Hindi Literature
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Naye-Naye Business Idea : Naya Bharat by N. Raghuraman
पुस्तक सार
सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल जिंदगी में लॉटरी का खेल खेलने में या बिजनेस की मजबूत नींव रखने में किया जा सकता है। यह पूरी तरह आप पर निर्भर है।
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अगर आपके पास कोई बिजनेस आइडिया नहीं है तो अपनी आजीविका और कमाई के लिए असंगठित बिजनेस को संगठित बनाइए, जैसे टेलरिंग।
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यदि आपका हाथ बाजार में माँग की नब्ज पर है तो कोई ‘देसी’ आदमी भी ‘परदेस’ में बड़ा बिजनेस कर सकता है।
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यदि आप टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल जानते हैं तो आप लजीज व्यंजन बना सकते हैं, उनका लुत्फ भी उठा सकते हैं और उन्हें स्क्रीन पर दिखाकर भारी पैसा भी कमा सकते हैं।
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सामाजिक पिरामिड के सबसे निचले हिस्से में रहनेवाली आबादी की पूरी न की गई जरूरतों को ध्यान से देखिए और उसे सेवा देने के लिए अपना नया बिजनेस मॉडल तैयार कीजिए। जरूरी नहीं कि यह हमेशा ही लोन देने का व्यवसाय ही हो।
—इसी पुस्तक से
प्रसिद्ध लाइफ कोच और मैनेजमेंट गुरु एन. रघुरामन के ये विचार बिजनेस में सफल होने के गुरुमंत्र हैं। ये आपके नजरिए को बदल देंगे, सोच को नई ऊँचाई देंगे, आपकी जोखिम उठाने की हिम्मत जगाकर, निर्णय-क्षमता को बढ़ाकर आपके बिजनेस को विस्तृत आकाश देंगे।
Neeli Delhi Pyasi Delhi by Aditya Awasthi
नीली दिल्ली प्यासी दिल्ली—आदित्य अवस्थी
दिल्ली के राजधानी बनने के एक सौ साल पूरे होने के सुअवसर पर हम इस बात की समीक्षा करें कि पिछले दस दशकों में इस शहर ने क्या खोया और क्या पाया? इन एक सौ वर्षों में इस शहर ने वाल सिटी से वर्ल्ड सिटी की यात्रा की है। इस समय राष्ट्रीय राजधानी में सबसे बड़ी समस्या पेयजल की कमी और उसकी आपूर्ति सूनिश्चित करना है। आने वाले समय में पानी दिल्ली और दिल्लीवालों के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगा।
राजधानी में पानी के अपने पर्याप्त स्रोत हैं। यदि उनका संरक्षण और सदुपयोग किया जाए तो पानी की समस्या का एक हद तक समाधान संभव है।
दिल्ली में आज भी सैकड़ों कुएँ, बावड़ी, बाँध, तालाब, जौहड़, झीलें और अन्य ऐसे जलस्रोत हैं, जो पानी के संरक्षण में मददगार बन सकते हैं। जीवनदायक जल के ये अनोखे स्रोत कहाँ और किस हाल में हैं, इसका रोचक विवरण इस पुस्तक में है। 2011-2020 के दशक को ‘जल बचाओ अभियान दशक’ के रूप में मनाया जा रहा है। परंतु इसके लिए केवल आलीशान भवनों में कार्यक्रमों का आयोजन, चर्चा और विचार गोष्ठी करना पर्याप्त नहीं हैं; इसके लिए वास्तविकता के धरातल पर कुछ ठोस किए जाने की आवश्यकता है। यदि बरसाती पानी को संरक्षित करने के लिए आज और अभी से काम शुरू नहीं किया तो कल पानी के लिए विकट स्थिति पैदा होगी।
Neend : Thakan Se Sphoorti Tak by Sanjay Kumar Agarwal
क्या आपने कभी सोचा है—
• क्यों कुछ लोग पूरे दिन तरोताजा और ऊर्जावान दिखते हैं, जबकि कुछ लोग जागने के दौरान हमेशा ही सुस्त दिखते हैं?
• क्यों आपका आलस्य आपके कार्यक्षेत्र में आपकी उत्पादकता पर बुरा प्रभाव डाल रहा है?
• सोने की सही मात्रा क्या है?
• बिस्तर छोड़ने का सबसे सही समय क्या है?
• क्यों सुबह जल्दी उठने के प्रयास एक या दो हफ्ते में दम तोड़ देते हैं?
• कौन से तरीके हैं, जिनसे लंबे समय से इकट्ठा हो रही नींद की कमी को पूरा किया जा सकता है?
यदि इनका उत्तर हाँ है, तो घबराइए मत। आप अकेले नहीं हैं। हममें से अधिकांश लोग अपने दैनिक जीवन में इन चुनौतियों का सामना करते हैं।
लेखक ने नींद पर काफी शोध किया और लोगों के निद्रालु रहने के सही कारणों का पता लगाया। यह पुस्तक आसानी से समझ में आनेवाले और आसानी से अपनाए जानेवाले समाधान आम बोलचाल की भाषा में उपलब्ध कराती है, ताकि एक सामान्य आदमी भी अपने सोने के तरीकों में सुधार कर सके और अपनी उत्पादकता को बढ़ा सके।
यह पुस्तक नींद से संबंधित समस्याओं पर चिकित्सा के दृष्टिकोण से नहीं लिखी गई है। यह पुस्तक आम आदमी के लिए लिखी गई है, जो अपने सोने के तौर-तरीकों में सुधार करना चाहता है, ताकि जागे रहने के दौरान वह ऊर्जा और स्फूर्ति से भरा रहे और अपनी उत्पादकता को बढ़ा सके।
Nehru Banam Subhash by Rudrangshu Mukherjee
सुभाष को यकीन था कि वे और जवाहरलाल साथ मिलकर इतिहास बना सकते हैं, मगर जवाहरलाल अपना भविष्य गांधी के बगैर नहीं देख पा रहे थे।
यही इन दोनों के संबंधों के द्वंद्व का सीमा-बिंदु था।
एक व्यक्ति, जिसके लिए भारत की आजादी से अधिक और कुछ मायने नहीं रखता था और दूसरा, जिसने अपने देश की आजादी को अपने हृदय में सँजोए रखा, मगर इसके लिए अपने पराक्रमपूर्ण प्रयास को अन्य चीजों से भी संबंधित रखा और कभी-कभी तो द्वंद्व-युक्त निष्ठा से भी।
सुभाष और जवाहरलाल की मित्रता में लक्ष्यों की प्रतिद्वंद्विता की इस दरार ने एक तनाव उत्पन्न कर दिया और उनके जीवन का कभी भी मिलन न हो सका।
Neil Armstrong by Rakesh Sharma
नील आर्मस्ट्रांग पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने सर्वप्रथम चंद्रमा पर अपना कदम रखा। 5 अगस्त, 1930 को संयुक्त राज्य अमेरिका के वापाकोनेटा, ओहियो में जनमे आर्मस्ट्रांग की रुचि शुरू से ही चंद्रमा, तारों और अंतरिक्ष में थी, इसलिए उन्होंने इसी को अपने कॅरियर के रूप में अपनाया। कुछ समय नौसेना में काम करने के बाद सन् 1955 में उन्होंने नेशनल एडवाइजरी कमेटी फॉर एयरोनॉटिक्स (एन.ए.सी.ए.) में कार्यारंभ किया। इसी कमेटी का नाम बाद में ‘नासा’ (नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड रचेश एडमिनिस्टे्रशन) पड़ा।
16 मार्च, 1966 को जैमिनी-8 अभियान के तहत वे पहले-पहल अंतरिक्ष में गए। इसके बाद अपोलो-2 में बतौर कमांडर वे चंद्रमा की सतह पर उतरे और इतिहास रच दिया। नील ऑर्मस्ट्रांग को सैकड़ों पुरस्कार व सम्मान मिले, लेकिन उनकी अंतरिक्ष जितनी ऊँची पहुँच के आगे वे सब गौण रहे। 82 वर्ष की आयु में 25 अगस्त, 2012 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।
एक महान् अंतरिक्षयात्री के साहसपूर्ण, खोजपूर्ण और रोमांचक जीवन की पूरी बानगी है यह पुस्तक।
Nek Banen, Shreshtha Banen by N. Raghuraman
पुस्तक सार
आपमें सीखने की ललक है, तो हर छोटे-से-छोटा वाकया जिंदगी के बड़े सबक दे सकता है, जिन्हें शायद आप कभी किताबों में नहीं पा सकेंगे।
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सब्र महज समझदारी का ही सबूत नहीं है, बल्कि इससे आप खुद का और समाज का भला कर सकते हैं।
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जरूरतमंद की मदद के लिए किया गया कोई काम कितना ही छोटा क्यों न हो, निश्चित रूप से वह आपके दर्द को कम करने या कम-से-कम उसका कुछ हिस्सा दूर करने में मददगार होता है।
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अगर लोगों की जान बचाने के काम में ऐसे लोगों को लगाया जाए, जिन्होंने कभी खुद जीवन या मौत का अनुभव किया हो, तो उनके जीवन बचाने की दर उन लोगों की अपेक्षा ज्यादा होगी, जो इस काम के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किए गए हैं।
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अगर आप बड़ा बनना चाहते हैं तो दिल बड़ा करना होगा और मितव्ययी बनना होगा।
—इसी पुस्तक से
प्रसिद्ध लाइफ कोच और मैनेजमेंट गुरु एन. रघुरामन के ये विचार व्यक्ति की सोच में आमूलचूल परिवर्तन करने की अद्भुत क्षमता रखते हैं। मानवीय गुणों को सही मायने में अपने भीतर उतारकर ही हम जीवन में श्रेष्ठता, और उस श्रेष्ठता से सफलता प्राप्त कर सकते हैं। ये व्यावहारिक सूत्र आपके व्यक्तित्व को निखारकर उत्कर्ष और प्रगति का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
Nepal Ka Samvaidhanik Vikas by Dr. Rakesh Kumar Meena
यह पुस्तक नेपाल के संवैधानिक और राजनीतिक विकास को हिंदी भाषा में प्रस्तुत करने का एक अनूठा प्रयास है। इस पुस्तक में नेपाल के संविधानवाद के विकास का कालक्रमानुसार विवरण दिया गया है। वर्ष 1948 से लेकर नेपाल के वर्तमान संविधान तक के सभी संविधानों के उद्भव और पतन का विश्लेषण तत्कालीन नेपाली राजनीति के अनुसार पुस्तक में चित्रित किया गया है। यह पुस्तक नेपाल के राणाओं द्वारा प्रदत्त संविधान, पंचायती काल संविधान, 1990 के संवैधानिक राजतंत्र के संविधान और वर्ष 2015 के लोकतंत्रीय संविधान के सभी पहलुओं का विवरणात्मक एवं आलोचनात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। नेपाल के माओवादी आंदोलन और मधेश संकट को भी यहाँ वर्णित किया गया है। अध्ययन को व्यवस्थित और सरल बनाने के लिए पुस्तक को सात अध्यायों में बाँटा गया है।
Nepleon Bonapart by Nepleon Bonapart
नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांसीसी क्रांति के एक जनरल से लेकर सम्राट नेपोलियन बोनापार्ट तक का सफर तय किया। वह 11 नवंबर, 1799 से लेकर 18 मई, 1804 तक फ्रेंच रिपब्लिक के पहले काउंसिल के रूप में फ्रांस के शासक रहे। 18 मई, 1804 से लेकर 6 अप्रैल, 1814 तक वे नेपोलियन प्रथम के रूप में फ्रांस के सम्राट और इटली के राजा थे ।
किसी भी फूइमका में वे पश्चिम के इतिहास के अब तक के सबसे यशस्वी व्यक्तित्वों में से एक हैं । वे फ्रांसीसी राज्य के सैन्य विस्तार के लिए समर्पित थे, जिसके लिए उन्होंने सैन्य संगठन और प्रशिक्षण में क्रांति ला दी । दुनिया भर की सैन्य अकादमियों में उनके अभियानों का अध्ययन किया जाता है और उन्हें अब तक का एक महानतम कमांडर माना जाता है। नेपोलियन के कई सुधारों ने फ्रांस के संस्थानों और पश्चिमी यूरोप के अनेक हिस्सों पर अमिट छाप छोड़ी। अपने जीवनकाल में उन्होंने बहुत सम्मान अर्जित किया और इसीलिए उन्हें इतिहास का एक महानायक माना गया ।
एक महान् शासक और सेनानायक की प्रेरणादायक एवं पठनीय जीवनगाथा ।
Netaji Subhash Chandra Bose Yuvakon Se by Ram Kishore
भारतीय स्वतंत्रता-संघर्ष में जिन देशभक्तों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है, उनमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस अग्रणी हैं। सुभाष बाबू हमेशा से ही भारतीय जनता, विशेषकर युवाओं के प्रेरणा-स्रोत रहे हैं। उनका गहन अध्ययन, स्पष्ट विचार-दृष्टि और उस पर चलने का दृढ़ संकल्प, उनका ओज और अदम्य साहस उन्हें भूत और भविष्य के सभी नेताओं से अलग करता है। यही कारण है कि ब्रिटिश शासन के विरुद्ध अलग-अलग प्रांतों में जो युवा संगठन काम कर रहे थे, उनके अधिकांश सम्मेलनों की अध्यक्षता सुभाष बाबू ने की थी।
सुभाष बाबू का युवाओं पर असीम विश्वास था। उनका मानना था कि ‘युवजन ही है राष्ट्र के भविष्य की आशा, भारत का मंगल।’ उन्होंने युवजनों का आह्वान करते हुए कहा था, “इस देश का भविष्य आपके ऊपर निर्भर है। मैं आप लोगों का सादर आह्वान करता हूँ—आप उम्र में तरुण हैं, आप लोगों का हृदय आशाओं से भरा-पूरा है। आपके ही सामने बृहत्तर और महत्तर आदर्शों का स्थान होना उचित है। नौजवानो! उठो, जागो! जीविकोपार्जन के लिए सिर्फ बाबूगिरी युवा जीवन का कर्तव्य नहीं है, केवल अन्न-वस्त्र ही जीवन के लिए पर्याप्त नहीं हैं।”
पुस्तक में नेताजी द्वारा देश के विभिन्न युवा-छात्र सम्मेलनों, बैठकों आदि में दिए गए भाषण संकलित किए गए हैं।
विश्वास है, पुस्तक पढ़कर देश की जनता, विशेषकर युवजन नेताजी सुभाषचंद्र बोस के सपनों को सार्थक करने हेतु जागरूक होंगे।
Netaji Subhash Ki Rahasyamaya Kahani by Kingshuk Nag
क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 18 अगस्त, 1945 को ताइहोकू (ताइपे, ताइवान) में एक विमान हादसे में हो गई थी? क्या जोसेफ स्टालिन ने उन्हें साइबेरिया भेज दिया था? या उन्हें छोड़ दिया गया था, जिसके बाद वह किसी तरह भारत पहुँच गए थे? क्या वही उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में रहस्यमयी गुमनामी बाबा थे? यदि ऐसा है, तो वह वापस कैसे लौटे? बोस भारत छोड़कर गए थे तो क्यों गए थे? क्या इसका कारण उनकी राजनीतिक सोच थी, जिसका विरोध कांग्रेस हाई कमान कर रहा था, जो जल्द-से-जल्द अंग्रेजों से सत्ता का हस्तांतरण चाहता था?
अतीत तब जीवंत हो उठता है जब पत्रकार और लेखक किंशुक नाग सुभाष बाबू के और उनसे जुड़े प्रश्नों के उत्तर ऐसे समय में देने का प्रयास करते हैं, जब पुराने दस्तावेजों, और हाल ही में भारत सरकार की ओर से उनकी फाइलों को सार्वजनिक किए जाने के बाद, इस बात में दिलचस्पी फिर से बढ़ गई है कि नेताजी का क्या हुआ।
यह पुस्तक भारत के सबसे करिश्माई नेताओं में से एक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन की दिलचस्प गाथा है और दुनिया के सबसे गहरे रहस्यों में से एक का गहराई से विश्लेषण।
Netritva by Pk Arya
नेतृत्व व्यक्ति का ऐसा गुण है, जो उसे लोगों में लोकप्रिय बनाता है। नेतृत्व वही व्यक्ति कर सकता है, जिसका व्यक्तित्व प्रभावशाली हो, वाणी में आकर्षण हो, जिसकी तर्कशक्ति लोगों को लाजवाब कर दे, जिसके पास सभी प्रश्नों के उत्तर हों। आखिर ऐसी सर्वगुण-संपन्नता कैसे उत्पन्न की जाए?
अध्ययन, मनन, चिंतन, सुसंस्कृत भाषा, सादगी, सरलता इत्यादि ऐसे गुण हैं, जो व्यक्ति की नेतृत्व-क्षमता में विकास करते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि नेतृत्व वही कर सकता है, जो अच्छा भाषण देना जानता हो, वाक्पटु हो, खूब बोले; बल्कि कभी-कभी चुप रहकर और कम बोलकर भी अच्छा नेतृत्व किया जा सकता है।
आप कैसे नेतृत्व करना चाहते हैं? अच्छा नेतृत्व किस प्रकार किया जा सकता है? नेतृत्व करने हेतु तदनुरूप गुण अपने अंदर कैसे पैदा करें? क्या हम नेतृत्व कर सकते हैं? ऐसे अनगिनत प्रश्नों का बहुत व्यावहारिक उत्तर प्रस्तुत कर आपके भीतर छिपे लीडरशिप के गुणों को उभारकर सफल होने के गुर बतानेवाली पुस्तक।
Network Marketing Se Ameer Baniye by Pradeep Thakur
लगभग हर कोई धनी बनना चाहता है, लेकिन सभी धनी नहीं बन पाते, क्योंकि अधिकांश व्यक्ति धनी बनने की केवल आकांक्षा ही रखते हैं। वे लोग कभी भी गंभीरता से यह विचार करने का प्रयास ही नहीं करते हैं कि कोई व्यक्ति धनी है, तो वह धनी क्यों है? बहुत कम लोग ही सचमुच में इस प्रश्न का उत्तर ढूँढ़ने की कोशिश करते हैं। इसका प्रमाण यह है कि बहुत कम लोग ही सचमुच में धनी बन पाते हैं, क्योंकि जिन लोगों को धनी बनने का कारण पता चल जाता है, उनमें से भी बहुत कम लोग ही धनी बनने के रास्ते पर कदम बढ़ा पाने का साहस जुटा पाते हैं और ऐसे साहसी लोगों में भी बहुत कम होते हैं, जो इस जोखिम भरे रास्ते पर लगातार चलते रह पाते हैं और अंततः धनी बन पाते हैं। इस साहसी वर्ग के लोगों में अधिकांश ऐसे होते हैं, जो पहले या दूसरे झटके के बाद ही घुटने टेक देते हैं और अपने औसत व्यक्ति के पुराने सुविधाजनक रास्ते पर वापस लौट आते हैं।
अधिकांश लोग अपनी नौकरियों से दुःखी मिलेंगे, लेकिन उनमें संभवतः कोई भी आपको स्वामी बनने की सलाह नहीं देगा, क्योंकि नौकरी करनेवाली बहुसंख्यक जनसंख्या बहुत अच्छी तरह से जानती है कि स्वामी बनना मुश्किल व जोखिम भरा है, जबकि स्वामियों की नौकरी करना सबसे आसान और सबसे अधिक सुरक्षित।
नेटवर्क मार्केटिंग की बारीकियों को अत्यंत सरल-सुबोध भाषा में प्रस्तुत कर इस क्षेत्र में सफलता पाने की एक व्यावहारिक हैंडबुक।
Neurotherapy Dwara Swastha Jeevan by Ramgopal Dixit
भारत ऋषि-मुनियों का देश है। हमारे ऋषि-मुनि अपने आध्यात्मिक अनुभव के आधार पर भारत के सामान्य जन के लिए जो उपयोगी एवं आवश्यक है, वह सब समाज तक पहुँचाने का काम करते रहे हैं। अनेक भौतिक सुख, उपयोगी संसाधनों से दूर प्रकृति के नजदीक एवं प्रकृति की गोद में रहकर वे सिर्फ और सिर्फ मानव-कल्याण के लिए अनुष्ठान करते थे। ऋषि नई-नई खोज तो करते थे, लेकिन कभी भी उनपर अपना एकाधिकार प्रस्तुत नहीं करते थे। इसी महान् परंपरा के कारण उन्होंने दुनिया को 0, दशमलव, पाई, सात स्वर, 1 से 9 तक की संख्या, ज्योतिषकाल, काल-गणना एवं रोग-मुक्ति होने के अलावा स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक जीवन-पद्धति के रूप में आयुर्वेद जैसा बहुत बड़ा स्वास्थ्य-विज्ञान जगत् को दिया।
यह पुस्तक न्यूरोथेरैपी के विशद ज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने का एक विनम्र प्रयास है। इसमें इस विधा का बहुत सरल-सुबोध शब्दों में विवरण दिया है, जिसके व्यावहारिक उपयोग से हम रोगमुक्त होकर स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
Nibandh Sagar by Prithavi Nath Pandey
इस कृति का अपना एक वैशिष्ट्य है। इसमें दिए गए निबंधों के परिशीलन करने के उपरांत यह सत्य उद्घाटित होता है- निबध में लेखक और पाठक का परो क्षत्व समाप्त हो जाता है; दोनों आमने-सामने खड़े होकर कहते-सुनते हैं।
इस निबंध संग्रह में जीवन के समस्त क्षेत्रों की वास्तविकता, विषय की जिज्ञासा और संवेदना, विचारों की उत्कृष्टता, भावों की उष्ण तरंग, कल्पना की उड़ान, शैली की बहुविधता और विदग्ध चमत्कृति-सभी कुछ एक साथ प्राप्त होतीहैं । निबंधकार का प्राणवान् व्यक्तित्व अपनी चिंतनशीलता, भाव-प्रवणता तथा प्रामाणिक आप्तता के साथ अवतरित होकर लेखक में सम-संवेदना को जाग्रत् कर सहलाता, उद्दीप्त करता तथा रसतृप्त करता है।
स्नातक एवं स्नातकोत्तर विद्यार्थियों के लिए यह कृति उपयोगी तो है ही, विशेषत : ‘संघ लोक सेवा आयो’, विाइ भन्न राज्यों के लोक सेवा आयोगों, ‘कर्मचारी चयन आयोग’ तथा संबद्ध अन्यान्य संगठनों द्वारा आयोजित अनिवार्य प्रश्नपत्र ‘ निबंध’ के लिए यह अपरिहार्य है।
प्रमुख कैरियर विशेषज्ञ, मीडियाधर्मी और समीक्षक डॉ. पांडेय ने अपनी इस कृति में समसामयिक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय, राजनीतिक, आाइ र्थक, सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, वैज्ञानिक-प्रौद्योगिक, सावि धानिक इत्यादि विषयक निबंधों पर अपने विश्लेषणात्मक दृष्टिबोध का परिचय दिया है। इसमें अधिकतर वे निबंध हैं, जो प्राय : परी क्षाओं में पूछे जाते हैं किंतु अन्यत्र दुर्लभ हैं। अधिकतर निबंध विस्तार में दिए गए हैं, जिनमें ‘सामान्य ज्ञान’ और ‘सामान्य अध्ययन’ की दृष्टि से तथ्य और अंकिड़ों की प्रचुरता है।
Nidra Rog Karan Aur Nivaran by M P Srivastava , Sanjay Shrivastava
नींद मनुष्य को मिला ऐसा अद्भुत उपहार है, जिसकी तुलना जीवन के सिवा ईश्वर की किसी अन्य देन से नहीं की जा सकती है। नींद के बिना न जागृति की कल्पना की जा सकती है, न परम आनंद के आभास की।
निद्रा स्वस्थ जीवन के लिए बहुत जरूरी है। चैन की नींद मनुष्य को ईश्वर का एक अनूठा, अनुपम और अनमोल उपहार है। भाग्यशाली हैं वे लोग, जो अपने जीवनकाल में अनिद्रा का शिकार नहीं होते। निद्रा प्रकृति द्वारा प्रदत्त एक ऐसी क्रिया है, जो मानव शरीर को स्वस्थ और निरोग रखती है। मनुष्य अपने पूरे जीवनकाल में एक तिहाई समय सोने में ही बिताता है। पर्याप्त नींद जहाँ शरीर में अनेक उपयोगी हारमोन की उत्पत्ति में सहायक है, वहीं अपर्याप्त नींद शारीरिक और मानसिक तनाव की वजह भी बन जाती है।
चिकित्सा क्षेत्र के विद्वान् लेखकद्वय ने निद्रा जैसी महत्त्वपूर्ण नैसर्गिक क्रिया, उससे संबंधित समस्याओं और उनके समाधान की दिशा में सरलसुबोध भाषा में यह पुस्तक लिखकर मानवोपयोगी कार्य किया है।
Nirbheek Yoddhaon Ki Kahaniyan by Shashi Padha
भारत के गौरवमय इतिहास पर दृष्टि डालें तो हर पन्ने पर अनेक स्वतंत्रता सेनानियों और वीर योद्धाओं के विषय में पढ़ने एवं जानने का अवसर मिलेगा। बलिदान एवं संकल्प की इसी परंपरा को निभा रहे हैं हमारे बहादुर सैनिक, जिनकी पैनी दृष्टि और युद्ध कौशल से शत्रु सदैव परास्त होता आया है।
जीवन की आपाधापी और अपने-अपने घेरों में सिमटे हम लोग उनके विराट् व्यक्तित्व और साहस भरे वृत्तांतों को भले ही न देख पाएँ पर शशि पाधा से वे छूटते नहीं हैं। असल में ये नायक और उनका नायकत्व तो शशि के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। शशि जो देखती हैं, महसूसती हैं, वह केवल रचनाकार के वश की बात नहीं है, यह तभी संभव है जब उन अहसासों को पहचानने वाला संवेदनशील हृदय भी रचनाकार के पास हो।
न पहले कभी ऐसी सत्यकथाओं को संगृहीत किया गया और न ही कभी अलग से इन्हें पढ़ने का कोई अवसर मिल पाया। इन वीर कथाओं को पढ़ते हुए मन किन भावों में डूब-उतरा रहा है, यह तभी समझा जा सकता है जब इस संग्रह के आदर्श महानायकों की गाथा आप तक पहुँचेगी। हम और हमारी आनेवाली पीढि़याँ इन नायकों के साहस भरे कौशल से प्रेरणा ले सकती हैं।
नमन उन ऊँचाइयों को, जिन्हें इन निडर युवकों ने अपना लक्ष्य बनाया। नमन उन सफलताओं को जिन्हें उन्होंने अपनी बहादुरी से पूरा किया। और बहुत-बहुत बधाई मेरी मित्र और संवेदनशील रचनाकार शशि पाधा को, जिनकी कलम इन गाथाओं को हम सबके लिए समेट लाई। इस अनजाने संसार से हिंदी साहित्य का परिचय करवाने के लिए उन्हें साधुवाद।
—पूर्णिमा बर्मन
Nirjharani by Usha Shrivastav
चंद्रमा का प्रकाश उसका अपना नहीं, यह तो सूरज का प्रतिबिंब है। लेखिका का मानना है कि इसी तरह उसके व्यक्तित्व में जो चमक है, वह तो उसके आराध्य या मनमीत के व्यक्तित्व का ही प्रतिबिंब है। कवयित्री पॉश कॉलोनी में रहती है, फिर भी उसने एअरकंडीशंड रूम में बैठकर कविताएँ नहीं लिखी हैं। उसने प्रकृति के विविध वर्णी रूपों के बीच अपने को स्थापित किया है। प्रत्येक संग्रह की कविताओं में पीले पत्ते, मलय पवन, कोंपल, कोयल, भ्रमर, सूर्यकिरण, ओसबिंदु, इंद्रधनुष, तितलीपंख, मेहँदी, मृगछौना, धूप, बादल, लैंपपोस्ट, उजड़ा उपवन आदि को प्रतीकों के रूप में स्वीकार किया है।
कविताओं में नए प्रतीक, नए बिंब और नए मुहावरों का प्रयोग किया है। उसकी कविताओं में गहरी अनुभूति की सफल अभिव्यक्ति हुई है। जो कुछ कहा गया है, उसका एकएक शब्द सार्थक और सच्चा है, फिजूल का शब्द एक भी नहीं है। कवयित्री ने कविताएँ लिखी नहीं हैं, कविताओं ने अपने को उससे लिखवा लिया है।
काव्यरस से सराबोर ये कविताएँ सभी आयु वर्ग के पाठकों को रुचिकर लगेंगी।
Nirmala by Premchand
प्रेमचंद आधुनिक हिंदी साहित्य के कालजयी कथाकार हैं। कथा-कुल की सभी विधाओं—कहानी, उपन्यास, लघुकथा आदि सभी में उन्होंने लिखा और अपनी लगभग पैंतीस वर्ष की साहित्य-साधना तथा लगभग चौदह उपन्यासों एवं तीन सौ कहानियों की रचना करके ‘प्रेमचंद युग’ के रूप में स्वीकृत होकर सदैव के लिए अमर हो गए।
प्रेमचंद का ‘सेवासदन’ उपन्यास इतना लोकप्रिय हुआ कि वह हिंदी का बेहतरीन उपन्यास माना गया। ‘सेवासदन’ में वेश्या-समस्या और उसके समाधान का चित्रण है, जो हिंदी मानस के लिए नई विषयवस्तु थी। ‘प्रेमाश्रम’ में जमींदार-किसान के संबंधों तथा पश्चिमी सभ्यता के पड़ते प्रभाव का उद्घाटन है। ‘रंगभूमि’ में सूरदास के माध्यम से गांधी के स्वाधीनता संग्राम का बड़ा व्यापक चित्रण है। ‘कायाकल्प’ में शारीरिक एवं मानसिक कायाकल्प की कथा है। ‘निर्मला’ में दहेज-प्रथा तथा बेमेल-विवाह के दुष्परिणामों की कथा है। ‘प्रतिज्ञा’ उपन्यास में पुनः ‘प्रेमा’ की कथा को कुछ परिवर्तन के साथ प्रस्तुत किया गया है। ‘गबन’ में युवा पीढ़ी की पतन-गाथा है और ‘कर्मभूमि’ में देश के राजनीति संघर्ष को रेखांकित किया गया है। ‘गोदान’ में कृषक और कृषि-जीवन के विध्वंस की त्रासद कहानी है।
उपन्यासकार के रूप में प्रेमचंद का महान् योगदान है। उन्होंने हिंदी उपन्यास को भारतीय मुहावरा दिया और उसे समाज और संस्कृति से जोड़ा तथा साधारण व्यक्ति को नायक बनाकर नया आदर्श प्रस्तुत किया। उन्होंने हिंदी भाषा को मानक रूप दिया और देश-विदेश में हिंदी उपन्यास को भारतीय रूप देकर सदैव के लिए अमर बना दिया।
—डॉ. कमल किशोर गोयनका
Nishank : Ek Antrang Path by Gopal Sharma
जिन केंद्रीय शिक्षा मंत्रियों ने साहित्यकार के रूप में भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है उनमें श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का नाम प्रमुख है। साहित्य की विविध विधाओं (कविता, कहानी, उपन्यास, यात्रा-वृत्तांत, संस्मरण, जीवनी, जीवनोपयोगी लेखन आदि) में अपने विपुल लेखन से भारतीयता और भारतीय जीवन मूल्यों की स्थापना करते हुए उन्होंने देश-देशांतर में अपने पाठकों का अपार स्नेह प्राप्त किया है।
इस पुस्तक के माध्यम से निशंकजी की अब तक प्रकाशित कृतियों का एक ऐसा अंतरंग पाठ प्रस्तुत किया गया है, जो एक साथ ही अंतरिम भी है और विस्तृत भी। यहाँ देखा जा सकता है कि विविध पाठक-वर्गों की अपेक्षाओं की एक साथ पूर्ति करते हुए निशंक-साहित्य किसी एक सहृदय पाठक के मर्म को किस प्रकार आंदोलित करता है। भूमिका और यवनिका से आबद्ध ग्यारह अध्यायों के शीर्षक मात्र आपको यह आभास करा देंगे कि यह पाठ सर्वथा अधुनातन और अनौपचारिक शैली में लिखा गया है।
लेखक से अधिक उसके लेखन पर केंद्रित प्रस्तुत अध्ययन का जब आप पाठ करेंगे तो आप स्वयं भी समूची साहित्य-रचना प्रक्रिया की शास्त्रीय समझ विकसित करते चले जाएँगे। हिंदी साहित्य के संपूर्ण सर्जनात्मक संसार से विश्वसनीय और प्रामाणिक तथ्य-सामग्री जुटाकर और उसमें निशंकजी के साहित्यिक योगदान को स्थापित और रेखांकित करती यह पुस्तक आपको विरल भी लगेगी और अनूठी भी।
Nlp Dwara 100% Atmavishwas Aur Safalta by Ashok Gupta
‘एन.एल.पी.’ (NLP) लगभग सभी क्षेत्रों में सफलता, मानसिक स्वास्थ्य, बहुआयामी आत्मोन्नति, व्यक्तित्व विकास, बहूपयोगी संवादकला एवं रोगमुक्ति के लिए पूर्णत: व्यावहारिक सर्वाधुनिक पद्धति है। इसका संस्थापन यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, अमेरिका के गेस्टाल्ट थेरैपिस्ट जान ग्रिंडर और रिचर्ड बैंडलर ने दशकों विश्व के अग्रणी विभूतियों पर गहन शोध के पश्चात् किया। यह प्रोफेशन, खेल, शिक्षा, व्यापार, मैनेजमेंट, चिकित्सा, हिप्नोथेरैपी, मनोविज्ञान, मनोचिकित्सा आदि में भी उच्चकोटि का सामर्थ्य व पीक परफॉर्मेंस प्रदान करने में प्रभावी है। जीवन उत्तम बनाने में सहायक एवं अनन्य विविधता और गहराई छिपाए ‘एन.एल.पी.’ मानव इतिहास में पहला ऐसा विज्ञान है, जो अति शीघ्रता तथा कम समय में विश्व की विशाल जनसंख्या में अत्यंत लोकप्रिय बना। मनोविज्ञान की सबसे लोकप्रिय अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ‘साइकोलॉजी टुडे’ के अनुसार ‘एन.एल.पी.’ (NLP) में जीवन परिवर्तन हेतु वर्तमान में सबसे सक्षम तकनीक होने की संभावना है।
संपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य के बल पर जीवन में सर्वश्रेष्ठ करने की क्षमता विकसित करनेवाली, हर व्यक्ति के लिए उपयोगी एक प्रैक्टिकल हैंडबुक।
Nobel Puraskrit Dr. Har Gobind Khorana by Dinesh Mani
आनुवंशिक गुप्त लिपि (जेनेटिक कोड) संबंधित रहस्यों के उद्घाटित करने में हर गोविंद खुराना का महत्त्वपूर्ण योगदान है। डॉ. खुराना को उनकी इस खोज के लिए 1968 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। डॉ. खुराना ने साधारण रासायनिक प्रतिक्रिया की सहायता से इस पहेली को हल कर दिखाया। अतिरिक्त संदेशवाहक आर.एन.ए. के निर्माण के द्वारा डॉ. खुराना ने संपूर्ण जेनेटिक कोड और जेनेटिक कोड के अपविकास के लिए जिम्मेदार कारणों की व्याख्या संबंधी कार्य को सिद्ध कर दिखाया। डॉ. खुराना ने दरशाया कि कोड में कुछ त्रयी विरामचिह्न का काम करती है। यह एक ऐसी प्रमुख उपलब्धि थी, जिससे आणविक जीव विज्ञान और चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में भविष्य में होनेवाली विकास का रास्ता खुला। डॉ. खुराना की प्रयोगशाला में हुए अनुसंधान कार्यों से चिकित्सकों को यह समझने में सहायता मिली कि जीवित कोशिकाओं की भाषा क्या है? इस आनुवंशिक भाषा का अनुवाद किस प्रकार होता है? क्या एक संपूर्ण जीन को परखनली में बनाया जा सकता है? डॉ. खुराना ने न केवल आनुवंशिक गुप्त लिपि के अधिकांश रहस्यों पर से परदा हटाया, बल्कि एक संपूर्ण जीन का कृत्रिम संश्लेषण करने में भी सफलता प्राप्त की। क्या एक संपूर्ण जीन को परखनली में बनाया जा सकता है? डॉ. खुराना द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों के फलस्वरूप ही आनुवंशिक अभियांत्रिकी के क्षेत्र में तेजी से प्रगति हुई है।
भारत के महान् वैज्ञानिक डॉ. हरगोविंद खुराना की प्रेरक पठनीय जीवनी।
Nobel Puraskrit Mahilayen by Asha Rani Vohra
नोबेल पुरस्कृत महिलाएँ
अल्फ्रेड नोबेल द्वारा सन् 1901 में स्थापित नोबेल पुरस्कार विश्व का सबसे अधिक प्रतिष्ठित पुरस्कार है। यह अब तक संसार के लगभग छह सौ पचास प्रतिभावान् व्यक्तियों को दिया जा चुका है, जिनमें से सन् 2003 के अंत तक महिलाओं की संख्या उनतीस थी। नोबेल पुरस्कार लिंग, जाति, देश, वर्ग आदि के भेदभाव के बिना दुनिया के किसी भी नागरिक को दिया जा सकता है।
स्त्री परिवार की धुरी है। केंद्र में होने से परिवार उसकी प्राथमिकता है। पुरुषों की तरह वह सबकुछ छोड़-छाड़कर दिन-रात अनुसंधान में, लेखन में या शोध-कार्य में लगी नहीं रह सकती। घर-बच्चों की जिम्मेदारी के बाद कैरियर या अन्य क्षेत्रों के प्रति समर्पण उसके लिए द्वितीय स्थान पर है। इसीलिए कई बार प्रखर प्रतिभाएँ भी अपने विशेष क्षेत्रों में सामने न आकर एक अंतराल के बाद घर की चारदीवारी में ही दम तोड़ देती हैं। न तो सब मदर टेरेसा की तरह तपस्विनी हो सकती हैं, न म्याँमार की आंग सान सू की की तरह आजीवन क्रांति को समर्पित, न ही विज्ञान में नई खोजों में बड़ी उपलब्धियाँ प्राप्त करनेवाली बारबरा मैकलिनटाक, जरट्रड बी. इलियन, रीटा लेवी मांटेलिसिनी की तरह वैज्ञानिक अनुसंधान के अपने ध्येय की खातिर विवाह न करनेवाली। फिर भी वर्षों लंबी साधना या अनवरत संघर्ष के बाद नोबेल पुरस्कार जैसी बड़ी उपलब्धि प्राप्त करनेवाली इस अल्प संख्या पर भी हमें यों गर्व होना चाहिए कि अनेकानेक बाधाओं के बीच काम करते हुए ही कोई महिला इस उच्चतम शिखर तक पहुँच पाती है।
हिंदी में भी अब ज्ञान-विज्ञान के साहित्य की ओर पाठकों की रुचि बढ़ी है। फिर अपने-अपने ज्ञान-क्षेत्रों में सफलता के उच्चतम शिखरों को छूनेवाली नोबेल पुरस्कार विजेता महिलाओं की प्रतिभा, लगन व अनवरत साधना से प्राप्त उपलब्धियों को जानने, आँकने और उनसे प्रेरणा पाने की अभिलाषा किसे न होगी! विशेष रूप से इन क्षेत्रों में रुचि लेनेवाली महत्त्वाकांक्षी युवतियों एवं उभरती प्रतिभाओं के लिए यह पुस्तक अनेक दृष्टियों से उपयोगी सिद्ध होगी, ऐसा हमारा विश्वास है।
Nootan Sadi Ke Navneet Shriguruji by Dr. Dhananjay Giri
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी द्वैत भी हैं, अद्वैत भी हैं। शैव भी हैं, शाक्त भी हैं। करुणा भी हैं और क्रांति भी हैं। ज्ञान भी हैं और कर्म भी हैं। साधना भी हैं और संघर्ष भी हैं। सपने भी हैं और सत्य भी हैं। श्रीगुरुजी धर्म और अध्यात्म की सामासिक अभिव्यक्ति हैं। परंपरा और प्रगति के प्रेरणापुंज हैं। उनका धर्म-कर्म, पूजा-पाठ केवल पौरोहित-प्रकल्प नहीं, बल्कि राष्ट्र-यज्ञ में जीवन को समिधा बना देने की संकल्प-साधना है। उनकी साधना इतिहास का एक सुंदरकांड है।
संघ-कार्य की नींव संघ के आद्य सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार ने डाली, संघ को गढ़ा श्रीगुरुजी ने; डॉ. हेडगेवार ने संघ को सांगठनिक सूत्र दिया, शाखा-पद्धति दी, श्रीगुरुजी ने संघ को सिद्धांत और विस्तार दिया। आज संघ एक विराट् संगठन बन गया है; भारत का एक नियामक तत्त्व बन गया है। इसे नकारकर देश और समाज-जीवन की परिकल्पना नहीं की जा सकती है—संघ के इस स्थिति में पहुँचने में श्रीगुरुजी की दूरदृष्टि और आध्यात्मिकता की विशेष भूमिका है।
श्रीगुरुजी भाव के वो सागर हैं, जहाँ भाव की हर नदी आकर विलीन हो जाती है; सारी भावनाएँ जहाँ अभिव्यक्त हो जाना चाहती हैं, जहाँ सारे संपर्क, संबंध और संबोधन आकर मिल जाते हैं।
यह पुस्तक ऐसे आध्यात्मिक शिखरपुरुष, समाजधर्मी और पथ-प्रदर्शक श्रीगुरुजी के प्रेरणाप्रद जीवन की एक झलक मात्र है।
Nyayapalika Ke Bahuaayam by Dr. Prabhat Kumar
स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका किसी भी देश के व्यवस्थित जीवन की आवश्यक शर्त है, इसके बिना सभ्य राज्य की कल्पना नहीं की जा सकती। न्यायपालिका सरकार का तीसरा सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है। संविधान निर्माताओं ने स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका की स्थापना की है। न्यायपालिका देश के संविधान एवं मौलिक अधिकारों की रक्षा करती है, आवश्यकता पड़ने पर कानूनों की व्याख्या करती है।
प्रस्तुत पुस्तक को 9 अध्यायों में बाँटा गया है। प्रथम अध्याय में भारत में ब्रिटिश न्याय व्यवस्था, द्वितीय में सर्वोच्च न्यायालय, तृतीय में उच्च न्यायालय, चौथे में न्यायिक पुनरावलोकन, पाँचवें में जनहित याचिका एवं न्यायिक सक्रियता, छठे में अधीनस्थ न्यायालय, सातवें में न्यायपालिका पर उठते प्रश्न, आठवें में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय व निर्देश तथा नौवें में न्याय व्यवस्था से जुड़े विभिन्न लेख दिए गए हैं।
न्यायपालिका के विविध आयामों पर प्रस्तुत यह संपूर्ण पुस्तक सुधी पाठकों विशेषकर स्नातक, परास्नातक एवं विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
Nyayapalika: Dasha Evam Disha by Justice Rajendra Prasad
भारतीय परंपरा कहती है कि कौन व्यक्ति दंडनीय है, कौन नहीं है, इसी का निर्धारण करना न्याय है। न्याय नहीं होने पर दंड का विभ्रम होता है, जिससे सभी लोग दूषित हो जाते हैं, सारी मर्यादाएँ टूट जाती हैं। सभी लोगों के बीच उपद्रव आरंभ हो जाते हैं।
लेखक की मान्यता है कि जब तक जिला, राज्य एवं देश स्तर के तीनों न्यायालयों को स्वतंत्र नहीं किया जाता है, तब तक आम जनता न्याय पाने से वंचित रह जाती है, क्योंकि जिला स्तर पर जो दंडनीय घोषित किया जाता है, वह राज्य स्तर के उच्च न्यायालय में अपील करता है, जहाँ सारी प्रक्रिया पुनः आरंभ होती है और न्याय में विलंब होता है। वहाँ भी यदि वह दंडनीय घोषित हो जाता है तो अपने बचाव के लिए उच्चतम न्यायालय में चला जाता है। फिर वहाँ न्याय में विलंब होता है। इस विलंब के कारण अपराध के साक्ष्य मिट जाते हैं, और इतिहास मात्र बच जाता है। हो सकता है कि तब तक अपराधी या अपराध के कारण प्रभावित व्यक्ति की मृत्यु भी हो जाए और न्याय व्यर्थ हो जाए। न्याय में विलंब के कारण होनेवाली क्षति के अनेक उदाहरणों को प्रस्तुत कर लेखक ने इस सिद्धांत को स्थापित किया है कि जिला स्तर के न्यायालय को स्वतंत्रता मिले और उसका निर्णय अंतिम हो, जिससे प्रभावित व्यक्ति को त्वरित न्याय मिल सके। त्वरित न्याय से अपराध की प्रवृत्ति में अवश्य कमी आएगी।
यह पुस्तक आम लोगों के साथ-साथ विधिशास्त्र के छात्रों के लिए भी पठनीय है, जिससे वे प्राकृतिक एवं त्वरित न्याय को समझ सकें और अपने सुनहरे भविष्य का निर्माण कर सकें।
Om Phat Phattak by Ashok Anjum
श्री अशोक ‘अंजुम’ की पहचान एक गजलकार, दोहाकार, हास्य-व्यंग्य कवि के रूप में भले ही अधिक पुख्ता हो, लेकिन एक नाटककार के रूप में जब वे हमारे सामने आते हैं तो नाटक विधा पर उनकी पकड़ का लोहा मानना पड़ता है। प्रस्तुत पुस्तक ‘ओम् फट् फट्टाक’ सभी आयु वर्ग के पाठकों के लिए बेहद पठनीय, अत्यंत रोचक नाटकों का संग्रह है। इन नाटकों के माध्यम से लेखक ने समाज की विभिन्न समस्याओं को हास्य-व्यंग्य का जामा पहनाते हुए बड़े सलीके से उकेरा है। पुस्तक के अधिकांश नाटकों का कई-कई बार प्रदर्शन हो चुका है और इन्हें दर्शकों का भरपूर प्यार व सराहना भी मिली है।
विश्वास है कि ये नाटक पाठकों का भरपूर मनोरंजन तो करेंगे ही, साथ ही सामाजिक सरोकारों व अपने दायित्वों के प्रति सचेत भी करेंगे।
Onkar-Saar by Indira Mohan
ओंकार हमारा सत्य है, हमारा आंतरिक अस्तित्व है, जिसकी ध्वनि-तरंग पृथ्वी से लेकर आकाश तक दसों दिशाओं में प्रतिध्वनित हो रही है। यह गूँज आनंद स्वरूप शिवत्व का प्रतीक है, परम सत्ता का ऐश्वय है, जीवन विवेक है, जिसे अपने आचार-विचार में अभिव्यक्त करना है। जैसे घाट की सीढि़यों के सहारे हम नदी में उतरते हैं, उसी प्रकार अर्थपूर्वक ॐ के आश्रय द्वारा हम परमात्मा की आनंदमय उपस्थिति का अनुभव कर सकते हैं।
ॐ की ध्वनि सर्वाधिक पवित्र एवं दिव्य है। इससे और अधिक सुंदर, अधिक सार्थक एवं आह्लादकारी कुछ भी नहीं है। ओंकार की सतत साधना पूरी सृष्टि से अपनी आत्मीयता उजागर कर जीवन का कायाकल्प कर सकती है। तब पता चलता है कि हम ही बादलों में हैं, चाँद-सितारों में हैं, खेत-खलिहानों में हैं। कल-कल बहते झरने नदी में समा गए हैं—अब हम बूँद नहीं, सागर हो गए हैं।
ओंकार के माहात्म्य और इसकी महत्ता को सरल-सुबोध भाषा में प्रस्तुत करती पठनीय पुस्तक, जिसके अध्ययन से आप स्वयं को आध्यात्मिक स्तर पर उन्नत हुआ पाएँगे।
Oonchi Udaan Hi Lakshya Hai by Dilip Trivedi , Shivendra Singh
यदि ऊँची उड़ान आपका लक्ष्य है तो अपनी योजना में शामिल करिए— हौसला, पंख और आँखें। हौसला, जो आपको ऊँचीसेऊँची उड़ान भरने के लिए प्रेरित करे; पंख, जो आपको थकने न दे; आँखें, जिनमें तड़प हो नए आकाश को देखने की!
ऊँची उड़ान का आनंद वही ले सकता है, जिसने किसी जगह विशेष को लक्ष्य बनाने की बजाय ऊँची उड़ान को ही लक्ष्य बना लिया है। यदि लक्ष्य की प्राप्ति एक सुखद क्षण है, तो ऊँची उड़ान को लक्ष्य बनानेवाले पंखों को हर क्षण एक सुखद अनुभूति हो रही है। खुला आसमान, चौड़े पंख और लक्ष्य पर नजर रखते हुए हर पल लक्ष्य प्राप्ति सुखानुभूति की पराकाष्ठा है।
लक्ष्य को प्राप्त करना तो वास्तव में एक क्षण की उपलब्धि है, लेकिन इसको प्राप्त करने की यात्रा हर क्षण एक उपलब्धि है। यह जीवन को सकारात्मक नजरिए से देखने की एक बानगी मात्र है, जिसे स्वीकार करते ही आप ऊँची उड़ान के रास्ते में आनेवाली हर बाधा से नई ऊर्जा प्राप्त करेंगे और सारी नकारात्मकता बहुत पीछे छूट जाएगी; शेष बचेगा— उत्साह, शांति और लगातार मिलनेवाला सृजनात्मक संतोष!
Operation Blue Star Ka Sach by K.S. Brar
ऑपरेशन ब्लू स्टार संसार की अत्यंत विवादग्रस्त एवं चर्चा का ज्वलंत विषय बननेवाली सैन्य काररवाइयों में से एक है, जो निश्चित ही समकालीन भारतीय इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ समझी जाएगी।
यह पुस्तक उस सैन्यअधिकारी की ओर से प्रस्तुत किया गया विवरण है, जिसने इस काररवाई का नेतृत्व किया था। इसमें दिल को छूनेवाले, मर्मांतक, छोटे-छोटे अनेक सूक्ष्म विवरण पेश किए गए हैं। इस पुस्तक में कुछ भी छिपाया नहीं गया है, न उन नाकामयाबियों के बारे में, जिनका सेना को मुँह देखना पड़ा; न सेना की कमियों को; न उन अतिवादियों की शिद्दत तथा दृढता, जिन्हें बाहर निकालने का काम सेना को सौंपा गया था।
अनेक काल्पनिक कहानियों, आलोचनाओं तथा अर्ध-सच्चाइयों का जोरदार खंडन करते हुए इसमें हिम्मत से बहुत सारे ऐसे सवालों के जवाब दिए गए हैं, जो सिर्फ सिखों को ही नहीं, सारे भारतीयों को परेशान करते हैं।
लेखक—जो काररवाई को योजनाबद्ध करने तथा इसे व्यावहारिक रूप देने के प्रत्येक पड़ाव पर इसमें शामिल रहा—शायद यही एक ऐसा व्यक्ति है, जो सचमुच यह जानता है कि 5 जून, 1984 की अनहोनी भरी रात को ठीक-ठीक क्या घटा। यही इस पुस्तक में वर्णित है। संपूर्ण सच, सच्चाई के अलावा और कुछ भी नहीं।