयी संसद में रहे हों या संसद के बाहर, भारतीय राजनीति को प्रभावित करते रहे हैं । श्री वाजपेयी का बोला हुआ हर शब्द खबर माना जाता रहा है । उनके भाषण मित्रों द्वारा ही नहीं, राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा भी गंभीरता से सुने जाते हैं । भारतीय जीवन से जुड़े प्रत्येक पहलू पर पूरे अधिकार के साथ बोलना वाजपेयीजी के लिए सहज-संभव-साध्य रहा है । उनकी उदार दृष्टि और तथ्यपरक आँकड़े लोगों को मानसिक स्तर पर संतुष्टि देते रहे हैं । उनकी सोच हरदम रचनात्मक और देश-हित में सबसे बेहतर विकल्प तलाशने व उद्घाटित करनेवाली रही है । उनका सबसे बड़ा योगदान ‘ संसद में संवाद ‘ की स्थिति बनाए रखना, उसके स्तर को ऊँचा उठाना माना जाता है ।
श्री वाजपेयी का चिंतन दूरगामी है । देश-हित उनके लिए सर्वोपरि है । यह तथ्य इन भाषणों को पढ़कर पाठकों के सामने बार-बार उजागर हो आता है । अगर उनके समसामयिक प्रस्ताव, योजनाएँ आशंकाएँ पूरी गंभीरता से स्वीकारी जातीं, उन्हें अमल में लाया जाता, तो देश की दशा इस तरह चिंता का विषय न बनी होती; इसका भी अनंत बार आभास इन भाषणों को पढ़कर होता है ।
अपने प्रधानमंत्रित्व काल में श्री वाजपेयी की राष्ट्रीय प्राथमिकताएँ क्या हैं और उनको पूरा करने की योजनाएँ क्या हैं, यह भी प्रधानमंत्री के रूप में अब तक संसद में दिए गए उनके कुछ थोड़े से भाषणों से स्पष्ट हो जाता है ।
‘ मेरी संसदीय यात्रा ‘ के इन चार खंडों में चालीस से भी अधिक वर्षों में श्री वाजपेयी द्वारा संसद में दिए गए भाषण कालक्रम और विषयवार संकलित हैं ।
इन संकलनों में लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के रूप में किया गया राष्ट्रीय उद्बोधन, संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा में दिए गए महत्त्वपूर्ण भाषण, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के न्यूयॉर्क सम्मेलन में दिया गया भाषण, श्री वाजपेयी को ‘ सर्वश्रेष्ठ सांसद सम्मान ‘ समर्पण समारोह अवसर के सभी भाषण और श्री वाजपेयी का आधार भाषण भी संकलित हैं ।
Meri Unesco Yatra by Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’
यूनेस्को या संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन विभिन्न देशों, समुदायों, संस्कृतियों और नागरिकों के बीच मानवीय मूल्यों की स्थापना को संभव बनाने के लिए एक सशक्त एवं व्यापक मंच प्रदान करता है। यूनेस्को का प्रमुख उद्देश्य शांति स्थापना, गरीबी उन्मूलन, सतत विकास और शिक्षा के माध्यम से विज्ञान, संस्कृति, संचार और सूचना के क्षेत्र में योगदान करना है।
यूनेस्को के लक्ष्यों के केंद्र में अब प्राकृतिक विज्ञान और पृथ्वी के संसाधनों का प्रबंधन भी आ चुके हैं। इसके अंतर्गत विकसित और विकासशील देशों में संसाधन प्रबंधन और आपदा स्थिरता में सतत विकास प्राप्त करने के लिए पानी और पानी की गुणवत्ता, महासागर की रक्षा और विज्ञान तथा इंजीनियरिंग प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना शामिल है।
भारत में मानव कल्याण संदर्भित चिंतन हजारों वर्ष पुराना है। हमारे वेदों, शास्त्रों एवं अन्य ग्रंथों में शासन करनेवालों को धर्म के आधार पर आचरण करने का परामर्श दिया गया है। इस दृष्टि से देखें तो सामाजिक और मानव विज्ञान पर ध्यान केंद्रित करते हुए यूनेस्को भी बुनियादी मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन को न केवल बढ़ावा देता है, बल्कि भेदभाव और नस्लवाद से लड़ने के लिए पूरे विश्व को तैयार करता है।
मानव कल्याण के लिए सतत सक्रिय यूनेस्को की भूमिका, उसके कार्य-क्षेत्र, प्रभाव और संभावनाओं के विषय में प्रामाणिक जानकारी देती रोचक एवं पठनीय कृति।
Metroman E. Sreedharan by M.S. Ashokan
‘मेट्रोमैन’ के नाम से विख्यात ई. श्रीधरन असंभव को संभव बना देनेवाले मानवीय प्रयासों के शानदार पर्याय बन चुके हैं। पिछले छह दशकों में देश की यातायात प्रणाली का आधुनिकीकरण और विस्तार कर उसे वैश्विक मानदंडों के अनुरूप बनानेवाले प्रौद्योगिकीविद् के रूप में उनका कोई सानी नहीं है। केरल के पलक्कड़ जिले के एक सुदूर गाँव करुकपुथुर में जन्मे प्रतिभासंपन्न श्रीधरन की खासियत उनके द्वारा पूरी की गई विकास परियोजनाओं की संख्या और उनकी पहुँच ही नहीं रही है, बल्कि यह भी उनकी विशेषता रही है कि कैसे उन्होंने एक के बाद एक, हर अभियान में समय की कसौटी पर परखे और हमेशा से सँजोकर रखे गए शाश्वत मूल्यों की पुनः-पुनः पुष्टि की और खुद को भ्रष्टाचार से अछूता रखते हुए लोककल्याण के लक्ष्य के साथ पूरी पारदर्शिता से कार्य किया।
देश में सबसे ज्यादा प्रतिभाशाली समझे जानेवाले आई.आई.टी. स्नातक या प्रशासनिक सेवकों वाला प्रभामंडल श्रीधरन के पास नहीं है। महज सिविल इंजीनियरिंग में एक आम डिग्रीवाले श्रीधरन की सफलता का राज अपने व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में नैतिक मूल्यों को लेकर दृढ प्रतिबद्धता है। इसी
ने उन्हें अपने कार्यक्षेत्र में उच्चतम उपलब्धियों तक पहुँचाया।
अथक परिश्रम, लगन, कार्यनिष्ठा, यानी सभी प्रकार के प्रबंधन गुणों का पर्याय हैं ई. श्रीधरन। इनसे प्रेरणा लेकर आज के युवा भी कर्तव्य-पथ पर अग्रसर हो
सकें, इसी में इस पुस्तक के प्रकाशन की सफलता है।
Mewar Kesri Maharana Sanga by M.I. Rajasvi
भारत के इतिहास में यदि राजपूताना की वीरगाथाओं का स्वर्णिम अध्याय न होता तो इसकी वैसी भव्यता न होती, जैसी आज है। यहाँ की धरती भले ही वर्षा की बूँदों के लिए तरसती रही हो, परंतु सत्ता-सिंहासन के लिए निरंतर होते रहे युद्धों से टपकते रक्त से यह भूमि सदैव सिंचित होती रही। आन-बान और शान के साथ ही सत्ता के षड्यंत्रों में रचे-बसे यहाँ के वीरतापूर्ण वातावरण में राजपूतों की महिमा का भव्य दर्शन होता है। इस भूमि पर जहाँ एक ओर सतियों ने जौहर की प्रचंड ज्वालाओं में भस्म होकर भारतीय नारी के दृढ संकल्प और सतीत्व की नई परिभाषा लिखी है, वहीं दूसरी ओर स्वतंत्रता प्रिय राजाओं और अन्य राजपूतों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राण तक अर्पण कर दिए।
महान् राजा बप्पा रावल की संतति ने राजपूताना को अपने रक्त से सिंचित करके राजवंश का गौरव बढ़ाया और राजपूती शान का वर्चस्व बनाए रखा।
प्रस्तुत पुस्तक ‘मेवाड़ केसरी महाराणा साँगा’ में उनके अपार धैर्य और असीम पराक्रम की गौरवगाथा है, जो राजपूताना की अमर कहानी है।
शौर्य, पराक्रम, बलिदान, त्याग के प्रतीक महाराणा साँगा की प्रेरणाप्रद जीवनगाथा।
Microsoft Success Story by pradeep Thakur
माइक्रोसॉफ्ट व्यक्तिगत कंप्यूटर बाजार का ‘एकाधिकारवादी’ (मोनोपॉली) ब्रांड रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से फोर्ब्स पत्रिका की ‘विश्व के सबसे मूल्यवान 100 ब्रांड’ की सूची में एप्पल व गूगल के बाद माइक्रोसॉफ्ट तीसरे पायदान पर खिसक गया है। लेकिन फरवरी 2014 में सत्य नारायण नडेला के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सी.ई.ओ.) बनने के बाद माइक्रोसॉफ्ट के ब्रांड मूल्य में लगातार सुधार दर्ज किया गया था। मई 2017 में फोर्ब्स ने 16 प्रतिशत बढ़त के साथ माइक्रोसॉफ्ट का ब्रांड मूल्य 87 अरब डॉलर आँका था।
घर-घर में कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर पहुँचाकर ‘माइक्रोसॉफ्ट’ ने एक प्रकार से मानव-जाति पर उपकार किया है, क्योंकि इनके कारण दैनंदिन जीवन सुविधाजनक हो गया है। चाहे बैंकिंग हो या रेल-हवाई जहाज टिकेटिंग, प्रबंधक हो या कर्मचारी, हर क्षेत्र में माइक्रोसॉफ्ट के प्रोडक्ट काम की गति बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
कंप्यूटर-क्रांति में अग्रणी भूमिका निभानेवाली ‘माइक्रोसॉफ्ट’ कंपनी की सफलगाथा।
Million Dollar Ki Hera-Pheri by Jeffrey Archer
‘‘तुम इस बारे में क्या सोचते हो, जेम्स?’’
‘‘अद्भुत!’’
‘‘डैडी, अब बस भी कीजिए। हम लोग डिनर कर रहे हैं।’’
‘‘चिढ़ो मत मेरी जान! जेम्स ने पहली बार किसी का पेट नहीं देखा होगा।’’
जेम्स ने सोचा, पेट तो क्या मैं इस निशान को भी पहले देख चुका हूँ।
हार्वे ने अपनी कमीज नीचे करके पैंट में खोंसी और बोला, ‘‘वैसे तुम्हारे फोन से मुझे बहुत फायदा हुआ।’’ वह आगे को झुका और एनी के हाथ पर थपकी देते हुए बोला, ‘‘मैं अच्छा बच्चा हूँ, इसलिए मैंने तुम्हारी सलाह को माना और डॉक्टर बार्कर को किसी भी प्रकार की आपातस्थिति के लिए एक और हफ्ते के लिए रोक लिया। लेकिन इन डॉक्टरों की फीस उफ्फ…’’
जेम्स के हाथ से शराब का गिलास छूट गया। क्लेरेट छलकने से टेबल क्लॉथ पर लाल रंग का धब्बा उभर आया।
‘‘माफ कीजिएगा!’’
‘‘जेम्स तुम ठीक तो हो न?’’
‘‘जी सर!’’ —इसी उपन्यास से
विश्वप्रसिद्ध लेखक जेफरी आर्चर का रोचक-रोमांचक उपन्यास, जो किसी मसाला मूवी का आनंद तो देता ही है; साथ ही माया के मोहजाल में फँसे किरदारों की मनःस्थिति भी दिखाता है।
Mind Management by Anandmurti Gurumaa
आनन्दमूर्ति गुरुमाँ संपूर्णता की परिभाषा हैं। स्वयं प्रेम, करुणा, आनंद और दयालुता का प्रत्यक्षीकरण होने के साथ-साथ आधुनिक दृष्टिकोण से सुसज्जित आपके ज्ञानपूर्ण प्रवचन हर जिज्ञासु के लिए अध्यात्म के नवीन मार्ग खोल देते हैं। आपकी ओजपूर्ण आभा के परिणामस्वरूप सहज ही आंतरिक शांति व आत्मानुभूति का वातावरण तैयार हो जाता है। आपका प्रेमभरा व्यक्तित्व व आपके द्वारा दिए गए जीवन को सुंदरतम ढंग से जीने के सूत्र, हर मानव को प्रेम व अध्यात्म की ज्ञान ऊर्जा से आपूरित कर देते हैं।
Mirgi Lailaj Nahin by J.L. Agarwal
मिरगी लाइलाज नहीं
देश में करीब 50 लाख से ज्यादा लोग विभिन्न प्रकार की मिरगी से ग्रस्त हैं। यह रोग विश्व भर में फैला हुआ है तथा अनेक अंधविश्वास एवं मिथ्या धारणाओं से जकड़ा हुआ है। वास्तव में यह मनोरोग नहीं, बल्कि मस्तिष्क का रोग है। करीब 90 प्रतिशत रोगी उपचार द्वारा रोग-मुक्त हो सकते हैं, या रोग पर प्रभावी नियंत्रण हो सकता है।
प्रस्तुत पुस्तक में मिरगी रोग के इतिहास से लेकर इसके होने के कारणों, लक्षणों, मिरगी के विभिन्न स्वरूपों आदि का गहन विवेचन किया गया है। साथ ही इसमें बरती जानेवाली सावधानियाँ, रोगी की जाँच कैसे करें, मिरगी के दौरे के समय क्या उपाय करें तथा इसके क्या-क्या बचाव हैं, इस पर पर्याप्त प्रकाश डाला गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि रोग के संबंध में जागरूकता उत्पन्न करना, अंधविश्वासों, गलतफहमियों को दूर करना अति आवश्यक है।
मिरगी रोग के संबंध में भ्रांत धारणाओं को मिटाकर व्यावहारिक उपाय और समाधान बतानेवाली एक उत्तम मार्गदर्शिका।
Mishri by Anoop Bajpai
‘मिश्री’ के किरदार उसी प्राचीन धार्मिक नगरी वृंदावन की रज ( मिट्टी) में खेल-कूदकर बडे़ हुए हैं, जहाँ की असंख्य लीलाएँ और कहानियाँ दुनिया भर में सुनी-सुनाई जाती हैं। सँकरी गलियों से निकली कहानी के पात्र खुद को सात समंदर पार भी ले जाते हैं। कहानी में वृंदावन के सभी चटख रंग भी दिखेंगे और परंपरा, आस्था के अनोखे ढंग भी। यही कारण हैं ‘मिश्री’ के किरदार करीब से देखने में अपने और जाने-पहचाने से लगेंगे।
ऐतिहासिक कहानियाँ जो हमारे चिंतन में या चेतन में कहीं दबी होती हैं, अकसर नए किरदारों, बदलते परिवेश में नए रूप में सामने आती हैं। किसी कहानी में सभी किरदारों का अपना महत्त्व है, लेकिन ‘मिश्री’ में एक आधुनिक नारी का एकतरफा समर्पण दिखेगा। उसने एक पात्र के तौर पर दमदार पहचान बनाई, लेकिन खुद के लिए तो बिलकुल नहीं। एक अदृश्य प्रेम जिसका मकसद कुछ पाना नहीं बल्कि खो देना है। कहानी के अंत में ‘मिश्री’ सभी पात्रों और लेखक को भी यह अहसास कराने में सफल है कि इस कहानी की पहचान तो उसके नाम से ही है।
Mission Assam by Lt. Gen. S.K. Sinha
सन् 1997 में जब असम में उग्रवाद चरम पर था, तब लेफ्टिनेंट जनरल एस.के. सिन्हा को वहाँ का राज्यपाल बनाया गया। अपने कार्यकाल के दौरान किस तरह उन्होंने इन चुनौतियों का सामना किया, प्रस्तुत पुस्तक में इसका विस्तृत उल्लेख है। असम में शांति एवं व्यवस्था बहाल करने के लिए उन्होंने अपनी सैन्य पृष्ठभूमि का उपयोग करते हुए अनेक व्यावहारिक योजनाएँ बनाईं।
लेखक ने असम में अनोखे भावनात्मक दृष्टिकोण का परिचय दिया। विद्रोही तत्त्वों से सीधा संवाद किया, उनकी मानसिकता बदली और उन्हें वापस राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया। यही नहीं, असम की सभ्यता-संस्कृति को उन्होंने जाना-समझा और राज्य के डरे-सहमे लोगों के बीच जाकर खुशियों की सुगंध फैलाई।
असम में भयमुक्त वातावरण तैयार करने के प्रयासों और असम के हितों की रक्षा करने के कारण वहाँ की जनता ने उन्हें ‘असम की मिट्टी के सच्चे सपूत’ की उपाधि दी। वहाँ के एक समाचार-पत्र ‘नॉर्थ-ईस्ट टाइम्स’ ने लिखा—‘प्रासंगिक प्रश्न यह है कि फिर सच्चा असमी कौन है? ले.जन. (अ.प्रा.) एस.के. सिन्हा एक सच्चे असमी हैं, क्योंकि वह सच्चे मन से असमी जनसमुदाय के वास्तविक हित की बात सोचते हैं।’ प्रस्तुत पुस्तक में ऐसे लोकप्रिय और कर्मशील शासक द्वारा असम में आशा की लौ जगाने के प्रयासों का वर्णन है, जो पाठकों को देश और समाज में व्याप्त संकट-अवरोधों और इनसे संघर्ष करके मार्ग बनाने के लिए अधिक जागरूक और संवेदनशील बनाएगी।
Mission Everest 1965 by Capt M.S. Kohli
50 साल पहले, 1965 में अपने दस साहसिक सहयोगियों के साथ पाँच दिलेरों ने दुनिया की सबसे ऊँची चोटी ‘माउंट एवरेस्ट’ पर चार बार भारतीय तिरंगा फहराया, जिसने भारत के एक बहुत बड़े वर्ग को प्रेरित किया और भारत में साहसिक कारनामों तथा पर्वतारोहण की संभावनाओं के द्वार खोल दिए।
इस देशव्यापी उत्साह के माहौल में कार्यकारी प्रधानमंत्री गुलजारीलाल नंदा ने रक्षा मंत्री वाई.बी. चव्हाण के साथ पालम एयरपोर्ट पर जाँबाज पर्वतारोहियों के ऐतिहासिक स्वागत समारोह की अगुवाई की और दल के नेता को संसद् के केंद्रीय कक्ष में दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करने का न्योता दिया। लगभग सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने उस दल का स्वागत अपने-अपने राज्यों की राजधानी में किया।
यह भारतीय पर्वतारोहण की युगांतरकारी और सुप्रसिद्ध ‘एवरेस्ट विजय’ की घटना है, जो सदा-सर्वदा लाखों लोगों को ऐसे दुर्गम कार्य करने की प्रेरणा और शक्ति देती रहेगी। एवरेस्ट के इतिहास में पहली बार किसी चोटी तक पहुँचने का प्रयास सही मौसम में इतनी जल्दी शुरू कर दिया गया था। इस कारण ही टीम मात्र 85 दिनों में अपने लक्ष्य तक पहुँच गई और 25 मई, 1965 की सुबह भारतीय तिरंगा शिखर पर लहरा रहा था।
निर्भीकता, साहस, अदम्य इच्छाशक्ति और कुछ कर गुजरने की भावना को बल देनेवाली प्रेरणाप्रद पठनीय पुस्तक।
Mission Impossible by Renu Saini
थाईलैंड की जूनियर फुटबॉल टीम में शामिल कई बच्चे आर्थिक रूप से विपन्न घरों के थे। इस दुर्घटना ने जो कि आज एक ऐतिहासिक घटना बनकर इतिहास के पन्नों पर दर्ज हो चुकी है, हर बच्चे को विश्व के घर-घर में पहुँचा दिया। अब इन बच्चों को अपने जीने के लिए खुला आकाश मिलेगा, स्वप्नों को पूरा करने के लिए पंख मिलेंगे। इन बच्चों की एकाग्रता, आध्यात्मिकता, प्रेम, लगन जैसे भाव इन्हें हर स्थिति में सफल होने की गारंटी देते हैं। जो व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी जीवन के प्रति आश्वस्त रहता है, निरंतर चलता रहता है, संघर्ष करता रहता है, उसे दुनिया की कोई ताकत नहीं हरा सकती।
फुटबॉल टीम एवं कोच ने अपने प्रयासों और बुलंद हौसलों से एक दुखद दुर्घटना को सुखद अंत में परिवर्तित करके यह साबित कर दिया कि शक्तिशाली लोग अपने जीवन में मुसीबत को भी महान् अवसर में बदलकर इतिहास बदल सकते हैं।
थाम लुआंग नैंग नॉन गुफा में घटित यह घटना एक बहुत बड़ा सबक देती है कि यदि सभी लोग एकजुट हो जाएँ तो वे समस्याओं को अवसरों में परिवर्तित करके अपना जीवन बदल सकते हैं। सदियाँ बीत जाएँगी, लेकिन थाईलैंड की फटबॉल टीम की ऐतिहासिक जीत हर उस व्यक्ति को संबल देती रहेगी, जो जीवन से हार मान लेते हैं, निराश हो जाते हैं और तनाव में घातक कदम उठा लेते हैं।
घोर विषमताओं में भी धैर्य रखकर उनसे पार पाने की अद्भुत जिजीविषा का लेखा-जोखा है यह पुस्तक।
Mission India by Dr. A.P.J Abdul Kalam And Dr. A. Sivathanu Pillai
भारत महान् राष्ट्र है, जहाँ समृद्ध विरासत एवं ज्ञान का ऐसा भंडार है, जिसमें पूरे विश्व को बदलने की संभावनाएँ निहित हैं। पिछले हजारों वर्षों से इस देश की संस्कृति, वैज्ञानिक प्रतिभाओं तथा सभ्यता पर लगातार आक्रमण होते रहे। औद्योगिक क्रांति के प्रति उदासीनता, कृषि की खराब स्थिति, संसाधनों के कुप्रबंधन तथा बढ़ती आबादी से महान् राष्ट्र की समृद्धि का हृस होता रहा। इस राष्ट्र के महान् नेताओं ने भारत की स्वाधीनता का सपना देखा तथा राष्ट्र की प्रगति के लिए रोडमैप तैयार किया। विशाल प्राकृतिक संसाधन, जैव विविधता और मानव संसाधन होने के बावजूद भारत को अभी भी अपने अतीत का गौरव प्राप्त करना है।
इस दिशा में महान् वैज्ञानिकों ने कार्य योजना के साथ टेक्नोलॉजी 2020 विजन तैयार किया, ताकि वर्ष 2020 तक आर्थिक स्तर पर भारत विश्व की महाशक्ति के रूप में उभर सके। विज्ञान और प्रौद्योगिकी की गहन समझ तथा इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए योजनाएँ तैयार करके ही राष्ट्र सुदृढ बन पाएगा। यदि हम अपनी सोच बदल लें तो निश्चित रूप से भारत को इस ज्ञान के युग में ग्लोबल लीडर बनने का अवसर मिलेगा। स्वप्नदर्शी डॉ. कलाम का एक ही मिशन था ‘मिशन इंडिया’, जिसके अंतर्गत वे एक विकसित भारत के स्वप्न को साकार होते देखना चाहते थे। यह पुस्तक उसी भविष्य के भारत का दिग्दर्शन कराती है।
Mission Kashmir by S.K. Sinha
मिशन कश्मीर—ले.जन. एस.के. सिन्हा
असम के बाद वर्ष 2003 में ले.जन. एस.के. सिन्हा जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल नुयक्त हुए। अपने छह वर्ष के कार्यकाल के दौरान कश्मीर समस्या के समाधान हेतु उन्होंने अपनी क्षमता और व्यापक अनुभव के बल पर क्या कुछ किया, प्रस्तुत पुस्तक में इसका विस्तृत वर्णन है।
आतंकवाद के चलते जम्मू एवं कश्मीर में भारत की अखंडता और प्रभुसत्ता की रक्षा करना चुनौतीपूर्ण कार्य था, अभी भी है। अपने कार्यकाल के दौरान किस तरह लेखक ने इन चुनौतियों का सामना किया, वहाँ के लोगों को विश्वास में लिया, यह एक लंबी कहानी है। उन्होनें यहाँ की राजनीति में दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी। राज्य के कई मुख्यमंत्रियों से उनका आमना-सामना हुआ। लेखक ने इनके साथ अपने संबंधों, सहयोग और विरोधाभासों का खुलकर उल्लेख किया है।
धार्मिक, ऐतिहासिक, सैन्य, आर्थिक और जातीय—कश्मीर समस्या के इन विभिन्न आयामों के बीच वहाँ एक सौहार्दपूर्ण वातावरण तैयार करना बेहद टेढ़ी खीर था। ऐसी स्थिति में उन्होंने कश्मीर में विद्रोह, आतंकवाद और छद्म युद्ध के दुष्चक्र को समझा और जाना कि धार्मिक कट्टरता ही यहाँ उग्रवाद की मुख्य जड़ है। उन्होंने लोगों को राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने का सार्थक प्रयास किया। उनके प्रयास से ही यहाँ कश्मीरियत को बल मिला। कश्मीर समस्या की वास्तविक सच्चाई और राज्य के सुरक्षा परिदृश्यों की जानकारी देती विचारप्रधान पुस्तक यह स्थापित करती है कि निस्संदेह कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, और हमेशा रहेगा।
Mission Success by Rajesh Aggarwal
प्रसिद्ध मोटिवेशनल गुरु, कोच व स्पीकर राजेश अग्रवाल का ‘मिशन स्ह्वष्ष्द्गह्यह्य’ पुस्तक लिखने का उद्देश्य है कि जब किसी भी क्षेत्र में सफलता, दृष्टिकोण, कुशलता तथा अनुशासन पर निर्भर करती है, न कि केवल किस्मत या भाग्य पर, तो क्यों न इन्हें ही अपनाया जाए।
इस पुस्तक के माध्यम से पाठक जानेंगे कि अभीष्ट सफलता के लिए व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास, जो कि बेहद जरूरी है, कैसे किया जाए। व्यक्तित्व विकास के प्रति निरंतर सजग रहकर आप सफलता व उपलब्धियों के क्षितिज पर अपने वर्चस्व के सुनहरे हस्ताक्षर दर्ज कर सकते हैं।
इसलिए यह पुस्तक पाठकों के लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि यह आपके लिए सफलता के द्वार खोलने की कुंजी है।
Mobile & Computer Ke 100 Smart Tips by Ankit Fadia
मारे फोन, कंप्यूटर और टैबलेट अधिक शक्तिशाली होते जा रहे हैं। लेकिन हम में से कितने उनका अधिक-से-अधिक और बेहतर उपयोग करने के तरीकों को जानते हैं?
Best Selling लेखक अंकित फाडिया आपको बताएँगे कैसे—
• भविष्य में इ-मेल भेजें।
• अपने मोबाइल फोन पर आनेवाली अनावश्यक इनकमिंग कॉल को कैसे बाधित करें।
• धोखा देते हुए साथी को रँगे हाथों पकड़ें।
• आप अपनी कार पार्क की गई जगह याद रखें।
• बच्चों के लिए अनुपयुक्त वेबसाइटों को कैसे ब्लॉक करें।
• अपने मोबाइल फोन पर कार्यों को ठीक से निर्धारित करें।
• Photographs •𤠥¢ÎÚU Ȥæ§Üð´ çÀUÂæ°¡Ð
सरल-सुंदर उदाहरण और सैकड़ों स्क्रीनशॉट्स से सज्जित यह पुस्तक आपकी एक सच्ची मित्र और साथी बनकर आज की कंप्यूटर-इंटरनेट की दुनिया में आपका विशिष्ट स्थान बनाने में सहायक होगी।
इ-मेल, कंप्यूटर, सोशल नेटवर्क, वीडियो साइट्स और कंप्यूटर मोबाइल की दुनिया की सभी चीजों का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करने के सरल और व्यावहारिक तरीके, टिप्स और ट्रिक्स बताती अत्यंत उपयोगी पुस्तक।
Mobile Samrat Sunil Mittal by N.Chokan
प्रस्तुत पुस्तक एक ऐसे उद्यमी की जीवनगाथा है, जिसने पंजाब के लुधियाना शहर से बीस हजार रुपए उधार लेकर व्यापार शुरू किया था और आज वह दुनिया की पाँच सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में से एक का मालिक है। सफलता का पर्याय यह व्यक्ति ‘एयरटेल’ के मालिक सुनील भारती मित्तल है, जो एक जमाने में पारिवारिक व्यवसाय करते हुए ट्रकों में कपड़ा लादकर और उसी कपड़े की गाँठों के ऊपर बैठ तथा लेटकर यात्राएँ किया करते थे।
सुनील मित्तल की उन्नति का एक बड़ा राज यह है कि उन्होंने तालमेल करने और साझेदारी में व्यापार करने से कभी परहेज नहीं किया। पुश बटन के लिए उन्होंने जर्मनी की नामी सीमंस कंपनी से तकनीकी तालमेल किया था और 1990 में भारत में फैक्स मशीन बनाकर संचारजगत् में कमाल कर दिया था।
एयरटेल अकेली ऐसी कंपनी है, जिसमें हर कर्मचारी को शेयर्स मिले हुए हैं। उद्योग समूह को अपना आदर्श माननेवाले सुनील मित्तल उद्योगव्यापार में नवाचार करते हैं, उद्यमशीलता के नए प्रयोग करते हैं और योगसाधना भी करते हैं। कठिन परिश्रम, सही निर्णय क्षमता, दक्ष कार्ययोजना और सघन वितरणविपणन व्यवस्था के प्रतीक सुनील भारती मित्तल की प्रेरक जीवनी, जो पाठकों को सफलता के नए शिखर छूने के लिए उन जैसा बनने के लिए प्रेरित करेगी।
Modern Gurukul by Sonali Bendre Behl
‘बच्चे कथनी की बजाय आपकी करनी से ज्यादा सीखते हैं।’ शिक्षक, गाइड, लीडर्स, संरक्षक एवं संस्कार देनेवाले माँबाप बच्चों के मामले में आनेवाली जटिल परिस्थितियों से निपटने में कठिनाई महसूस करते हैं। इन स्थितियों में उन्हें स्वयं मदद की जरूरत होती है। ‘मॉडर्न गुरुकुल’ पुस्तक में सोनाली बेंद्रे बहल ने एक माँ के रूप में अपने जीवन और अनुभवों के बारे में बताया है तथा सहज और बड़े व्यावहारिक ढंग से ‘बताने’ की बजाय ‘दिखाया’ है कि कैसे उन्होंने अपने पुत्र रणवीर के साथ ऐसी उलझी स्थितियों को सुलझाया है।
सभी शिक्षाविदों और एजुकेटर्स के सामने यह एक बड़ी चुनौती है। बच्चे को इस तथ्य के प्रति संवेदनशील बनाना दुष्कर कार्य है कि बाहरी दुनिया उनके विशेषाधिकार में नहीं है। उनकी ऐसे लोगों के प्रति जिम्मेदारी बनती है, जो उनसे कम सौभाग्यशाली हैं।
इस पुस्तक में सोनाली ने बच्चों के लालनपालन के सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण पहलू पर विचार किया है। निकोलस स्पार्क्स ने इसे इन शब्दों में व्यक्त किया है : ‘माँबाप बनना कैसा लगता है : यह आपके जीवन का कठोरपन दुष्कर पहलू है; लेकिन बदले में आप इससे सहज रूप में प्यार करने के मायने सीखते हैं।’
आज के भौतिकवादी युग में बच्चों को जीवनमूल्य और संस्कारों का बोध कराकर उनमें सामाजिक चेतना जाग्रत् करनेवाली एक प्रैक्टिकल हैंडबुक हर जागरूक माँबाप के लिए।
Modi Hai To Mumkin Hai by Mahesh Dutt Sharma
नरेंद्र मोदी एक ऐसे जनप्रिय राजनेता हैं, जो लोगों की समस्याओं को दूर करने तथा उनके जीवन-स्तर में सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्हें लोगों के बीच जाना, उनकी खुशियों में शामिल होना तथा उनके दुखों को दूर करना बहुत अच्छा लगता है। जमीनी स्तर पर लोगों के साथ गहरा निजी संपर्क होने के साथ-साथ वे ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं। तकनीक के प्रति प्रेम एवं उसमें समझ रखनेवाले नेताओं में वे भारत के सबसे बड़े राजनेता हैं। वेबसाइट के माध्यम से लोगों तक पहुँचने और उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए वे हमेशा कार्यरत हैं। वे सोशल मीडिया, जैसे फेसबुक, ट्विटर, गूगल प्लस, इंस्टाग्राम, साउंड क्लाउड, लिंक्डइन, वीबो तथा अन्य प्लेटफार्म पर भी काफी सक्रिय हैं।
राजनीति के अलावा नरेंद्र मोदी को लेखन का भी शौक है। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें कविताएँ भी शामिल हैं। वे अपने दिन की शुरुआत योग से करते हैं। योग उनके शरीर और मन के बीच सामंजस्य स्थापित करता है एवं बेहद भागदौड़ की दिनचर्या में उनमें शांति का संचार करता है। वे साहस, करुणा और विश्वास से पूर्ण एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिसे देश ने इस विश्वास के साथ अपना जनादेश दिया कि वे भारत का पुनरुत्थान करेंगे और उसे दुनिया का पथ-प्रदर्शक बनाएँगे।
Modi Management by Vivian Fernandes
भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का किया गया कोई काम या बोला गया कोई शब्द तक छिपा नहीं रह पाता। मोदी खुद अपने मेगाफोन हैं। शताब्दी का कोई अन्य भारतीय नेता शायद उनसे ज्यादा जनता की निगाह में नहीं रहता। उनके इतने सारे पहलू हैं कि वे हर किसी की कल्पना में साकार हो सकते हैं। उनकी आर्थिक उपलब्धियों को नकारना किसी भी तरह उचित नहीं है। मोदी व्यापारसमर्थक हैं, लेकिन उन्हें बाजारसमर्थक नहीं कहा जा सकता। वे उदारवादी हैं—वह भी माने हुए। मोदी निजीकरण में विश्वास नहीं करते।
नरेंद्र मोदी अफसरों को स्वतंत्रता देकर और राजनेताओं को दूर रखकर उद्यमों को लाभदायक बनाने का प्रयत्न करते हैं। हालाँकि वे ऐसे एकमात्र नेता हैं, जो निजी उद्यमों के लिए जोरदार और निरंतर आवाज उठाते हैं। वे युवाओं को लगातार प्रेरित करते हैं कि वे रोजगार सर्जक बनें, न कि रोजगार तलाशनेवाले। वे मात्र अधिकार की बात करना और दूसरों पर निर्भरता की संस्कृति के विरुद्ध हैं। वे सरकार की न्यूनतम दखलंदाजी के पक्ष में सबसे मुखर वक्ता रहे हैं। वे राज्य को दौड़ाना नहीं चाहते; लेकिन वे यह भी नहीं चाहते कि अफसरशाही रेंगते हुए आगे बढ़े।
कुशल प्रशासक के रूप में अपनी विशिष्ट छवि बनानेवाले नरेंद्र मोदी के प्रबंधनकौशल और मैनेजमेंट विज्ञान को रेखांकित करनेवाली व्यावहारिक पुस्तक।
Modi Neeti by Dr. Harish Chandra Burnwal
जो समय, काल, परिस्थिति और स्थान से परे है; जो उम्र, लिंग, जाति, धर्म और भाषा की सीमा से परे है, वही सच्चे अर्थ में नीति का निर्माता है। इस संदर्भ में लेखक डॉ. हरीश चंद्र बर्णवाल की पुस्तक ‘मोदी नीति’ की सार्थकता महत्त्वपूर्ण हो जाती है। ‘मोदी नीति’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यों का लेखा-जोखा या रिपोर्ट कार्ड नहीं है, बल्कि जो कार्य उन्होंने प्रधानमंत्री रहते पाँच वर्षों में किए हैं, उन्होंने समाज, देश और मानवता को क्या नई दिशा, दशा और गति दी है, इन सबकी जानकारी वृहत् फलक पर देती है।
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ये आँकड़े गिनाते हैं कि किस प्रकार जो कार्य देश में छह दशकों में भी नहीं हुए, वे उन्होंने 4-5 वर्षों के कार्यकाल में कर दिए तो यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर उन्हीं लोगों, साधनों और संसाधनों के रहते कार्य-संस्कृति में इतना बड़ा बदलाव कैसे आ गया! हम अकसर सुनते आए थे कि इक्कीसवीं सदी भारत की सदी होगी, लेकिन पहली बार यह महसूस भी हो रहा है कि हाँ, यह संभव है। आखिर देश में इतना परिवर्तन कैसे आया? कुछ वर्ष पहले पूरे विश्व में जिस देश की पहचान भ्रष्टाचार, गरीबी, भुखमरी वाले देश के रूप में होती थी, वह आज अचानक विकास के नए-नए रिकॉर्ड कैसे बना रहा है; न्यू इंडिया की बात कैसे हो रही है; इसकी असली वजहें क्या हैं?
‘मोदी नीति’ इन सारे सवालों के जवाब समग्रता में देती है। यह पुस्तक आपको न केवल प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली को समझने में मदद करेगी, बल्कि इसमें तथ्यों के साथ उनके विजन, मिशन और एंबिशन की भी झलक देगी।
Modi Success Gatha by Renu Saini
मोदीजी ने अपनी नीतियों, कार्यक्षमता, कुशलता और योग्यता से यदि संपन्न वर्ग पर प्रभुत्व जमाया है तो एक आमजन में उन्हें अपना प्रधानमंत्री भी नजर आया है। आज सहजता से एक साधारण व्यक्ति अप्रतिम असाधारण व्यक्तित्व के नरेंद्र मोदी तक न सिर्फ सरलता से अपनी बात पहुँचा सकता है, अपितु उनसे मिल भी सकता है। शायद उनकी लोकप्रियता और सफलता का यह भी एक राज है कि वे प्रत्येक व्यक्ति से मिलते समय बिल्कुल उनमें घुल मिल जाते हैं।
इस पुस्तक में मोदीजी के बचपन से लेकर उनकी अभी तक की प्रगतिशील यात्रा को कहानियों के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया है। कई बार जानकारी व तथ्य जहाँ नीरस प्रतीत होने लगते हैं तो फिर उस दरार को कहानियाँ ही पाटती और रोचक बनाती हैं। कहानियाँ सदियों से व्यक्ति के लिए मनोरंजन का एक अभिन्न साधन रही हैं। जब व्यक्ति सरलता से किसी बात को अच्छी और प्रभावशाली तरह से ग्रहण करना चाहे तो उसे उस जानकारी या तथ्य को कहानी के माध्यम से ग्रहण करना चाहिए। कहानी के माध्यम से दी गई जानकारी और सूचनाएँ सदियों तक गाई जाती हैं। ‘मोदी सक्सेस गाथा’ को पढ़ते हुए कथा रस का आनंद भी उठाया जा सकता है।
Modi Vijaygatha 2019 by Pradeep Bhandari
2019 के आम चुनाव की पृष्ठभूमि कुछ ऐसी थी जब अप्रत्याशित गठबंधन बने, जिनमें एक-दूसरे के कट्टर प्रतिद्वंद्वियों ने भी एक व्यक्ति, एक पार्टी और एक विचारधारा के खिलाफ हाथ मिला लिया था। भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब एकजुट विपक्ष सामने आया, जिससे ये चुनाव मोटे तौर पर मोदी-विरोधी बनाम मोदी—समर्थक बन गया। नोटबंदी और जी.एस.टी. को लोग जहाँ अब तक भूले नहीं थे, वहीं चुनाव से ठीक पहले पुलवामा के हमले और बालाकोट एयरस्ट्राइक ने राष्ट्रवाद की एक भावना पैदा कर दी। इस वजह से, सबसे अनुभवी राजनीतिक जानकार भी ये अंदाजा नहीं लगा सके कि इस चुनाव का नतीजा क्या होगा। भले ही अब हम जानते हैं कि इस चुनावी लड़ाई में जीत किसकी हुई, लेकिन बड़ा सवाल यही है कि आखिर क्यों लोगों ने ऐसे समय में अपना मूड बदला, जब कई लोगों ने मोदी और बीजेपी की हार की भविष्यवाणी कर दी थी। पूरे देश में जमीनी स्तर पर लोग क्या सोच रहे थे, इस विषय पर ग्राउंड जीरो से महत्त्वपूर्ण जानकारियों के साथ, यह पुस्तक उस क्यों का जवाब देती है और यह भी बताती है कि उस जनादेश के भारतीय राजनीति के भविष्य पर कौन-कौन से प्रभाव पड़े।
जमीनी सच्चाई और वोटरों के मानस का सूक्ष्म एवं गहन अध्ययन कर लिखी गई यह पुस्तक न केवल चुनाव विश्लेषकों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं, वरन् सामान्य पाठक के लिए भी समान रूप से पठनीय है।
Modi-Shah : Manzil Aur Raah by R.K. Sinha
इस पुस्तक में 67 आलेख संकलित हैं। पुस्तक में शामिल ज्यादातर आलेख स्वतंत्र हैं। विषय और संदर्भ की दृष्टि से इन आलेखों का एक-दूसरे से संबंध नहीं है। हाँ, कुछ आलेख पाकिस्तान, चीन और ईरान से संबंधित हैं। विषय व्यापकता के लिहाज से पुस्तक का फलक बहुत बड़ा है। इस पुस्तक में राजनीति, विदेश नीति, संसद्, चुनाव, शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, समाज, संस्कृति, पर्यावरण, अर्थव्यवस्था, बजट, व्यापार, हिंदू-मुसलिम संबंध, राम मंदिर, तीन तलाक और धारा 370 आदि विषय समाए हुए हैं। यानी इस पुस्तक में शामिल सभी आलेख समसामयिक हैं। पुस्तक में मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई कई योजनाओं का तथ्यों के आधार पर तर्कपूर्ण विश्लेषण है।
इन आलेखों का लेखन काल वर्ष 2018-2019 है। यह पुस्तक एक तरफ समसामयिक राजनीतिक इतिहास को अपने में समेटे हुए है, वहीं दूसरी तरफ सामाजिक जीवन से जुड़े हर पहलू पर महत्त्वपूर्ण टिप्पणियाँ भी हैं। लेखों में लेखक की विचारधारा के साथ मानवीय भावनाओं का अद्भुत संतुलन है। साथ ही लेखक ने अपने नीर-क्षीर विवेक से सत्य को उद्घाटित करते हैं। भाषा की दृष्टि से लेखक की प्रवाहमयी भाषा और बतकही का निराला अंदाज अन्यत्र दुर्लभ है।
—संजीव कुमार
संपादक, युगवार्ता साप्ताहिक
Modi-Yogi Ka Vision : Vikas Ki Ore Uttar Pradesh by K.K. Upadhyaya
उत्तर प्रदेश वह प्रदेश है जिसे हम देश की धड़कन कह सकते हैं। सन् 2014 में जब भाजपा ने प्रचंड विजय हासिल की तब किसी ने नहीं सोचा था कि परिणाम ऐसे आएँगे। पुराने फॉर्मूले फेल हो गए। नई इबारत लिखी जाने लगी। इस बीच सन् 2017 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज उठा। राजनीतिक पंडित कह रहे थे कि अब भाजपा की डगर आसान नहीं है। वे गलत भी नहीं थे। यहाँ चुनाव का मतलब वोटों का गठजोड़ और जातियों का समूह था। कोई नहीं जानता था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाएँ गरीबों तक पहुँचने लगी थीं। उसका असर भी होने लगा था। भाजपा यहाँ संगठन में लगी थी। मेहनत रंग लाई। भाजपा ने उ.प्र. में ऐसा परचम फहराया कि सब अवाक रह गए। अब बारी थी काम की। मोदीजी का विजन और योगीजी की मेहनत ने उत्तर प्रदेश की तसवीर बदल दी। गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनओं पर काम होने लगा। श्रीराम मंदिर का निर्माण-कार्य प्रारंभ हो गया। सपने साकार होने लगे। इस पुस्तक में इन्हीं सब कामों को सँजोने का प्रयास किया है। भाजपा की जीत की रणनीति का खुलासा भी इस पुस्तक में हैं।
वरिष्ठ पत्रकार श्री के.के. उपाध्याय के दीर्घ अनुभव और सूक्ष्म अंतर्दृष्टि से आकल्पित उत्तर प्रदेश के चहुँमुखी विकास का व्यावहारिक दिग्दर्शन कराती प्रामाणिक पुस्तक।
Moniya-Mohandas-Mahatma by Hemant
प्रस्तुत कथा-क्रम में गांधी के जीवन केचंद घटनात्मक दृश्यों को गूंथा गया है। हालाँकि उनकी विराट् जीवनगाथा में से चंद दृश्यों का चयन करना और उनको गुँथनापिरोना, वह भी घटनात्मक धारावाहिकता के साथ, बेहद कठिन चुनौती रही। फिर भी, प्रयास किया गया है कि यह कथा-क्रम ऐसा हो, जिसे पढ़ते-पढ़ते पाठक के मन में जिज्ञासा उभरे और वह खुद उन कथाओं के जरिये गांधी के जीवनक्रम के विकास को सहज ढंग से जोड़ता चले।
गांधी के जीवन से जुड़ी किसी भी घटना का विवरण कथा-रूप में यूँ प्रस्तुत किया गया है, जिसका कोई निचोड़ या निष्कर्ष निकालने के लिए कोई पाठक (बच्चा हो या बड़ा) खुद को स्वतंत्र भी महसूस करे। हो सकता है कि किसी घटना को पढ़कर किसी पाठक का दिमाग प्रश्नाकुल हो उठे और किसी अन्य पाठक में गांधी के प्रति जिज्ञासु भाव जगे। एक ही कहानी एक पाठक में श्रद्धा-भाव मजबूत करे, तो दसरे में अंधश्रद्धा को कमजोर करे। प्रकारांतर से ये कहानियाँ किसी भी किशोर को पूर्वाग्रह, शंका, शत्रुता, आदि की जकड़न से मुक्त कर पाठक, श्रोता और दर्शक बनने तथा गांधी की स्वतंत्र खोज करने को प्रेरित करें।
-इसी पुस्तक से
Mook Gawah by Pushplata Taneja
समाज में कानून-व्यवस्था भंग करनेवालों को एकत्रित प्रमाणों के साथ न्यायालय में न्याय के लिए प्रस्तुत करना अपराध अन्वेषण कार्य में लगे विशेषज्ञों का मुख्य कार्य है। मामलों की तहकीकात में गवाहों की आधार-भूमिका होती है। प्रत्येक प्रकरण में चश्मदीद गवाह नहीं मिल पाते अथवा किन्हीं कारणों से न्यायालय में विशेष सहयोग नहीं दे पाते। अपराधी की तो कोशिश होती है कि पकड़े जाने की संभावना ही न रहे, परंतु चालाक-से-चालाक अपराधी भी घटना-स्थल पर अपराध-प्रकरण का कोई-न-कोई सबूत अवश्य छोड़ जाता है। ऐसे भौतिक साक्ष्य वैज्ञानिक विश्लेषणों के तहत अपराधी तक पहुँचने में बहुत उपयोगी होते हैं। ये साक्ष्य मूक होते हैं, जिन तक पहुँचने में तहकीकात करनेवाले का निपुण होना आवश्यक है। दुर्भाग्य है कि दर्शक इन साक्ष्यों को अनजाने में नष्ट कर देते हैं और अपराधी बच निकलते हैं। उपस्थित नागरिक अपराध से संबंधित छोटे-से-छोटे साक्ष्य की भूमिका को स्वीकारें, ताकि उनकी गवाही का लाभ अपराध अन्वेषण में उठाया जा सके। पुस्तक के विषय का रोजमर्रा के जीवन में विशेष महत्त्व है। लेखिका ने इस पुस्तक के माध्यम से पाठकों को संदेश दिया है कि आपराधिक मामलों में छोटे-से-छोटे साक्ष्य के महत्त्व को जानें और उन्हें नष्ट न होने दें।
Motapa : Karan Aur Bachav by S.K. Sharma
मोटापा : कारण और बचाव
मोटापा एक प्रकार का रोग ही है जो व्यक्ति को उपहास का पात्र बना देता है, जिससे वह कुंठित और हीनभावना से ग्रस्त हो जाता है। यह कुंठा उसे और रोगों के पाश में बाँध देती है, उसका जीवन दूभर होने लगता है और भविष्य अंधकारमय।
मोटापे की अवहेलना करना कई अन्य रोगों को निमंत्रण देता है। बँधे-बँधाए नियमों और केवल भोजन तालिकाओं के अनुसार भोजन करने, श्रम कम करने, अकर्मण्य जीवन बिताने, खाने को ही जीवन का ध्येय मानने, मोटापे को भाग्य का खेल समझने तथा मनमानी करने से मोटापा कभी कम नहीं होगा। यदि होगा भी तो अस्थायी तौर पर ही।
प्रस्तुत पुस्तक में मोटापे से ग्रस्त रोगियों को सही राह दिखाकर उन्हें समुचित उपाय करने हेतु प्रेरित किया गया है तथा उनमें आशा और विश्वास की किरण जाग्रत् कर उनका मनोबल बढ़ाया गया है।
इस पुस्तक में उन सभी उपायों का विस्तार से वर्णन किया है, जिनसे मोटापे पर काबू पाया जा सकता है।
पाठकों की सुविधा के लिए पुस्तक में कद, भार, भोजन, कैलोरी आदि पर उपयोगी तालिकाएँ दी गई हैं।
मोटापे के अभिशाप से मुक्ति दिलाने में सहायक अत्यंत व्यावहारिक एवं उपयोगी पुस्तक।
Mr. M.K. Gandhi Ki Champaran Diary by Arvind Mohan
महात्मा गांधी को तब मिस्टर एम.के. गांधी या मिस्टर गांधी ही कहा जाता था। गांधी का चम्पारण पहुँचना एक युगांतरकारी घटना साबित हुई, पर यह प्रयोग कई मायनों में विलक्षण था। गांधी की स्वीकार्यता को बताने के साथ ही अन्याय सहनेवाले जीवंत समाज में प्रतिरोध की शक्ति के उभरने तथा खुद गांधी द्वारा अपनी पूरी ईमानदारी, निष्ठा, दम व समझ के साथ स्थानीय लोगों तथा समस्याओं से एक रिश्ता जोड़ने एवं उन हजारों-लाखों द्वारा झट से गांधी पर भरोसा करके उनको अपनाने की अद्भुत दास्तान भी है। यह अहिंसात्मक ढंग से जनता की भागीदारी और सत्य पर आधारित आंदोलन की अन्याय विरोधी शक्ति को रेखांकित करनेवाला पहला प्रयोग है।
गांधी पूरब से आए यानी कलकत्ते से और आखिर में पश्चिम अर्थात् अहमदाबाद निकल गए। कुल मिलाकर साढ़े नौ महीने चम्पारण में रहे। बाद में किसी भी आंदोलन में और किसी भी जगह पर उन्होंने इतना समय नहीं लगाया। जब अंग्रेजी सत्ता और निलहा जमात उनको चम्पारण जाने से रोक रहा था तथा टिकने नहीं दे रहा था, तब
वे सबकी छाती पर मूँग दलते हुए वहीं बैठे रहे एवं अपने बाकी कामों की परवाह भी नहीं की।
नील के किसानों के शोषण के विरुद्ध शुरू हुए प्रसिद्ध एवं ऐतिहासिक चम्पारण आंदोलन की रोमांचक कहानी। रोज-रोज के सच्चे विवरणों के माध्यम से चम्पारण सत्याग्रह की पूरी कहानी।
Mridula Behari Ki Lokpriya Kahaniyan by Mridula Behari
प्रस्तुत कृति ‘मृदुला बिहारी की लोकप्रिय कहानियाँ’ लेखिका के चार दशकों में फैली कथा-यात्रा है।
जीवन की सारी जटिलताओं एवं दबावों का अनुभव कराती ये रचनाएँ जीवन की निरंतर साथी हैं। ये अपने देश एवं काल की सारी मान्यताओं, अवधारणाओं तथा आस्थाओं को लेकर लिखी गई हैं। इनमें करुणा, कोमलता और सौहार्द के स्वर मुखरित हुए हैं। साथ ही ये सामयिक चेतना को भी वाणी देती हैं। ये कहानियाँ हृदय की अनुभूतियों का प्रतिफल हैं, इसलिए इनका प्रतिपादन सीधे और सरल ढंग से हुआ है।
इन सभी कथाओं में एक आत्मीयता का भाव है और यही आत्मीयता लेखिका का शिल्प है। यह शिल्प उनके निज का है, किसी मतवाद का नहीं। ये रचनाएँ अपना ही वायुमंडल लेकर चलती हैं तथा अपनी ही बिंदु से शासित होती हैं।
लेखिका ने अपनी रोचक भाषा एवं शैली से अपनी कहानियों को आदि से अंत तक पठनीय बना दिया है। ये कहानियाँ केवल आनंद ही नहीं देतीं, वरन् पाठक के जीवन-चेतना और जीवन-बोध को जाग्रत् भी करती हैं।
Mridula Sinha Ki Lokpriya Kahaniyan by Mridula Sinha
मिलनेवाला प्रत्येक व्यक्ति व परिवार, जीवंत होनेवाली सारी परिस्थितियाँ और सामने से गुजरने वाले सभी प्राकृतिक दृश्य साहित्यकार की लेखनी से निःसृत होने के लिए अकुलाते रहते हैं। लेखक के मानस स्थित कथानकों और लेखनी में प्रतियोगिताएँ चलती ही रहती हैं। ‘पहले मैं’ तो ‘पहले मैं’ की स्थिति में सभी कथानक। मानस कितने कथानकों को सहेजता है, लेखनी कितनों को कागज पर उतारती है। लगभग चालीस दशकों से देशविदेश के सघन दौरों के दौरान सहस्रों से मिलना हुआ। देश के चप्पेचप्पे और व्यक्तियों में साहित्य के विषय बनने की ऊर्जा है। सुदूर सूखी नदी किनारे बसा एक गाँव, नदी के साथ बिसूर रहा है तो छलछल बहती नदियों और उफनते समुद्र के किनारे बसे सहस्र गाँव अपनी जीवंतता की कहानी कह गए। कहीं फसलों से लहलहाते खेत, मेंड़ पर खड़ा हुलसतानिहारता किसान, तो कहीं आकाश की ओर वर्षा की बूँदों के लिए आँखें टिकाए अपने दरारोंदार खेत की मेंड़ पर फटी धोती में खड़ा किसान। जल, थल, नभ पर पाँव रखने के लिए भागती बेटियाँ। उसकी उपलब्धियों से गद्गद पिता। परिवार की टूटन से बिखरे दाने चुनते दंपती। अपनी विकलांगता को नकारता पुरुषार्थ। लक्ष्मी को अपने घर में झुलाते, कहीं आकाश तक पहुँचते तो कहीं धरती पकड़े रह जाते लोग। सब ओर विषमताएँ, सब ओर समताएँ भी।
प्रख्यात लेखिका श्रीमती मृदुला सिन्हा की कहानियों का यही मूल स्वर है। इस संकलन में उनकी लोकप्रियता के प्रतिमान गढ़ती कहानियाँ संकलित हैं।
Mrigtrishna by Sudha Murthy
‘‘डॉक्टर, मेरा नाम मृदुला है। लेकिन पहले मेरा एक अनुरोध है—कृपया किसी को मेरे यहाँ आने की बात मत बताइएगा।’’
‘‘चिंता मत कीजिए। मैं नहीं बताऊँगा।’’
‘‘डॉक्टर मुझे डिप्रेशन है। क्या मैं पूरी तरह ठीक हो जाऊँगी।’’
‘‘आपको कैसे पता कि आपको डिप्रेशन है?’’
‘‘सॉरी डॉक्टर, मैंने अपने-आप अंदाजा लगा लिया। मैंने अपने लक्षणों के बारे में इंटरनेट पर खोजा।’’
‘‘कोई बात नहीं। और हाँ, आप ठीक हो जाएँगी।’’
‘‘क्या मैं कुछ सवाल पूछ सकती हूँ?’’
‘‘बिलकुल। आप जितना बात करेंगी, उतना ही अच्छा होगा। इससे पता चलता है कि आपको जल्दी ठीक होना है।’’
‘‘डॉक्टर, मैं सबकुछ से थक चुकी हूँ।’’
‘‘मृदुला, खुद को रोकिए मत। आप चाहें तो रो सकती हैं। इससे तनाव कम होगा। कृपया यह ध्यान में रखिए कि आपको अपनी सामान्य अवस्था में आने में थोड़ा समय लग सकता है।’’
‘‘कितना समय, डॉक्टर?’’
—इसी पुस्तक से
समसामयिक समस्याओं, मानवीय संवेदनाओं और रिश्तों के ताने-बाने में बुना पठनीयता से भरपूर प्रसिद्ध लेखिका सुधा मूर्ति का मर्मस्पर्शी उपन्यास।
Mrityu Kaise Hoti Hai? Phir Kya Hota Hai? by Rajendra Tiwari
मृत्यु जीवन का अटल सत्य है; यह अवश्यंभावी है। काल को जीतना लगभग दुर्लभ एवं असंभव है। इसलिए जीव मृत्यु के भय में रहता है। अनगिनत-अनजाने प्रश्न और शंकाएँ उसके मन-मस्तिष्क को जकड़े रहती हैं। विज्ञान लेखक श्री राजेंद्र तिवारी ने गहन शोध और अध्ययन करके जटिल व दुरूह ‘मृत्यु’ के बारे में विवेचना की है।
प्रस्तुत पुस्तक उनकी अब तक के प्रयासों से प्राप्त तथ्यों और उनसे निसृत निष्कर्षों की अभिव्यक्ति है। शरीर के अंदर कुछ रहता अवश्य है, जिसके बाहर जाते ही शरीर मृत हो जाता है। वह कुछ क्या है? प्राणों के निष्क्रमण की प्रकिया कष्टदायी है अथवा वस्त्र बदलने की भाँति एक सहज क्रिया? मृत्यु के उपरांत नया परिवेश प्राप्त होने तक आत्मा कहाँ विचरण करती है? क्या पुनर्जन्म होता है? क्या लोक और परलोक हैं? कर्म का सिद्धांत क्या है? क्या सद्कर्म-दुष्कर्म अर्थात् कर्म के रूप भाग्य और भविष्य की रचना करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं? क्या स्वर्ग और नरक हैं? यदि हैं तो कहीं और हैं अथवा इसी पृथ्वी पर?
पुस्तक में मृत्यु के समय एवं मृत्युपर्यंत के अनुभव प्रमाण सहित प्रस्तुत किए गए हैं। संदेश यह है कि ‘सुधर जाओ अन्यथा मृत्यु के समय व पश्चात् कष्ट-ही-कष्ट हैं।’ मृत्यु से भयभीत नहीं होना है, बल्कि जिसने भी मृत्यु के रहस्य को जान लिया, अज्ञात व अंधकारमय प्रश्नों से परदा हटकर ज्ञान के प्रकाश से अवगत हो गया, उसे मृत्यु से कभी भी भय नहीं लगेगा।
Mrs Funnybones by Twinkle Khanna
यह सब तब आरंभ हुआ, जब सरिता तँवर ने मुझसे पूछा कि क्या मैं उसके समाचार-पत्र के लिए एक मजाकिया साप्ताहिक स्तंभ लिखना चाहूँगी। उसने दो-टूक शब्दों में कहा, ‘तुम छिछोरे किस्म के चुटकुले सुनाती हो और लगातार पढ़ती ही रहती हो। मुझे पूरा यकीन है कि तुम लिख सकती हो।’
मैंने उसे समझाना चाहा कि लाखों लोग लगातार क्रिकेट का मैच देखते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि वे सभी इस खेल में भी माहिर होंगे। पर उसने मुझे टोकते हुए कहा कि कम-से-कम शुरुआत तो की जाए, उसके बाद जो होगा, देखा जाएगा।
मैं लेखन के बारे में सही मायने में क्या जानती हूँ? मेरी किशोरावस्था में लिखी गई एक अधूरी किताब की स्मृति आँखों के आगे कौंध गई। इसके साथ ही एक फाइल भी याद आई, जिसमें मौत और अपनी सनक से जुड़ी सारी भयानक कविताएँ दर्ज हैं। मेरे पूरे लेखन-अनुभव को इसमें ही सँजोया जा सकता है।
Mujhe Bananaa Hai Upsc Topper by Nishant Jain
• परीक्षा की समग्र, संपूर्ण और व्यापक तैयारी के टिप्स
• तैयारी के अनछुए पहलुओं पर खुलकर चर्चा
• परीक्षा के लिए कैसे सँवारें अपना व्यक्तित्व
• सकारात्मकता और मोटिवेशन लेवल कैसे बनाए रखें
• प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू के लिए विस्तृत मार्ग दर्शन
• निबंध और एथिक्स में श्रेष्ठ अंक कैसे पाएँ
• लेखन कौशल को कैसे सुधारें
• क्या पढ़ें, क्या न पढ़ें और कैसे पढ़ें
• नए पैटर्न में कैसी हो प्रासंगिक रणनीति
• साथ में सफलता की कुछ अनकही कहानियाँ भी…
Mujhe Banna Hai Super Ameer by Pradeep Thakur
जिस व्यक्ति विलियम बर्नेट बेंटन से मिलनेवाले हैं, वह भी शुरू-शुरू में हमारे-आपके जैसा जनसाधारण ही था, लेकिन बाद में विज्ञापन अभिकरण (एडवरटाइजिंग एजेंसी) का सह-संस्थापक बना, फिर कनेक्टिकट राज्य से संयुक्त राज्य अमेरिका का सीनेट सदस्य और अंत में इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका का एकमात्र स्वामी (सोल ओनर) व प्रकाशक (पब्लिशर) बना। अखबार-पत्रिकाओं में विलियम बेंटन के व्यक्तित्व की तुलना धीमी आवाज में घूमनेवाले डायनेमो यानी बिजली उत्पादक यंत्र से की जाती थी। मतलब, बेंटन लगातार उच्च ऊर्जा तो उत्पन्न करनेवाला डायनेमो जैसा व्यक्ति था, लेकिन उसके व्यक्तित्व से उच्च विद्युत् के आतंकित करनेवाले झटके नहीं निकलते थे। बड़ी उपलब्धि हासिल करनेवाले अधिकांश व्यक्तियों से उलट बेंटन का जीवन आमतौर पर शांत, धीमा व व्यवस्थित था। उसकी उपलब्धि चौंकनेवाली नहीं थी, बल्कि सबकुछ एक क्रम में कदम-दर-कदम आगे बढ़ता हुआ था। इसके कोई शक नहीं कि उसने बड़े-बड़े जोखिम उठाए थे। उसे अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत में ही यह समझ आ गई थी कि वेतन से कोई भी धनी नहीं बन सकता। यही कारण था कि उसने स्वेच्छा से तथाकथित सुरक्षित नौकरी छोड़ दी थी और स्व-रोजगार (सेल्फ एंप्लॉयमेंट) के डरावने क्षेत्र को अपनाने का बड़ा जोखिम उठाया था।
—इसी पुस्तक से
Mujhse Milne Aaogi Kya…….. by Pankaj Sharma
आज के युग में अगर मौलिक कविता और मौलिक कवि की बात की जाए तो मैं यहाँ पर पंकज शर्मा का नाम लेना चाहता हूँ, जिन्होंने पत्रकारिता के साथ-साथ कविताओं के संसार में अपनी रचनात्मकता से अलग पहचान बनाई है। मैं कभी किसी के ऊपर ज़्यादा कुछ कहता नहीं। किसी के लिए भूमिकाएँ नहीं बाँधता लेकिन पंकज मेरे दिल के बहुत करीब हैं। उनके लेखन में एक अलग बात है जो कवियों की भीड़ में उन्हें अलग बनाती है। संस्कार और अपनी मिट्टी की परंपरा को गीतों में ढालकर प्रस्तुत करने की उनमें विशेष कला है। दो-तीन बार मैंने पंकज के साथ मंच साझा किया तो मैंने ये महसूस किया कि पंकज जब अपने गीत सुनाते हैं तो सुननेवाले खुद को भुलाकर उनके गीतों में डूब जाते हैं। ये एक कवि के लिए सबसे बड़ा उपहार होता है। पंकज आनेवाले दौर के बड़े गीतकार कहलाए जाएँगे, ये मेरा मानना है। उनकी आनेवाली पुस्तक ‘मुझसे मिलने आओगी क्या…’ को ढेरों शुभकामनाएँ और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए यही कहूँगा कि पंकज जैसे कवि, पत्रकार और कोमल हृदयवाले लोग कम देखने को मिलते हैं…आशीर्वाद पंकज।
—संतोष आनंद
‘‘पंकज को पढ़ना ऐसे है जैसे किसी चित्रकार की पेंटिग को निहारना। एक संवेदनशील हृदय जो ख्वाब बुनता है और उन ख्वाबों को शक्ल देता है गीत, गज़ल या नज़्म की शक्ल में। पंकज का लेखन उन्हें युवा दिलों की धड़कन बनाता है। नई पीढ़ी में उनके गीतों के लिए दीवानगी रहती है। पंकज के दूसरे काव्य संग्रह के लिए मेरी ढेरों शुभकामनाएँ।’’
—श्वेता सिंह, सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर, आजतक
‘‘अपनी धुन में मगन रहने वाला, पीर और प्रेम को गीतों में गुनगुनानेवाले मस्तमौला रचनाकार हैं पंकज। उनकी रचनाएँ कभी दशकों पुराने दौर में ले जाती हैं तो कभी लगता है कि कल की ही कोई बात कही हो। कहा जा सकता है कि भविष्य की संभावनाओं के स्तंभ कवि हैं पंकज। मेरी दुआ है कि वो ऐसे ही गुनगुनाते रहें, लिखते रहें और मुसकराते रहें।’’
—सईद अंसारी, सीनियर एडिटर, आजतक
‘‘साहित्य में शब्द की मर्यादित ध्वनियों से लेकर, मंच से देखे-सुने जानेवाले कविता-कौशल तक, पंकज शर्मा धीरे-धीरे युवा-कविता का ‘नाम’ बनते जा रहे हैं। मैं जानता हूँ, पंकज आज जहाँ हैं, वहाँ से और आगे जाएँगे। सितारों में अपना नाम शुमार करवाएँ, उन्हें मेरी खूब सारी दुआएँ हैं। ’’
—आलोक श्रीवास्तव, कवि-पत्रकार
‘‘पंकज की कविताओं में एक अपनापन है। ओज की कविताएँ हों या प्रेम की, पंकज की कलम हर भाव को का़गज़ से होते हुए, पढ़ने और सुननेवाले के दिल तक ले जाने का माद्दा रखती है। उनकी यही ़खूबी, उनको अपने दौर के बा़की युवा कवियों से अलग करती है। पंकज को इस नए कविता संग्रह के लिए शुभकामनाएँ।’’
—रोहित सरदाना, एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर, आजतक
‘‘पंकज के गीत तो सबके मनमीत हैं। अकसर मौका मिला है पंकज के अनगढ़ गीतों या फिर तैयार गीतों का पहला श्रोता बनने का। और ये गीत क्या हैं हर उम्र और हर पड़ाव के दिलों की दास्ताँ हैं। मैं गारंटी से कह सकता हूँ कि ये गीत सुनते वक्त सबके जेहन में एक ही सीन चलता होगा, बस किरदार अपने-अपने होते होंगे…’’
—संजय शर्मा, एसोशिएट एडिटर, आजतक
Mullah Nasruddin Stories by Nirupama
दमिश्क का बाजार पीछे रह गया था। रात के नौ बजे का समय था। मुल्ला नसरुद्दीन अपने वफादार गधे के साथ शहर के उस स्थान पर जा पहुँचा, जहाँ शहर के अमीर का महल था। महल के आगे लॉन था। गधे को बहुत जोर से भूख लगी थी। हरियाली देखकर उससे रुका न गया और महल की दीवार फाँदकर अंदर घुस गया और मुल्ला नसरुद्दीन दूर जाकर गिरा। नसरुद्दीन उसे गाली देते हुए बड़बड़ाने लगा। लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ।